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सच्ची दोस्ती की कहानी | Sachi Dosti Ki Kahani Short Story

सच्ची दोस्ती की कहानी (Sachi Dosti Ki Kahani Short Story) True Friendship Story In Hindi इस पोस्ट में शेयर की जा रही है।

Sachi Dosti Ki Kahani

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Sachi Dosti Ki Kahani

एक गाँव में राम और श्याम नाम के दो घनिष्ठ मित्र रहते थे। दोनों की दोस्ती बचपन से ही थी और वे हमेशा एक-दूसरे की मदद करते थे। एक बार गाँव में एक बड़ा मेला लगा। मेला देखने के लिए राम और श्याम दोनों ने छुट्टी ली और तय किया कि वे साथ मिलकर मेले का आनंद लेंगे।

मेले में तरह-तरह की दुकाने, झूले, और खेलकूद की चीजें थीं। राम और श्याम ने खूब मस्ती की, कई चीजें खरीदी और तरह-तरह के खेल खेले। तभी उन्होंने देखा कि एक दुकान पर एक वृद्ध व्यक्ति बैठा था, जिसके पास बहुत ही अनोखे खिलौने थे। खिलौने देखकर दोनों की आँखें चमक उठीं। वृद्ध व्यक्ति ने बताया कि यह कोई साधारण खिलौने नहीं हैं, बल्कि ये जीवन की सच्चाई सिखाने वाले खिलौने हैं।

राम और श्याम ने उस वृद्ध व्यक्ति से एक-एक खिलौना खरीदा। राम को मिला एक खूबसूरत काँच का खिलौना, जबकि श्याम को एक साधारण मिट्टी का खिलौना मिला। राम ने खिलौने को बहुत कीमती समझा और उसे बड़ी सावधानी से रखा, जबकि श्याम ने अपने खिलौने को खेल-खेल में गिरा दिया और उसका एक हिस्सा टूट गया।

वापस लौटते समय, रास्ते में उन्हें एक नदी पार करनी थी। नदी का पानी तेजी से बह रहा था और वहाँ एक पुल भी था, जो बहुत पुराना और कमजोर हो चुका था। राम ने कहा, “श्याम, यह पुल बहुत खतरनाक लगता है। हमें यहाँ से नहीं जाना चाहिए।”

श्याम ने सोचा, “राम सही कह रहा है।” लेकिन दूसरी ओर जाने के लिए कोई और रास्ता नहीं था। अंत में, दोनों ने हिम्मत जुटाई और पुल पार करने का निर्णय लिया।

जब वे पुल के बीच में पहुँचे, तभी अचानक एक जोरदार आवाज आई और पुल टूटने लगा। राम और श्याम दोनों पानी में गिर गए। पानी का बहाव बहुत तेज था और दोनों को तैरना नहीं आता था। राम ने अपने काँच के खिलौने को बचाने की कोशिश की, लेकिन वह पानी में बह गया और राम खुद भी बहने लगे। श्याम ने देखा कि राम मुश्किल में है, तो उसने अपने टूटे हुए खिलौने की चिंता नहीं की और तुरंत राम की मदद करने के लिए तैरने की कोशिश की।

श्याम ने जैसे-तैसे राम को पकड़ा और दोनों किसी तरह तैरते हुए किनारे तक पहुँच गए। राम ने देखा कि श्याम का खिलौना टूट चुका था, फिर भी उसने अपनी जान की परवाह न करते हुए उसकी मदद की। राम को एहसास हुआ कि सच्ची दोस्ती का मूल्य किसी भी काँच के खिलौने से कहीं अधिक है।

दोनों ने वृद्ध व्यक्ति के पास जाकर उसे सारी घटना बताई। वृद्ध व्यक्ति मुस्कुराया और कहा, “तुम दोनों ने जो सिखा है, वही इस खिलौने का असली मकसद था। राम, तुम्हारा काँच का खिलौना तुम्हारे अहंकार और खुद के प्रति प्यार को दर्शाता था, जबकि श्याम का मिट्टी का खिलौना सच्चे दोस्ती और बलिदान को।”

राम ने श्याम से माफी माँगी और कहा, “मैंने सच्ची दोस्ती का महत्व नहीं समझा। आज तुमने मेरी जान बचाई और मुझे सिखाया कि सच्चे मित्र हमेशा साथ होते हैं, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो।”

श्याम ने हंसते हुए कहा, “दोस्त, हमारे बीच कोई माफी या धन्यवाद की जरूरत नहीं है। हम दोस्त हैं और दोस्ती का यही मतलब होता है।”

इस घटना के बाद, राम और श्याम की दोस्ती और भी मजबूत हो गई। दोनों ने मिलकर गाँव में एक ऐसा संगठन बनाया, जो संकट में फंसे लोगों की मदद करता था। उनके इस प्रयास से गाँव के अन्य लोग भी प्रेरित हुए और सभी ने मिलकर एक समृद्ध और खुशहाल समाज का निर्माण किया।

सीख

यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची दोस्ती और निःस्वार्थ सेवा का मूल्य किसी भी वस्तु से बढ़कर होता है। जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएँ, सच्चे मित्र हमेशा हमारे साथ होते हैं और हमें हर मुश्किल से निकालने का प्रयास करते हैं। दोस्ती का यही महत्व है, और यही प्रेरणा हमें इस कहानी से मिलती है।

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