Fairy Tale In Hindi

रंग-बिरंगी परियों की कहानी | Rang Birangi Pariyon ki Kahani

रंग बिरंगी परियों की कहानी (Rang Birangi Pariyon ki Kahani) इस पोस्ट में शेयर की जा रही है।

Rang Birangi Pariyon ki Kahani

Table of Contents

Rang Birangi Pariyon ki Kahani

एक समय की बात है। एक सुंदर और हरा-भरा राज्य था, जिसका नाम था परीलोक। परीलोक में रंग-बिरंगी परियाँ रहती थीं, जिनकी सुंदरता और ताकत के चर्चे चारों ओर फैले हुए थे। परीलोक की राजधानी का नाम इंद्रधनुषी नगर था, जहाँ परियों का महल स्थित था। इस महल में परियों की रानी, रानी सुरभि, अपने तीन बेटियों के साथ रहती थीं। तीनों बेटियों के नाम थे – पंखुरी, चमकी, और रागिनी। 

पंखुरी की विशेषता उसकी सुंदर नीले रंग की पंखों में थी, जो आकाश के नीले रंग की तरह चमकते थे। चमकी के पंख सुनहरे थे, जो सूरज की रोशनी में जगमगाते थे। रागिनी के पंख इंद्रधनुषी रंगों से भरपूर थे, जो देखने में अद्भुत लगते थे। तीनों बहनों में गहरी दोस्ती थी, और वे अपने राज्य की रक्षा और लोगों की खुशी के लिए हमेशा तत्पर रहती थीं।

एक दिन परीलोक में एक अजीब घटना घटी। राज्य के दक्षिणी किनारे पर स्थित वन में अंधेरा छा गया। उस अंधेरे से एक भयावह और शक्तिशाली जादूगर, कालोमंत्र, ने प्रवेश किया। कालोमंत्र ने परीलोक को तबाह करने और उसकी सुंदरता को नष्ट करने की योजना बनाई। उसका मुख्य उद्देश्य रानी सुरभि की शक्ति और परीलोक की जादुई ऊर्जा को अपने कब्जे में लेना था।

रानी सुरभि ने तुरंत अपनी बेटियों को बुलाया और उन्हें इस खतरे के बारे में बताया। पंखुरी, चमकी, और रागिनी ने मिलकर कालोमंत्र का सामना करने का निर्णय लिया। रानी सुरभि ने उन्हें अपनी शक्ति और हिम्मत के साथ जाने का आशीर्वाद दिया।

तीनों बहनों ने अपनी यात्रा शुरू की और दक्षिणी किनारे की ओर बढ़ीं। रास्ते में उन्होंने विभिन्न चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उनकी एकता और साहस ने उन्हें हर बाधा पार करने में मदद की। उन्होंने एक जादुई किताब के बारे में सुना, जो उन्हें कालोमंत्र को हराने का तरीका बता सकती थी। यह किताब एक पुराने और गहरे जंगल में स्थित एक प्राचीन मंदिर में छिपी हुई थी।

जंगल में प्रवेश करने पर, उन्हें अजीब और खतरनाक जीवों का सामना करना पड़ा। लेकिन उनकी समझदारी और जादुई शक्तियों ने उन्हें सुरक्षित रखा। अंततः, वे प्राचीन मंदिर तक पहुँच गईं और वहाँ उन्होंने किताब को पाया।

प्राचीन मंदिर में, किताब ने तीनों बहनों को एक रहस्य बताया। किताब ने कहा कि कालोमंत्र को हराने के लिए उन्हें अपने व्यक्तिगत गुणों और शक्तियों को मिलाना होगा। उन्हें एक ऐसा मंत्र पढ़ना होगा, जिसमें उनकी एकता और साहस की शक्ति निहित हो। 

पंखुरी, चमकी, और रागिनी ने किताब से मंत्र को ध्यानपूर्वक पढ़ा और उसे याद कर लिया। इसके बाद, वे वापस परीलोक की ओर चल पड़ीं, लेकिन अब उनकी यात्रा में और भी अधिक चुनौतियाँ और खतरें थे। 

परीलोक पहुँचते ही उन्होंने देखा कि कालोमंत्र ने राज्य के अधिकांश हिस्सों को अपने अंधेरे जादू से ढक लिया है। रानी सुरभि और अन्य परियाँ उसकी गिरफ्त में थीं। तीनों बहनों ने बिना समय गवाएं कालोमंत्र का सामना करने का निर्णय लिया। 

उन्होंने अपनी जादुई शक्तियों का उपयोग करके कालोमंत्र के जादू का मुकाबला किया। पंखुरी ने अपनी नीली पंखों की चमक से अंधेरे को काटा, चमकी ने अपने सुनहरे पंखों की रोशनी से दुश्मनों को अंधा किया, और रागिनी ने अपने इंद्रधनुषी पंखों से सुंदरता और शांति का संदेश फैलाया।

जैसे ही वे कालोमंत्र को हराने के करीब पहुँचे, उन्हें एक चौंकाने वाला सत्य पता चला। कालोमंत्र वास्तव में एक पराजित परी था, जिसका असली नाम कालनाथ था। कालनाथ कभी रानी सुरभि का सबसे करीबी दोस्त और सहयोगी था, लेकिन कुछ गलतफहमियों और अहंकार के कारण उसने अंधकार का रास्ता चुना था। 

कालनाथ की कहानी सुनकर तीनों बहनों ने महसूस किया कि उनके सामने केवल एक दुश्मन नहीं, बल्कि एक दुखी आत्मा थी जिसे माफी और प्यार की जरूरत थी। 

तीनों बहनों ने मिलकर कालनाथ के दिल को बदलने की कोशिश की। उन्होंने उसे याद दिलाया कि वह भी एक समय परीलोक का हिस्सा था और उसमें भी अच्छाई थी। रागिनी ने अपने इंद्रधनुषी पंखों से एक ऐसा जादुई घेरा बनाया, जिसमें कालनाथ को अपनी पुरानी यादें और परीलोक के सुखद पल देखने को मिले।

यह दृश्य देखकर कालनाथ का दिल पिघल गया और उसने अपनी गलतियों को स्वीकार किया। उसने अपनी जादुई शक्ति को परीलोक के भले के लिए वापिस कर दिया और अंधकार के जादू को समाप्त कर दिया। 

अंधकार के समाप्त होते ही, परीलोक फिर से हरा-भरा और खुशहाल हो गया। रानी सुरभि और अन्य परियाँ आजाद हो गईं और उन्होंने तीनों बहनों को धन्यवाद दिया। पंखुरी, चमकी, और रागिनी ने दिखाया कि एकता, साहस, और प्यार से हर समस्या का समाधान हो सकता है।

कालनाथ ने भी अपनी नई यात्रा शुरू की और परीलोक की भलाई के लिए काम करने का वचन दिया। रानी सुरभि ने उसे माफ कर दिया और उसे परीलोक में वापस स्वागत किया। 

पंखुरी, चमकी, और रागिनी की इस अद्भुत यात्रा ने परीलोक के सभी निवासियों को सिखाया कि किसी भी परिस्थिति में एकता, साहस, और प्यार ही सबसे बड़ी ताकत होती है। उन्होंने यह भी सीखा कि माफी और सुधार की गुंजाइश हमेशा होती है।

परीलोक में एक बार फिर खुशियाँ और शांति लौट आईं। तीनों बहनों ने अपनी माँ रानी सुरभि के साथ मिलकर परीलोक को और भी सुंदर और समृद्ध बनाने का संकल्प लिया। वे हमेशा याद रखेंगी कि उनके साहस और एकता ने उनके राज्य को बचाया और सच्चे अर्थों में एक जादुई परीलोक बनाया। 

इस प्रकार, रंग-बिरंगी परियों की कहानी एक खुशहाल अंत के साथ समाप्त होती है, जिसमें प्यार, साहस, और एकता की जीत होती है।

हिन्दी कहानियां पढ़ें :

परी और चुड़ैल की कहानी 

गोल्डन परी की कहानी

राजकुमारी परी की कहानी

सोई हुई राजकुमारी की कहानी

About the author

Editor

Leave a Comment