फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम तेनालीराम की कहानी “सीमा की चौकसी” (Seema Ki Chauksi Tenali Ram Ki Kahani) शेयर कर रहे है. विजयनगर राज्य की सीमा में होने वाली घुसपैठी को तेनालीराम कैसे रोकता है. यही इस कहानी में वर्णन किया गया है. पढ़िए पूरी कहानी :
Seema Ki Chauksi Tenali Ram Ki Kahani
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“तेनालीराम की कहानियों” का पूरा संकलन यहाँ पढ़ें : click here
विजयनगर की सीमा में घुसपैठ की घटनाएँ बढ़ती जा रही थी. चिंतित होकर राजा कृष्णदेव राय ने मंत्री परिषद् की बैठक आयोजित की. बैठक में इन घटनाओं की रोकथाम के संबंध में चर्चा होने लगी.
“महाराज! सीमा पर घुसपैठ पड़ोसी देश के गुप्तचरों द्वारा की जा रही है.” सेनापति ने बताया.
“ऐसे में हमें सचेत रहना होगा महाराज और सीमा पर चौकसी बढ़ानी होगी.” मंत्री ने परामर्श दिया.
एक-एक कर सभी दरबारियों ने अपने-अपने परामर्श दिए. जब तेनालीराम की बारी आई, तो वह बोला, “महाराज! सर्वोत्तम उपाय यही होगा कि सीमा पर एक मजबूत दीवार का निर्माण किया जाये और वहाँ गश्त के लिए सिपाही लगा दिए जाएं.”
मंत्री ने इस बात का विरोध किया. किंतु, राजा कृष्णदेव राय ने तेनालीराम का परामर्श मानने का निर्णय लिया. सीमा पर दीवार निर्माण की ज़िम्मेदारी भी तेनालीराम को सौंप दी गई.
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तेनालीराम ने सहर्ष यह ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर उठा ली. दीवार निर्माण के लिए छः माह की समय सीमा निर्धारित थी. दो माह बीत जाने के बाद जब राजा कृष्णदेव राय ने कार्य-प्रगति का अवलोकन किया, तो पाया कि दीवार निर्माण हुआ ही नहीं है.
उन्होंने तेनालीराम से पूछा, “तेनालीराम! दो माह बीत जाने के उपरांत भी दीवार निर्माण का पूर्ण क्यों नहीं हो पाया?”
तेनालीराम ने उत्तर दिया, “महाराज! मैंने कार्य प्रारंभ करवा दिया था. किंतु, एक पहाड़ बीच में आ गया है. मैं उसे ही हटवा रहा हूँ.”
“किंतु, हमारी राज्य सीमा में तो कोई पहाड़ नहीं है.” चकित राजा बोले.
“महाराज! लगता है तेनालीराम का दिमाग ख़राब हो गया है. तभी ये कुछ भी अनाप-शनाप कह रहा है.” मंत्री बोल पड़ा.
यह सुनकर तेनालीराम बोला, “महाराज! मुझे अपनी बात स्पष्ट करने का अवसर प्रदान करें.”
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फिर उसने कुछ सैनिकों को संकेत किया और वे सैनिक बीस लोगों को लेकर महाराज के समक्ष उपस्थित हुए. सारे दरबारी आश्चर्यचकित थे.
“तेनालीराम! ये कौन हैं?” राजा कृष्णदेव राय ने पूछा.
“महाराज! ये पड़ोसी देश के घुसपैठिये हैं. ये लोग दीवार निर्माण में अवरोध उत्पन्न कर रहे थे. दिन भर में निर्मित दीवार को ये लोग रात में तोड़ दिया करते थे. इनके पहले भी कई घुसपैठिये पकड़े गए थे, किंतु मंत्री जी के कहने पर उन्हें छोड़ दिया गया था.” तेनालीराम ने बताया.
पोल खुल जाने के कारण मंत्री की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई. वह क्षमा याचना करने लगा. राजा कृष्णदेव राय ने सीमा की चौकसी की ज़िम्मेदारी तेनालीराम को सौंप दी और मंत्री को दंडित किया.
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