रामायण में गिलहरी की कहानी क्या है? (Ramayan Mein Gilhari Ki Kahani Kya Hai?) रामसेतु में गिलहरी का योगदान को ये कहानी वर्णन करती है।
रामायण, जो वाल्मीकि द्वारा रचित एक महान महाकाव्य है, में अनेक पात्रों और घटनाओं का वर्णन किया गया है, जो आज भी हमारे जीवन में महत्वपूर्ण शिक्षा देते हैं। इनमें से एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण कहानी गिलहरी की है, जो अपने आकार और शक्ति के बावजूद, राम के प्रति अपने कर्तव्य और समर्पण के कारण प्रसिद्ध हो गई। यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि सभी उम्र के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
Ramayan Mein Gilhari Ki Kahani
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जब भगवान राम अपनी पत्नी सीता की खोज में लंका जाने के लिए समुद्र को पार करने की योजना बना रहे थे, तब वानर सेना और नल-नील जैसे महान योद्धा उनके साथ थे। सभी मिलकर भगवान राम के नेतृत्व में सेतु (पुल) निर्माण में जुटे थे, ताकि पूरी सेना समुद्र को पार कर सके। इस कार्य के लिए बड़े-बड़े पत्थरों और चट्टानों का उपयोग किया जा रहा था, और वानर सेना बड़े उत्साह से इन पत्थरों को समुद्र में डालकर पुल का निर्माण कर रही थी।
जब वानर और अन्य योद्धा इस कठिन कार्य में लगे हुए थे, तब एक छोटी सी गिलहरी भी इस महान कार्य में योगदान देने के लिए प्रेरित हुई। यद्यपि गिलहरी बहुत ही छोटी थी और उसके पास बड़े-बड़े पत्थर उठाने की शक्ति नहीं थी, फिर भी उसके भीतर भगवान राम के प्रति असीम भक्ति और सेवा भाव था। वह छोटे-छोटे कंकड़ उठाकर समुद्र में डालने लगी।
गिलहरी के प्रयासों का प्रभाव भले ही विशाल न हो, लेकिन उसका समर्पण अद्वितीय था। वह बार-बार किनारे से छोटे-छोटे कंकड़ उठाती, उन्हें समुद्र में ले जाकर डालती और फिर वापिस आकर दोबारा इसी कार्य में लग जाती। उसका यह छोटा सा कार्य, जो उसके लिए बहुत बड़ा था, भगवान राम के प्रति उसकी अपार भक्ति को दर्शाता है।
वानर, जो बड़े-बड़े पत्थर उठाकर समुद्र में डाल रहे थे, ने जब गिलहरी को यह करते देखा तो उन्होंने उसका मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। वे कहने लगे, “तुम्हारे छोटे-छोटे कंकड़ों से क्या होगा? हम यहाँ बड़े-बड़े पत्थर डाल रहे हैं, जो इस पुल का निर्माण कर रहे हैं। तुम्हारे इस छोटे से कार्य का क्या महत्व है?” वानरों की इस प्रकार की प्रतिक्रिया से गिलहरी दुखी हुई, लेकिन उसने अपने कार्य को बंद नहीं किया। वह जानती थी कि उसका यह छोटा सा प्रयास भगवान राम की सेवा में है, और यही उसके लिए सबसे महत्वपूर्ण था।
जब भगवान राम ने यह देखा कि एक छोटी सी गिलहरी, अपने आकार और शक्ति के बावजूद, सेतु निर्माण में अपना योगदान दे रही है, तो वे अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने वानरों को बुलाया और उन्हें समझाया कि कोई भी कार्य, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो, यदि वह भक्ति और सेवा भाव से किया गया हो, तो वह अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। भगवान राम ने कहा कि गिलहरी का यह छोटा सा प्रयास भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना वानरों का बड़े पत्थरों को उठाना।
भगवान राम ने गिलहरी की पीठ पर अपने अंगुलियों से प्यार से स्पर्श किया। ऐसा कहा जाता है कि तब से गिलहरी की पीठ पर तीन धारियाँ बन गईं, जो आज भी गिलहरियों पर देखी जा सकती हैं। ये धारियाँ भगवान राम की उस कृपा और आशीर्वाद का प्रतीक मानी जाती हैं, जो उन्होंने गिलहरी को उसके समर्पण और सेवा के लिए दिया था।
सीख
गिलहरी की यह कहानी हमें कई महत्वपूर्ण शिक्षा देती है।
1. सबसे पहली बात, यह कहानी यह दर्शाती है कि कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता। यदि किसी कार्य को पूरी निष्ठा और भक्ति के साथ किया जाए, तो उसका महत्व अत्यंत होता है। गिलहरी का छोटा सा प्रयास यह सिखाता है कि हर व्यक्ति, चाहे वह कितना भी छोटा या साधारण क्यों न हो, अपने सामर्थ्य के अनुसार बड़े से बड़े कार्य में योगदान दे सकता है।
2. दूसरी बात, यह कहानी यह भी सिखाती है कि किसी भी कार्य में भागीदारी करना महत्वपूर्ण है। हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि हमारे छोटे-छोटे प्रयासों से कोई बड़ा बदलाव नहीं आ सकता। बल्कि, हमें यह विश्वास रखना चाहिए कि प्रत्येक छोटा योगदान मिलकर बड़े परिणाम ला सकता है। गिलहरी का यह छोटा सा कार्य हमें यह सिखाता है कि समर्पण, भक्ति और निष्ठा से किया गया कोई भी कार्य कभी व्यर्थ नहीं जाता।
3. यह कहानी यह भी सिखाती है कि हमें कभी भी दूसरों के प्रयासों का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए। हो सकता है कि उनका प्रयास हमारे दृष्टिकोण से छोटा लगे, लेकिन उनके लिए वह कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण हो। हर व्यक्ति का योगदान, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो, महत्वपूर्ण होता है और हमें उसे सम्मान के साथ देखना चाहिए।
रामायण की यह गिलहरी की कहानी न केवल भगवान राम के प्रति उसकी भक्ति को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि किसी भी कार्य को करने के लिए भक्ति, निष्ठा और समर्पण का होना आवश्यक है। यह कहानी हमें प्रेरणा देती है कि हम अपने सामर्थ्य के अनुसार, छोटे-छोटे प्रयासों से भी बड़े कार्यों में योगदान दे सकते हैं। साथ ही, यह कहानी यह भी सिखाती है कि हमें दूसरों के प्रयासों का सम्मान करना चाहिए और किसी भी कार्य में समर्पण और निष्ठा के महत्व को समझना चाहिए।
गिलहरी की यह कहानी आज भी हमारे लिए एक प्रेरणास्त्रोत है, जो हमें यह सिखाती है कि किसी भी कार्य को करने के लिए केवल शारीरिक शक्ति की नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति की आवश्यकता होती है। इसी भावना के साथ, हम सभी अपने जीवन में, चाहे वह कितना भी साधारण या कठिन क्यों न हो, किसी भी कार्य को पूरी निष्ठा और भक्ति के साथ करने का प्रयास कर सकते हैं।