शेखचिल्ली की चिठ्ठी का किस्सा | Shekh Chilli’s Letter Story In Hindi

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम शेखचिल्ली की चिठ्ठी का किस्सा (Shekh Chilli Ki Chitthi Ka Kissa) शेयर कर रहे हैं. इस कहानी में एक दिन शेख चिल्ली को ख़बर मिलती है कि दूसरे गाँव में रहने वाला उसका भाई बीमार है. शेख चिल्ली उसकी खैरियत जाने चिट्ठी लिखता है. लेकिन जब उसे चिट्ठी पहुँचाने वाला नहीं मिलता, तो वह कैसी मज़ेदार हरक़त करता है. यह जानने के लिए पढ़िए ये मज़ेदार किस्सा (Shekh Chilli’s Letter Story In Hindi) :

Shekh Chilli Ki Chitthi Ka Kissa

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Shekh Chilli Ki Chitthi Ka Kissa
Shekh Chilli Ki Chitthi Ka Kissa | Shekh Chilli Ki Chitthi Ka Kissa | Shekh Chilli Ki Chitthi Ka Kissa

शेखचिल्ली का भाई दूसरे गाँव में रहता था. दोनों चिट्ठियों द्वारा एक-दूसरे की खैर-ख़बर लिया करते थे और जब भी मौका मिलता, एक-दूसरे के गाँव जाकर मुलाक़ात कर लिया करते थे.

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एक दिन भाई के बीमार हो जाने की खबर शेखचिल्ली को मिली. उसने सोचा कि चिट्ठी भेजकर उसकी खैरियत पूछ लेता हूँ और चिट्ठी लिखने बैठ गया.

चिट्ठी लिख लेने के बाद उसे भेजने की बारी आई. उन दिनों आजकल की तरह डाक सुविधाएँ नहीं थी. लोग आने-जाने वाले मुसाफ़िरों के हाथों चिट्ठियाँ भिजवाया करते थे. शेख चिल्ली के गाँव के लोग वहाँ के नाई के हाथों ही चिट्ठियाँ भिजवाते थे और बदले में उसे कुछ पैसे दे दिया करते थे.

चिल्ली चिट्ठी लेकर नाई के पास पहुँचा, लेकिन नाई भी उस वक़्त बीमार चल रहा था. उसने चिट्ठी पहुँचाने से मना कर दिया. शेख चिल्ली ने बहुत ढूंढा, लेकिन उसे गाँव में कोई दूसरा व्यक्ति नहीं मिला, जो चिट्ठी पहुँचाने तैयार होता.

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अब चिल्ली क्या करे? उसने सोचा कि अब तो कोई चारा नहीं. मुझे ही भाईजान के पास जाकर चिट्ठी पहुँचानी पड़ेगी.

अगले दिन सुबह-सवेरे ही वह अपने गाँव से निकल पड़ा. दिन भर का सफ़र पैदल करने के बाद वह शाम को अपने भाई के गाँव पहुँचा. वहाँ अपने भाई के घर जाकर उसने दरवाज़े पर दस्तक दी.

भाई ने दरवाज़ा खोला. सामने देखा, शेखचिल्ली खड़ा हुआ है. वह कुछ कहता, उसके पहले ही शेखचिल्ली ने उसके हाथ में चिट्ठी थमाई और वापस लौटने लगा.

शेख चिल्ली की ये हरक़त भाई को समझ नहीं आई. वह उसे रोककर बोला, “अरे भाई, क्या बात है? इतनी दूर से मेरे घर आया है और मुझे देखकर उल्टे पांव वापस जा रहा है? क्या हो गया? नाराज़ है क्या?”

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“नहीं भाईजान!” शेखचिल्ली बोला, “मैं आपसे क्यों नाराज़ होऊंगा? आप बीमार है ना, बस ये चिट्ठी मैंने आपकी खैर-ख़बर पूछने के लिए लिखी है. लेकिन मेरे गाँव का नाई आपको चिट्ठी पहुँचाने आ नहीं पाया. इसलिए उसकी जगह मुझे ख़ुद ही ये चिट्ठी देने यहाँ आना पड़ा. आप इसे पढ़ लेना और इसका जवाब ज़रूर देना.”

इस बात पर हैरान भाई बोला, “वो ठीक है. लेकिन जब तुम मेरे घर आ ही गए हो, तो अंदर आओ. कुछ दिन यहीं मेरे पास रुको. फिर चले जाना.”

इतना सुनना था कि शेख चिल्ली बिगड़ गया. वह बोला, “भाईजान आप समझते नहीं हो. अभी मैं नाई की जगह आपको ये चिट्ठी देने आया हूँ. मैं उसका फ़र्ज़ अदा कर रहा हूँ. मुझे आपसे मिलना होता, तो मैं ना चला आता. नाई की जगह क्यों आता?”

हक्का-बक्का भाई कुछ कह नहीं पाया और शेख चिल्ली वापस चला गया.


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