रंपेलस्टिल्त्स्किन की कहानी | Rumpelstiltskin Story In Hindi Fairy Tale

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में रंपेलस्टिल्त्स्किन की कहानी (Rumpelstiltskin Story In Hindi) शेयर कर रहे हैं. ये एक जर्मन परी कथा (German Fairy Tale) है , जो Brother Grimm द्वारा 1812 में प्रकाशित की गई थी. यह कहानी एक ऐसे बौने की है, जो भूसे को कातकर सोना बना देता है. पढ़िए पूरी कहानी :

Rumpelstiltskin Story In Hindi

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Rumpelstiltskin Story In Hindi
Rumpelstiltskin Story In Hindi | Rumpelstiltskin Story In Hindi

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बहुत समय पहले की बात है. एक राज्य में एक गरीब चक्की वाला रहता था. उसकी एक बहुत सुंदर बेटी थी. चक्की वाला बहुत बड़बोला था और अक्सर लोगों के सामने शेखी बघारा करता था.

एक दिन उसे राजा के दरबार में बुलवाया गया. उसने राजा को प्रभावित करने के लिए वहाँ भी शेखी बघारते हुए कहा, “महाराज! मेरी बेटी बहुत ही सुंदर है. जितनी वो सुंदर है, उतनी ही गुणवान भी. वह भूसे से सोना कात सकती है.”

ये सुनकर राजा आश्चर्य में पड़ गया. उसने चक्की वाले से कहा, “मैं अपनी आँखों से देखना चाहता हूँ कि तुम सच कह रहे हो या झूठ. इसलिए अपनी बेटी को लेकर कल दरबार में उपस्थित हो जाना. मैं उसकी परीक्षा लूंगा. यदि वह असफ़ल रही, तो मैं तुम दोनों को फांसी पर लटका दूंगा.”

ये सुनकर चक्की वाला चिंता में पड़ गया. किंतु, अब क्या करता? ‘जो आज्ञा महाराज” कहकर घर चला आया. घर आकर उसने सारी बात अपनी बेटी को बताई, तो वो भी चिंता में पड़ गई.

वो बोली, “पिताजी! मैंने कितनी बार आपको समझाया है कि डींगे मत मारा कीजिये. लेकिन आपने कभी मेरी नहीं सुनी. अब देखो हम दोनों मुसीबत में फंस गए हैं.”

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दोनों रात भर सो ना सके. अगले दिन जब दोनों राजा के सामने उपस्थित हुए, तो राजा लड़की को एक कमरे में ले गया, जो भूसे से हुआ था. वहाँ एक चक्की भी रखी हुई थी.

वह उससे बोला, “कल सुबह तक इन भूसों का सोना बन जाना चाहिए. वरना, तुम्हारी और तुम्हारे पिता की मृत्यु निश्चित है.”

यह कहकर वह वहाँ से चला गया. लड़की कमरे में अकेली रह गई. वह भूसे को देखकर रोने लगी क्योंकि उसे अगले दिन अपनी और पिता की मृत्य दिखाई दे रही थी.

तभी वहाँ एक बौना प्रकट हुआ. दिखने में वो बड़ा भयानक था. उसे देख वह लड़की डर गई.

बौने ने उससे रोने का कारण पूछा, तो डरते-डरते उसने सब बता दिया. तब बौना बोला, “रोना बंद करो और मेरी बात सुनो. मैं इस भूसे को कातकर सोना बना सकता हूँ.”

यह सुनकर लड़की बोली, “तो मेरी सहायता करो और इस कमरे में रखे भूसे को सोना बना दो.”

“वो तो मैं कर  दूंगा. लेकिन बदले में तुम मुझे क्या दोगी?” बौना बोला.

“मैं…मैं तुम्हें अपना ये हार दे दूंगी.” गले में पहना सोने का हार दिखाते हुए वो बोली.

“ठीक है.” कहकर बौना चक्की लेकर भूसे को कातने लाग. सुबह तक उसने सारे भूसे को सोने के धागों में बदल दिया.”

लड़की ने उसे अपना हार दिया और वो गायब हो गया. जब राजा वहाँ आया, तो पूरे कमरे को सोने के धागे से भरा देख बहुत ख़ुश हुआ. लेकिन, उसके मन में लोभ आ गया.

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उसने एक बड़े कमरे में भूसा भरवाया और लड़की को वहाँ ले जाकर बोला, “अब तुम्हें कल सुबह तक इन भूसों का सोना बनाना है. नहीं कर पाई, तो क्या होगा? ये तुम जानती हो.”

राजा वहाँ से चला गया. चक्की वाले की बेटी फ़िर रोने लगी. वही भयानक बौना फ़िर प्रकट हुआ. इस बार भी उसने सहायता करने का प्रस्ताव दिया और पूछा, “बताओ, इस बार तुम मुझे क्या दोगी?”

लड़की बोली, “मैं तुम्हें अपनी अंगूठी दे दूँगी.”

बौने ने रात भर में सारे भूसे को सोने में बदल डाला और सुबह अंगूठी लेकर चला गया. सुबह जब राजा ने पूरा कमरा सोने के धागे से भरा देखा, तो उसका लोभ और बढ़ गया.

वह लड़की को और भी बड़े कमरे में ले गया और बोला, “यदि तुम इस कमरे में भरे सारे भूसे को कातकर सोना बना दो, तो मैं अपने पुत्र का विवाह तुमसे कर दूंगा.”

उस रात वह कमरे में बैठी बौने का इंतज़ार करने लगी. जब बौना आया, तो उसे सारी बात बताई. तब बौना ने पूछा, “इस बार तुम मुझे क्या दोगी?”

“मेरे पास अब देने के लिए कुछ भी नहीं है.” लड़की उदास होकर बोली.

“वचन दो कि राजकुमार से विवाह के बाद जब तुम्हारा पहला बच्चा होगा, तो तुम उसे मुझे सौंप दोगी.” बौना बोला.

लड़की के पास और कोई चारा नहीं था. भूसे को सोना ना बना पाने पर मृत्यु निश्चित थी. इसलिए उसने बौने को वचन दे दिया.

रात भर बौना भूसे को कातता रहा और सुबह तक पूरा कमरा सोने के धागों से भर गया.

सुबह राजा कमरे में आया और उसने पूरा कमरा सोने के धागों से भरा देखा, तो ख़ुश होकर राजुकमार का विवाह लड़की से कर दिया.

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राजकुमार बहुत नेक दिल था. कुछ महिनों बाद ही राजा की मृत्यु हो गई और वह राज्य का राजा बन गया. चक्की वाले की बेटी अब राज्य की रानी थी.

एक वर्ष के बाद रानी ने एक सुंदर बच्चे को जन्म दिया. उसी रात वह भयानक बौना प्रकट हो गया और बोला, “मैं तुम्हारे बच्चे को लेने आया हूँ. अपना वचन निभाओ और बच्चा मुझे दे दो.”

रानी रोने लगी. वह बौने से प्रार्थना करने लगी, “मेरे बच्चे को मुझसे दूर मत करो. तुम जो चाहोगे मैं करूंगी.”

तब बौना बोला, “ठीक है. तीन दिनों के भीतर तुम मुझे मेरा नाम बताओगी. यदि तुमने सही बताया, तो मैं ये बच्चा नहीं ले जाऊंगा. यदि तुम नहीं बता पाई, तो फ़िर ये बच्चा मैं ले जाऊंगा.”

ये कहकर वो चला गया. पहला दिन बीता, रानी को बौने का कोई नाम समझ नहीं आया. दूसरा दिन बीता, लेकिन रानी बौने के नाम का कोई अनुमान नहीं लगा सकी. वो चिंतित हो गई. उसे समझ नहीं आया कि वो क्या करे?

चिंतित होकर वो बाग़ में टहलने लगी, तभी उसे किसी के गाने की आवाज़ सुनाई पड़ी. पेड़ के पीछे छुपकर उसने देखा, तो पाया कि वही बौना ख़ुश होकर गाना गा रहा है, “रानी को तो पता नहीं….नाम है मेरा क्या? मेरा नाम है रंपेलस्टिल्त्स्किन…..रंपेलस्टिल्त्स्किन है मेरा नाम.”

अब रानी को उसका नाम पता चल चुका था. वह महल लौट आई. रात में जब बौना आया और उसने अपना नाम पूछा, तो वो बोली, “तुम्हारा नाम रंपेलस्टिल्त्स्किन है.”

अपना नाम सुनते ही वह क्रोधित हो गया और अपना पैर इतनी जोर से जमीन पर मारा कि जमीन फट गई और वो उसमें समा गया. उसके बाद को कभी दिखाई नहीं दिया.

रानी अपने बच्चे और राजा के साथ ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगी.

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