फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम “शेख चिल्ली का गुस्सा” कहानी (Shekh Chilli Ka Gussa Kahani) शेयर कर रहे हैं. शेख चिल्ली की हरक़तें और बातें जितनी मज़ेदार थी, उसका गुस्सा उतना ही खतरनाक. एक बार शेख चिल्ली ने गुस्से में आकर एक बच्चे को कुएं में फेंक दिया. इसका क्या परिणाम हुआ? जानने के लिए पढ़िये शेख चिल्ली का ये मज़ेदार किस्सा (Shekh Chilli’s Anger Story In Hindi):
Shekh Chilli Ka Gussa Kahani
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पढ़े शेखचिल्ली की संपूर्ण कहानियाँ
शेख चिल्ली को उसके मोहल्ले के बच्चे बहुत चिढ़ाते थे. वह भी बात-बात पर तुनक जाता और चिढ़ के मारे बच्चों को ख़ूब दौड़ाता. लेकिन बच्चे भागकर किसी न किसी के घर में छुप जाते और शेख चिल्ली हाथ मलता रह जाता.
ये सब होने के बाद भी बच्चे कभी बाज़ नहीं आते थे. उन्हें तो और मज़ा आता था. इसलिए वे शेख चिल्ली को तंग करने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे.
लेकिन, एक दिन एक लड़का शेख चिल्ली के हत्थे चढ़ गया. शेख चिल्ली बेवकूफ़ था. अंज़ाम की परवाह किये बगैर उसने उस लड़के को कुएं में फेंक दिया और घर चला आया.
घर पर आकर उसने अपनी माँ को बताया कि आज उसने एक लड़के को कुएं में फेंक दिया है. यह सुनकर उसकी माँ परेशान हो गई. उसे डर था कि कहीं वह लड़का मर गया, तो लेने के देने पड़ जायेंगे.
शेख चिल्ली को खाना परोसकर वह कुएं की ओर चल पड़ी. इधर जब तक शेख चिल्ली खाना खाता रहा. उसकी माँ ने कुएं से लड़के को बाहर निकाल लिया. गनीमत थी कि लड़का ज़िन्दा था. लेकिन कुएं के ठंडे पानी में डूबे रहने के कारण उसकी तबियत बिगड़ चुकी थी.
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शेख चिल्ली की माँ उसे अपने भाई के घर ले गई और उसे सारा वाक्या बताया. फिर बोली, “भैय्या! मेरी गुज़ारिश है कि तुम कुछ दिनों तक इसे अपने पास रखो और इसकी तीमारदारी करो. जब ठीक हो जायेगा, तो घर छोड़ देंगे.”
“लेकिन आपा, अगर इसके माँ-बाप इसे ढूंढते हुए आ गए, तब हम क्या करेंगे.” भाई ने अपनी शंका जताई.
“तब की तब देखेंगे भाई. लेकिन अगर इसके माँ-बाप ने इसे इस हाल में देख लिया, तो शामत आ जायेगी. शेख चिल्ली तो ठहरा नासमझ. कैसे उसे जेल जाने से बचा पाऊंगी?” शेख चिल्ली की माँ बोली.
उसका भाई लड़के को अपने पास रखने के लिए मान गया और वह घर आ गई. घर से एक बकरी के बच्चे को उठाकर वह फिर उस कुएं पर गई और उसे कुएं में फेंक कर वापस घर आ आई.
इन सबसे शेख चिल्ली बेखबर था. अगले दिन सुबह से ही गुमशुदा लड़के के माँ-बाप उसे खोजने लगे. हर गली-मोहल्ले में खोजते हुए वे शेख चिल्ली के मोहल्ले में पहुँच गए.
शेख चिल्ली बाज़ार जा रहा था. लड़के के माँ-बाप ने उससे अपने लड़के के बारे में पूछा, तो वह बोला, “मैंने कल उसे कुएं में फ़ेंक दिया. रोज़ मुझे चिढ़ाता था. अच्छा सबक सिखाया.”
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यह सुनकर लड़के की माँ छाती पीटकर रोने लगी. लड़के के बाप ने शेख चिल्ली का गिरेबान पकड़कर पूछा, “बता किस कुएं में फेंका है तूने मेरे बेटे हो?”
कुआं सामने ही था. शेख चिल्ली ने इशारे से बता दिया. फ़ौरन उस कुएं में कुछ आदमी उतारे गए. वे कुएं से लड़के की जगह बकरी के बच्चे की लाश लेकर बाहर निकले. माँ-बाप हैरान थे, साथ ही शेख चिल्ली भी.
मोहल्ले वालों ने लड़के के माँ-बाप को बताया भी कि ये शेख चिल्ली तो पागल है. कुछ न कुछ उटपटांग सोचता रहता है और बकता रहता है. इसकी बातों में मत आना.
लड़के के माँ-बाप की उम्मीद जाग गई कि उनका अल्द्का ज़िन्दा हो सकता है. वे उसकी तलाश में दूसरे मोहल्ले चले गए. इधर तब तक वह लड़का भी ठीक हो गया. शेख चिल्ली का मामा उसे उसके घर के पास छोड़ कर आ गया.
लड़के के माँ-बाप ने दिन भर पूरा गाँव छान मारा, लेकिन शाम को लड़का घर पर ही मिला. यह ख़बर पूरे गाँव में आग की तरह फ़ैल गई थी.
ख़बर सुनकर शेख चिल्ली की माँ ख़ुदा का खैर मनाती रही और शेख चिल्ली ये सोचता रहा कि आखिर एक लड़का बकरी का बच्चा कैसे बन गया.
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