Shekh Chilli Ki Kahani

शेख चिल्ली और कुत्ते की कहानी | Sheikh Chilli Aur Kutte Ki Kahani

शेख चिल्ली और कुत्ते की कहानी (Sheikh Chilli Aur Kutte Ki Kahani) Sheikh Chilli And Dog Story In Hindi 

शेख चिल्ली का नाम सुनते ही हमारे चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। उनकी कहानियाँ हास्य से भरी होती हैं और जीवन की सच्चाइयों को मज़ेदार तरीके से पेश करती हैं। शेख चिल्ली की भोली-भाली हरकतें और उनकी अतरंगी सोच उनकी कहानियों को खास बनाती हैं। आज की कहानी में शेख चिल्ली और उसके प्यारे कुत्ते ‘डोली’ का किस्सा है। यह कहानी मज़ेदार तो है ही, साथ ही हमें कुछ महत्वपूर्ण बातें भी सिखाती है।

Sheikh Chilli Aur Kutte Ki Kahani

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Sheikh Chilli Aur Kutte Ki Kahani

शेख चिल्ली अपने छोटे से गांव में रहते थे। गांव के लोग उनकी मासूमियत और कभी-कभी उनकी बेवकूफी पर हंसते थे, लेकिन उन्हें शेख चिल्ली से बहुत प्यार भी था। शेख चिल्ली की दुनिया बड़ी साधारण थी। एक दिन, जब वह गांव के खेतों की तरफ घूमने निकला, तो उसे एक छोटा, भूरे रंग का प्यारा सा कुत्ता मिला। कुत्ते की आँखें बड़ी मासूम और चमकदार थीं, और उसकी पूंछ लगातार हिल रही थी। शेख चिल्ली को कुत्ते से पहली नज़र में ही लगाव हो गया। उसने कुत्ते को गोद में उठाया और घर ले आया। 

“तुम्हारा नाम डोली होगा,” शेख चिल्ली ने मुस्कुराते हुए कहा।  

डोली ने पूंछ हिलाकर जैसे शेख चिल्ली की बात पर सहमति दे दी। 

डोली और शेख चिल्ली के बीच गहरी दोस्ती हो गई। शेख चिल्ली डोली को दूध पिलाता, उसे नहलाता और उसके साथ खेलने के लिए दिनभर इधर-उधर दौड़ता। शेख चिल्ली के घर में सादगी थी, लेकिन अब डोली ने उनके जीवन में एक नई ख़ुशी भर दी थी।  

डोली भी शेख चिल्ली के हर कदम पर साथ रहती। चाहे शेख चिल्ली गांव के बाजार जाए या खेतों में, डोली हमेशा उसके साथ रहती। गांव के लोग शेख चिल्ली को देखकर हंसते और कहते, “शेख चिल्ली, ये कुत्ता भी तेरे जैसा मासूम है। अब देखना, तू इसके साथ भी कुछ न कुछ गड़बड़ करेगा।”  

शेख चिल्ली इन बातों को हंसकर टाल देता।  

एक दिन शेख चिल्ली गांव के बाजार गया। बाजार में उसकी नजर एक खूबसूरत हाथ के पंखे पर पड़ी। पंखा चमकदार और रंगीन था। “क्या शानदार चीज़ है! इसे खरीदकर घर में लगाऊंगा,” उसने सोचा।  

पंखे की कीमत थोड़ी ज्यादा थी, लेकिन शेख चिल्ली ने किसी तरह पैसे जोड़कर उसे खरीद लिया। खुशी-खुशी वह पंखा लेकर घर लौटा और उसे अपने कमरे में लगा दिया। अब उसे लगा कि उसका कमरा और भी खास हो गया है।  

शाम को शेख चिल्ली ने सोचा कि डोली को भी नए पंखे का आनंद लेने देना चाहिए। उसने डोली को पंखे के नीचे लाकर बैठा दिया और पंखा चला दिया।  

जैसे ही पंखा चला, डोली असहज हो गई। उसके कान खड़े हो गए, और वह इधर-उधर देखने लगी। कुछ ही देर बाद, डोली तेजी से पंखे के नीचे से भागकर शेख चिल्ली के पास आ गई। उसके शरीर के सारे बाल खड़े हो गए थे, और वह लगातार भौंक रही थी।  

शेख चिल्ली घबरा गया। “अरे डोली, क्या हुआ? डर क्यों रही हो?” उसने डोली को शांत करने की कोशिश की। लेकिन डोली बार-बार पंखे की ओर देखकर भौंकने लगती। उसकी लाल आंखें और कांपता हुआ शरीर देखकर शेख चिल्ली को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर गलती कहाँ हुई।  

डोली की हालत देखकर शेख चिल्ली ने तुरंत पंखा बंद कर दिया। जैसे ही पंखा बंद हुआ, डोली शांत हो गई।  

शेख चिल्ली को अब समझ में आया कि डोली पंखे की हवा से डर रही थी। उसने डोली को गोद में उठाया और प्यार से दुलारते हुए कहा, “डोली, ये तो सिर्फ हवा है। तुझे डरने की ज़रूरत नहीं।”  

लेकिन डोली के मासूम चेहरे को देखकर शेख चिल्ली को एहसास हुआ कि उसकी सोच और डोली की भावनाएँ अलग थीं। उसने तुरंत पंखा कमरे से हटा दिया। “डोली, तुझे डराने का मेरा इरादा नहीं था। अब ये पंखा हमारे घर में नहीं रहेगा।”  

डोली ने शेख चिल्ली की गोद में सिर रखा, जैसे वह उसकी बात समझ गई हो।  

अगले दिन जब गांव वालों को यह घटना पता चली, तो वे शेख चिल्ली पर हंसने लगे। “शेख चिल्ली, तेरे कुत्ते को भी तूने परेशान कर दिया। अब पंखा भी कुत्ते से डराने लगा!”  

शेख चिल्ली ने हंसते हुए जवाब दिया, “हां, लेकिन मैंने अपनी गलती से सीख ली है। अब मैं डोली की भावनाओं का ध्यान रखूंगा।”  

गांव वाले उसकी बात सुनकर चुप हो गए।  

सीख

इस मज़ेदार घटना से हमें यह सीख मिलती है कि हर किसी की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए, चाहे वह इंसान हो या जानवर। शेख चिल्ली ने अपनी गलती समझी और उसे सुधारने की कोशिश की।  

जानवरों का व्यवहार कभी-कभी हमारी समझ से परे होता है, लेकिन अगर हम उन्हें ध्यान से देखें और उनके प्रति संवेदनशील रहें, तो उनकी भावनाओं को समझ सकते हैं।  

शेख चिल्ली और डोली की इस कहानी ने न सिर्फ हमें हंसाया, बल्कि यह भी सिखाया कि हमें दूसरों के दृष्टिकोण को समझने की कोशिश करनी चाहिए। यह कहानी हमें बताती है कि प्यार और देखभाल सिर्फ देने का नाम नहीं है, बल्कि यह समझने का भी है कि जिसे आप प्यार करते हैं, उसकी भावनाएँ क्या हैं।  

शेख चिल्ली भले ही भोले हों, लेकिन उनकी कहानियों में हमेशा जीवन का एक गहरा संदेश छिपा होता है।

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