फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम शेखचिल्ली की कहानी “शेख चिल्ली की खुरपी को बुखार“(Shekh Chilli Aur Khurpi Wala Kissa) शेयर कर रहे हैं. एक बार शेख चिल्ली की खुरपी धूप में गर्म हो जाती है और उसे लगता है कि खुरपी को बुखार हो गया है. उसके बाद उसकी बेवकूफ़ी से भरी हरक़त कैसी स्थिति उत्पन्न कर देती है? ये जानने के लिए पढ़िये शेख चिल्ली का ये किस्सा (Shekh Chilli Ki Khurpi Ko Chadha Bukhar) :
Shekh Chilli Aur Khurpi Wala Kissa
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पढ़े शेखचिल्ली की संपूर्ण कहानियाँ
एक दिन शेखचिल्ली की माँ को किसी जान-पहचान वाले की शादी में जाना था. घर से निकलते समय वह शेख चिल्ली से बोली, “चिल्ली! जंगल जाकर घास छील लेना और उसे पड़ोसी के घर छोड़कर उससे पैसे ले लेना. ये काम सही तरीके से करोगे, तभी मैं तुम्हें शादी से लाई मिठाइयाँ दूंगी.”
शेख चिल्ली ने हामी तो भर दी, लेकिन माँ के जाते ही उन मिठाइयों के सपने में खो गया, जो उसकी माँ शादी से लाने वाली थी.
जब माँ घर वापस आई, तो शेख चिल्ली को बिस्तर पर लेटकर सपना देखता हुआ पाया. उसने उसे झंझोड़कर उठाया और डांटते हुए बोली, “तू फिर दिन में सपने देखने लगा. जा जंगल जाकर घास छील. वरना तुझे मिठाइयाँ नहीं मिलने वाली.”
मिठाइयों के चक्कर में शेख चिल्ली को जंगल जाना पड़ा. वहाँ तेज धूप में पसीना बहाकर उसने घास छीली और उसे पड़ोसी को बेचकर मिले पैसे जाकर अपनी माँ के हाथ पर रख दिए. माँ ने ख़ुश होकर उसे शादी से लाई मिठाइयाँ दी.
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मिठाइयाँ खाते हुए शेख चिल्ली को याद आया कि घास छीलने की खुरपी तो वह जंगल में ही छोड़ आया है. फिर क्या था? एक बार में ही सारी मिठाइयाँ अपने मुँह में ठूंसकर वह खुरपी लेने भागा-भागा जंगल गया.
खुरपी तेज धूप में पड़ी हुई थी. शेख चिल्ली ने जैसे ही खुरपी को छुआ, वह चीख पड़ा. तेज धूप में लंबे समय तक पड़े रहने से खुरपी बहुत गर्म हो चुकी थी. शेख चिल्ली को लगा कि खुरपी को बुखार हो गया है.
वह खुरपी लेकर फ़ौरन हक़ीम के पास पहुँचा और बोला, “हक़ीम साहब, देखिये मेरी खुरपी को बुखार हो गया है. इसके लिए दवाई दे दीजिये.”
हक़ीम शेख चिल्ली की बेवकूफियों से वाकिफ़ था. इसलिए उसने कह दिया, “हाँ चिल्ली, तुम्हारी खुरपी को तो बहुत तेज बुखार है. लेकिन, बात यह है कि यह दवाई से नहीं उतरने वाला. तुम्हें इसे रस्सी से बांधकर कुएं के पानी में डुबकी दिलवानी होगी. तभी इसका बुखार उतरेगा.”
शेखचिल्ली ने वैसा ही किया, जैसा हक़ीम ने बताया. खुरपी को रस्सी से बांधकर कुएं के पानी में डुबकियाँ दिलवाई. पानी में डूबते ही खुरपी ठंडी हो गई, शेखचिल्ली को लगा कि हक़ीम का नुस्खा काम कर गया.
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इस घटना को कुछ ही दिन बीते थे कि एक दिन शेखचिल्ली के पड़ोस में रहने वाली एक बूढ़ी औरत को तेज बुखार आ गया. बुखार में उसका शरीर बुरी तरह तप रहा था. घरवाले उसे हक़ीम के पास ले जाने लगे. रास्ते में उनकी मुलाक़ात शेख चिल्ली से हो गई.
शेखचिल्ली ने पूछा, “भाई लोग, इतनी हड़बड़ी में कहाँ जा रहे हो?”
“अम्मा को बुखार आ गया है. हम इन्हें हक़ीम के पास ले जा रहे हैं.” बूढ़ी औरत के घरवाले बोले.
“इसके लिए हक़ीम साहब के पास जाने की कोई ज़रूरत नहीं है. वे जो नुस्खा तुम्हें अपने दवाखाने में बतायेंगे, मैं यहीं बताये देता हूँ. ऐसा करो, इन्हें रस्सी से बांधकर कुएं में लटका दो और उसके पानी में डुबकियाँ लगवाओ. बुखार फ़ौरन उतर जायेगा.”
“यह नुस्खा हक़ीम साहब का बताया हुआ है.” बूढ़ी औरत के घरवालों ने पूछा.
“यकीनन…और १००% कारगर भी है.” शेख चिल्ली ने जवाब दिया.
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लोगों ने शेख चिल्ली की बात मान ली और बूढ़ी औरत को रस्सी से बांधकर कुएं में लटकाकर उसके पानी में डुबकियाँ लगवाने लगे. थोड़ी देर डुबकियाँ लगाने के बाद जब उसे बाहर निकाला गया, तो वह पूरी तरह से ठंडी पड़ चुकी थी मतलब उसके प्राण पखेरू उड़ चुके थे.
यह देख उसके घरवाले शेखचिल्ली पर चिल्लाने लगे. शेख चिल्ली बोला, “मैंने कहा था बुखार उतर जायेगा. उतर गया ना….इनका शरीर ठंडा पड़ गया ना….”
“ये पूरी ठंडी हो गई है चिल्ली…..समझ रहा है….ये अल्लाह को प्यारी हो गई है.” कहते हुए वे लोग शेख चिल्ली पर बरसने लगे.
“अरे, मुझ पर क्यों बरस रहे हो भाई लोग? ये नुस्खा हक़ीम साहब का बताया हुआ है. इसलिए बरसना है, तो उन पर बरसो.” शेख चिल्ली शिकायती अंदाज़ में बोला
सब हक़ीम के पास पहुँचे और उन्हें पूरा किस्सा कह सुनाया, जिसे सुनकर हक़ीम ने अपना सिर पीट लिया और बोला, “अरे, मैंने वह नुस्खा शेख चिल्ली की खुरपी को ठंडा करने के लिए बताया था, न कि किसी इंसान का बुखार उतारने के लिए.”
उस दिन शेखचिल्ली की बहुत धुनाई हुई.
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