शिमशोन की कहानी बाइबल में | Samson Story in Bible in Hindi

शिमशोन की कहानी बाइबल में (Samson Story in Bible in Hindi) Samson Ki Kahani Bible Mein इस पोस्ट में शेयर की जा रही है:

Samson Story in Bible in Hindi

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Samson Story in Bible in Hindi

प्राचीन काल की बात है, इस्राएल पर पलिश्तियों का शासन था और इस्राएली लोग बहुत परेशान थे। उन्हीं दिनों इस्राएलियों में एक व्यक्ति था, जिसका नाम मनोवह था। उसकी पत्नी संतानहीन थी, और वे दोनों इस बात से बहुत दुखी थे। एक दिन, एक देवदूत ने मनोवह की पत्नी को दर्शन दिए और कहा, “तुम्हें एक पुत्र होगा। यह बच्चा विशेष होगा और इसे नाज़ीर की तरह पालन-पोषण करना होगा। उसे अपने सिर पर कभी उस्तरा नहीं चलाना चाहिए, शराब और अनार का रस नहीं पीना चाहिए, और किसी भी अशुद्ध वस्तु को नहीं छूना चाहिए। वह इस्राएल को पलिश्तियों से मुक्त करेगा।”

समय बीतता गया और मनोवह की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया। उन्होंने उसका नाम शिमशोन रखा। जैसे-जैसे शिमशोन बड़ा हुआ, उसमें अद्वितीय शारीरिक शक्ति विकसित हुई। एक दिन, जब वह एक अंगूर के बाग से गुजर रहा था, अचानक एक शेर ने उस पर हमला किया। शिमशोन ने अपनी नंगी हाथों से शेर को मार डाला। यह उसके असाधारण बल का पहला प्रदर्शन था।

समय के साथ, शिमशोन ने इस्राएलियों की रक्षा के लिए पलिश्तियों के खिलाफ लड़ाई शुरू कर दी। उसने कई बार पलिश्तियों को हराया और उन्हें हानि पहुँचाई। एक बार उसने 300 लोमड़ियों को पकड़कर उनकी पूंछों में मशालें बांध दीं और उन्हें पलिश्तियों की फ़सलें जलाने के लिए छोड़ दिया। एक अन्य अवसर पर, उसने अकेले ही 1,000 पलिश्तियों को गधे की जबड़े की हड्डी से मार डाला।

शिमशोन की शक्ति का रहस्य उसके लंबे बालों में छिपा था। लेकिन शिमशोन के जीवन में एक मोड़ तब आया, जब वह दलिला नामक एक सुंदर पलिश्ती महिला से मिला। दलिला को पलिश्तियों ने शिमशोन का शक्ति का रहस्य पता करने के लिए भेजा था। कई बार कोशिश करने के बाद, शिमशोन ने अंततः दलिला को अपने बल का रहस्य बता दिया। उसने कहा, “मेरे बालों में मेरी शक्ति है। यदि मेरे बाल काट दिए जाएं, तो मैं कमजोर हो जाऊंगा।”

एक रात, जब शिमशोन गहरी नींद में था, दलिला ने उसके बाल काट दिए। जब वह जागा, तो उसकी सारी शक्ति चली गई थी। पलिश्तियों ने उसे पकड़ लिया, उसकी आंखें निकाल दीं और उसे बंदी बना लिया। उन्होंने उसे एक मिल में काम करने के लिए भेज दिया, जहां उसने अनाज पीसने का काम किया।

समय बीतता गया और शिमशोन के बाल फिर से बढ़ने लगे। उसके साथ ही उसकी शक्ति भी लौटने लगी। एक दिन, पलिश्तियों ने उसे अपने मंदिर में एक मनोरंजन के रूप में प्रस्तुत किया। हजारों पलिश्ती लोग वहां इकट्ठा हुए थे। शिमशोन ने भगवान से प्रार्थना की, “हे भगवान, मुझे एक बार फिर से शक्ति दो, ताकि मैं पलिश्तियों से बदला ले सकूं।” उसने मंदिर के दो मुख्य स्तंभों को पकड़ा और अपनी पूरी शक्ति से उन्हें हिला दिया। स्तंभ गिर गए और पूरा मंदिर ध्वस्त हो गया, जिसमें सभी लोग, जिनमें शिमशोन भी शामिल था, मारे गए।

इस प्रकार, शिमशोन ने अपने जीवन का अंतिम बलिदान दिया और इस्राएलियों को पलिश्तियों के अत्याचार से मुक्त कराया। शिमशोन की कहानी न केवल उनकी अद्वितीय शक्ति और वीरता की है, बल्कि यह भी दिखाती है कि ईश्वर की योजना में हर व्यक्ति का एक विशेष स्थान और उद्देश्य होता है। शिमशोन की असफलताओं और कमजोरियों के बावजूद, उसने अपने लोगों के लिए एक महान बलिदान दिया और हमेशा के लिए एक नायक के रूप में याद किया जाएगा।

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