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सरकटा भूत की कहानी | Sarkata Bhut Ki Kahani

sarkata bhut ki kahani सरकटा भूत की कहानी | Sarkata Bhut Ki Kahani
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Sarkata Bhut Ki Kahani

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Sarkata Bhut Ki Kahani

बहुत समय पहले की बात है, भारत के एक सुदूर गाँव में एक कहानी प्रचलित थी, जो सुनते ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते थे। यह कहानी थी “सरकटा भूत” की। गाँव घने जंगलों से घिरा हुआ था और लोगों का मानना था कि उस जंगल में सरकटा भूत का वास है। इस भूत की कहानी पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही थी, और हर कोई इससे डरता था।

गाँव के बीचोंबीच एक बुज़ुर्ग व्यक्ति, रामदीन, एक चबूतरे पर बैठकर रोज़ शाम को गाँव के बच्चों को किस्से-कहानियाँ सुनाया करता था। एक दिन, जब बच्चे अपनी पसंदीदा कहानी सुनने के लिए इकट्ठा हुए, तो उनमें से एक, मोहन, ने पूछा, “दादा, क्या ये सच है कि जंगल में सरकटा भूत रहता है?”

रामदीन ने गहरी साँस ली और कहा, “हां बेटा, ये कहानी तो बहुत पुरानी है। सुनोगे तो शरीर में सिहरन दौड़ जाएगी।”

सभी बच्चे उत्सुकता से रामदीन की ओर देखने लगे। रामदीन ने कहना शुरू किया, “बहुत साल पहले, इस गाँव में एक बहादुर सैनिक रहता था। उसका नाम था वीर सिंह। वह गाँव का गर्व था, हमेशा निडर और साहसी। एक दिन युद्ध में, वीर सिंह को दुश्मनों ने घेर लिया। उन्होंने उसकी जान तो नहीं ली, पर उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। कहते हैं कि वीर सिंह की आत्मा को शांति नहीं मिली, और तभी से वह ‘सरकटा भूत’ बन गया।”

यह सुनकर मोहन की आँखें बड़ी हो गईं। उसने हिम्मत जुटाकर पूछा, “तो दादा, फिर क्या हुआ?”

रामदीन ने आवाज़ को और गहरी बनाते हुए कहा, “लोगों का कहना है कि वीर सिंह का भूत आज भी अपने सिर की तलाश में भटक रहा है। रात होते ही वह जंगल में निकल पड़ता है, और जो भी उसकी राह में आता है, उसे मार डालता है। कहते हैं, अगर किसी ने उसका सिर ढूँढकर उसे लौटा दिया, तो उसकी आत्मा को शांति मिल जाएगी। लेकिन, ये काम बहुत खतरनाक है।”

अचानक, पास में खड़े एक अन्य बच्चे, सोहन, ने थोड़ी सी हँसी के साथ कहा, “ये सब झूठ है दादा, ऐसा कुछ नहीं होता। अगर वो भूत है, तो अब तक किसी ने देखा क्यों नहीं?”

रामदीन ने सोहन की ओर देखा और गंभीरता से कहा, “तुम्हें हंसी आ रही है, पर मैंने खुद उसे देखा है। ये बात सालों पुरानी है, जब मैं जवान था। एक रात, जब मैं जंगल के रास्ते से लौट रहा था, तो मैंने उसे देखा। उसने सफेद कपड़े पहने हुए थे, और सबसे भयानक बात ये थी कि उसका सिर नहीं था। मैंने तुरंत वहाँ से भागने में ही भलाई समझी।”

सोहन अब थोड़ी चिंता में पड़ गया। वह सोचने लगा, “क्या सच में ऐसा हो सकता है?”

इसी बीच, गाँव के सरपंच, हरिप्रसाद, वहाँ से गुज़र रहे थे। उन्होंने रामदीन की बातें सुनीं और बोले, “रामदीन, तुम बच्चों को बेवजह डराते हो। ये सब अंधविश्वास है। कोई सरकटा भूत नहीं होता।”

रामदीन ने धीमी आवाज़ में कहा, “सरपंच जी, मैं जानता हूँ कि आप इसे अंधविश्वास मानते हैं, लेकिन गाँव में जो कुछ भी हुआ है, उसे कैसे नकार सकते हैं?”

सरपंच ने कहा, “अगर सच में कोई भूत है, तो मैं खुद जंगल में जाऊँगा और उसकी सच्चाई जानकर आऊँगा।”

गाँववालों में सरपंच की बात फैल गई। अगले दिन, सभी गाँववाले सरपंच को विदा करने के लिए इकट्ठा हुए। सरपंच ने गाँववालों से कहा, “अगर मैं नहीं लौटा, तो समझ जाना कि रामदीन की बातों में सच्चाई थी।”

रात का समय हो चुका था। पूरा गाँव साँस रोके सरपंच के लौटने का इंतजार कर रहा था। कुछ घंटे बीत गए, और फिर आधी रात हो गई। तभी अचानक, जंगल से एक दिल दहला देने वाली चीख सुनाई दी। गाँववालों का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।

कुछ समय बाद, सरपंच की चीख के बाद, गाँववाले सरपंच को खोजने निकले। जंगल के किनारे पहुँचे, तो उन्होंने देखा कि सरपंच की लाश पड़ी थी, और उसका सिर गायब था। सभी गाँववाले हैरान और डर गए। 

रामदीन ने कहा, “मैंने कहा था न, सरकटा भूत सच है। अब कोई संदेह नहीं रह गया।”

उस दिन के बाद, गाँववाले जंगल की ओर जाने से कतराने लगे। सरपंच की मौत ने सबको यह यकीन दिला दिया था कि सरकटा भूत की कहानी सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि कड़वी सच्चाई है। 

रामदीन के कहे शब्द सच साबित हुए थे, और गाँव में सरकटा भूत का खौफ और भी बढ़ गया। कोई नहीं जानता था कि भूत की आत्मा को शांति कैसे मिलेगी, पर एक बात सबको साफ थी— उस भूत का सामना करने की हिम्मत अब कोई नहीं करेगा।

गाँव में आज भी रात के समय, जब हवा की हल्की सरसराहट सुनाई देती है, तो लोग कहते हैं कि वह सरकटा भूत ही है, जो अपने सिर की तलाश में भटक रहा है।

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