रुरु मृग की कथा : जातक कथा | The Story Of Ruru Deer In Hindi Jatak Tales

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम  रुरु मृग की कथा – जातक कथा  (Ruru Mrig Ki Katha Jatak Katha) शेयर कर रहे है. यह जातक कथा एक करुणामयी, विवेकशील और मानवों की बोली बोलने वाले असाधारण सुनहरे मृग की है, वह अपने प्राणों पर खेलकर एक व्यक्ति के प्राणों की रक्षा करता है. किंतु, उसके बदले वह व्यक्ति उससे कृतघ्नता करता है.  उसकी कृतघ्नता का रुरु मृग पर क्या प्रभाव पड़ता है? जानने के लिए  पढ़िये The Story Of Ruru Deer Hindi Jatak Tales : 

Ruru Mrig Ki Katha 

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Ruru Mrig Ki Katha 
Ruru Mrig Ki Katha

गहन वन में सुनहरे रंग का रुरु मृग रहता था. उसके शरीर से नीलम, पन्ने और मोती की तरह आभा उत्पन्न होती थी. उसके मखमल से रेशमी बाल, आसमानी आँखें और सुंदर सींग मन मोह लेते हैं. उसे कुंचालें भरते हुए जो देखता, उसे सौंदर्य से अभिभूत हो जाता.

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रुरु मृग बुद्धिमान, विवेकशील और दयालु था. उसका सौंदर्य, उसके संस्कार, उसका व्यवहार उसे उसे एक असाधारण मृग बनाते थे. उसकी सबसे बड़ी विशेषता थी, उसका मनुष्य की बोली में बात-चीत करना. 

एक दिन वह वन में स्वच्छन्द विचरण कर रहा था कि उसे किसी व्यक्ति की चीत्कार सुनाई पड़ी. उस दिशा में जाकर उसके देखा कि एक मनुष्य नदी की तेज धारा में बह रहा है. रुरु मानव स्वभाव से पूर्ण परिचित था. वह जानता था कि मानव एक लोभी और स्वार्थी प्राणी है, अपने स्वार्थ के लिए वह मानवीय करुणा का भी त्याग कर देता है.

मानव का यह स्वभाव उसे हानि पहुँचा सकता है, यह ज्ञात होते हुए भी उसके हृदय में करुणा उमड़ पड़ी. अविलंब वह नदी में कूद पड़ा और तैरते हुए डूबते व्यक्ति के पास पहुँचकर बोला, “मानव, मेरे पैरों को मजबूती से पकड़ लो. मैं तुम्हें किनारे ले चलूंगा.”

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भयभीत व्यक्ति रुरु मृग के पैरों को पकड़ने के स्थान पर उसके पीठ पर ही चढ़ बैठा. इस स्थिति में रुरु मृग का तैरना दुष्कर था, तिस पर भी उसने उस व्यक्ति को झटककर स्वयं की पीठ से नहीं उतारा, बल्कि संयम धारण कर कष्ट सहते हुए भी उसे पीठ पर लादकर किनारे तक ले गया. व्यक्ति के प्राण बच गए. उसने रुरु मृग का धन्यवाद देना चाहा, तो रुरु मृग बोला –

“मानव, अगर तू वास्तव में मेरा धन्यवाद करना चाहता है, तो अपने नगर जाकर किसी को भी मेरे बारे में मत बताना. यदि लोग मेरी विशिष्टताओं के बारे में जानेंगे, तो निःसंदेह मुझे पकड़ने की अभिलाषा करेंगे. इस प्रकार मेरे स्वछन्द जीवन का नाश हो जाएगा.”

इतना कहकर रुरु मृग वन में चला गया और व्यक्ति अपने नगर.

कुछ दिनों पश्चात् उस राज्य के राजा की रानी को स्वप्न में रुरु मृग में दर्शन हुए. उसके सौंदर्य से मुग्ध रानी कई दिनों तक उसे अपने ह्रदय से निकाल नहीं पाई. उसके मन में उस सुंदर मृग को पाने की लालसा उत्पन्न हो गई और उसने राजा के समक्ष अपने इच्छा जताई. राजा ने अपनी रानी की इच्छा की पूर्ति के लिए पूरे राज्य में ढिंढोरा पिटवा दिया कि जो कोई भी रानी द्वारा स्वप्न में देखे मृग को ढूंढने मन सहायता करेगा, उसे एक गाँव और दस सुंदर युवतियाँ उपहार में दी जाएंगी.

जब राजा की यह घोषणा उस व्यक्ति ने सुनी, जिसकी रुरु मृग प्राण-रक्षा की थी, तो वह उसकी कृतज्ञता भूलकर तत्क्षण राजा के पहुँचा और रुरु मृग के निवास के बारे में जानकारी दे दी.

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राजा सैनिकों को लेकर उस वन में पहुँचा, जहाँ रुरु मृग का निवास था. उसके सैनिकों ने रुरु मृग के निवास को घेर लिया. रुरु मृग के पास बचाव का कोई रास्ता नहीं था. वह राजा के सामने आ गया. उसे देख राजा चकित रह गया. उसकी छबि रानी द्वारा स्वप्न में देखे मृग जैसी थी. उसे धनुष-बाण रुरु मृग पर तान दिया.

तब रुरु मृग ने मनुष्य की बोली में राजा से पूछा, “राजन, तुम मुझे चाहे पकड़ो या मारो, किंतु पहले मुझे यह बताओ कि तुम्हें मेरे निवास के बारे में किसने बताया?”

वह व्यक्ति उस समय राजा के साथ था. राजा ने बाण की दिशा उसकी ओर मोड़ दी. उस कृतघ्न व्यक्ति को देख रुरु मृग ने कहा –

“निकाल लो लकड़ी के कुंदे को पानी से, न निकालना कभी एक अकृतज्ञ मानव को.”

राजा को रुरु मृग के कथन का आशय समझ नहीं आया. पूछने पर रुरु मृग ने उस व्यक्ति के नदी में डूबने और उसे बचाने का सारा वृतांत राजा को सुना दिया. सारा वृत्तांत सुनकर राजा के हृदय में भी करुणा का भाव जागृत हो उठा. उसने रुरु मृग से क्षमायाचना की और आवेश में आकर उस कृतघ्न मनुष्य का संहार करने उस पर बाण तान दिया.

यह देख रुरु मृग के पुनः करुणा दर्शाते हुए राजा से उस व्यक्ति को क्षमा कर देने की प्रार्थना की. राजा ने प्रार्थना स्वीकार कर उस व्यक्ति का वध नहीं किया. अपने राज्य की ओर प्रस्थान करने के पूर्व उसने रुरु मृग को महल में अतिथि स्वरुप पधारने का आमंत्रण दिया, जिसे रुरु मृग के सहर्ष स्वीकार किया. कुछ दिनों तक रुरु मृग राजा के आतिथ्य में रहा और पुनः वन में लौट आया.              

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