Shekh Chilli Ki Kahani Funny Story In Hindi

शेखचिल्ली और भैंस की कहानी | Shekh Chilli And Buffalo Story In Hindi

[शेखचिल्ली और भैंस की कहानी, Shekh Chilli Aur Bhains Ki Kahani, Shekh Chilli And Buffalo Story In Hindi]

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम शेखचिल्ली और भैंस की कहानी (Shekh Chilli Aur Bhains Ki Kahani) शेयर कर रहे हैं. इस कहानी में एक सूफ़ी संत शेख चिल्ली को भैंस पाने का एक तरीका बताता है. क्या वो तरीका आज़माने से शेख चिल्ली को भैंस मिल पाती है? जानने के लिए पढ़िए ये मज़ेदार किस्सा (Shekh Chilli And Buffalo Story In Hindi)

Shekh Chilli Aur Bhains Ki Kahani

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Shekh Chilli Aur Bhains Ki Kahani

Shekh Chilli Aur Bhains Ki Kahani

पढ़े शेखचिल्ली की संपूर्ण कहानियाँ  

एक बार शेखचिल्ली के गाँव में एक सूफ़ी संत आया. गाँव के मैदान में उसका प्रवचन हुआ. गाँव के लोग मैदान में इकट्ठा थे और प्रवचन सुन रहे थे. संत कह रहा था, “यदि तुम लोग रोज़ अल्लाह की इबादत करोगे, तो अल्लाह तुम्हें ईनाम के तौर पर भैंस देगा.”

उसी समय शेखचिल्ली वहाँ से गुजर रहा था. उसने कानों में जब यह बात पड़ी, तो वह ख़ुद को रोक न सका. वह फ़ौरन संत के पास पहुँच गया. उसे भैंस तो हर हाल में चाहिए थी, लेकिन वह नहीं चाहता था कि उसके साथ किसी प्रकार का छल हो. कहीं भैंस वाली बात झूठ तो नहीं, ये जानने के लिए उसने संत से पूछा, “क्या अल्लाह सच में मुझे भैंस देगा, यदि मैं रोज़ उसकी इबादत करूंगा.”

“इबादत करके देखो, ख़ुद-ब-ख़ुद पता चल जाएगा.” संत के जवाब दिया.

पढ़ें : कैसे पड़ा शेख चिल्ली का नाम? 

अगले ही दिन से शेखचिल्ली रोज़ दिन में कई बार अल्लाह की इबादत करने लगा. उसे खाने-पीने की भी सुध न रही. एक महिना गुज़र गया. इतने वक़्त में तो मुझे भैंस मिल जानी चाहिए, शेखचिल्ली ने सोचा. वह घर के दरवाज़े पर गया और इधर-उधर देखने लगा. लेकिन उसे कोई भैंस नज़र नहीं आई.

वह भागा-भागा संत के पास पहुँचा और शिकायती अंदाज़ में बोला, “मैंने एक महिने तक अल्लाह की इबादत की, लेकिन मुझे भैंस नहीं मिली.”

संत बोला, “मैंने तो वो इसलिए कहा था कि तुम दिल लगाकर अल्लाह की इबादत करना शुरू कर दो. जहाँ तक भैंस की बात है, वो बाज़ार जाकर ख़रीद लो, वो तुम्हें मिल जाएगी.”

शेखचिल्ली ख़ुद को छला महसूस करने लगा. उसे लगा कि संत ने उसे मूर्ख बनाया है. लेकिन वह ख़ुद को उनके सामने मूर्ख नहीं दिखाना चाहता था. इसलिए बोला, “तुम्हें लग रहा होगा कि तुमने मुझे बेवकूफ़ बनाया है. लेकिन सुन लो कि इबादत तो मैंने भी नहीं की थी, मैंने भी बस अपने होंठ हिलाए थे. मैंने तुम्हें बेवकूफ़ बनाया है, समझे.” और हँसता हुआ वहाँ से चला गया. संत हक्का-बक्का सा उसे देखता रह गया.


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