शेखीबाज़ मक्खी की कहानी (Shekhibaaz Makkhi Ki Kahani Hindi Story) इस पोस्ट में शेयर की जा रही है।
Shekhibaaz Makkhi Ki Kahani
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एक जंगल था जो हर प्रकार के जीव-जंतुओं का घर था। वहां के जानवर अपनी-अपनी दुनिया में मस्त रहते थे। इसी जंगल में एक मक्खी रहती थी। उसकी सबसे बड़ी खासियत थी उसका घमंड और शेखी। वह हर समय किसी न किसी को ललकारती रहती थी।
एक दिन शेखीबाज मक्खी ने सोचा कि अब उसे जंगल के सबसे बड़े जानवरों को चुनौती देनी चाहिए। उसने सबसे पहले शेर को ललकारने का निर्णय लिया। शेर जंगल का राजा था और अपनी शक्ति के लिए प्रसिद्ध था। शेखीबाज मक्खी शेर के पास उड़ती हुई पहुंची और गर्जना करते हुए कहा, “अरे शेर, तुम्हें अपनी ताकत पर बहुत नाज़ है न? क्या तुम मुझे हरा सकते हो?” शेर ने मक्खी को देखा और उसकी बिनासिर की बात पर हंसा। उसने सोचा, “एक छोटी सी मक्खी मुझे चुनौती दे रही है, इससे उलझकर मैं अपनी गरिमा क्यों कम करूं।”
शेर ने मक्खी को नजरअंदाज कर दिया और आराम से अपनी गुफा में चला गया। शेखीबाज मक्खी को लगा कि शेर डर गया है और उसने यह बात पूरे जंगल में फैला दी। अब मक्खी का घमंड और बढ़ गया था। उसने सोचा कि अब उसे हाथी को चुनौती देनी चाहिए।
अगले दिन मक्खी ने जंगल के सबसे बड़े हाथी को खोजा और उसे ललकारते हुए बोली, “अरे हाथी, तुम्हारी ताकत की बहुत चर्चा है, क्या तुम मुझे हरा सकते हो?” हाथी ने अपनी सूंड से मक्खी को उड़ा दिया और बोला, “तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुम मुझे चुनौती दो? जाओ, मुझे परेशान मत करो।” हाथी ने भी मक्खी को नजरअंदाज कर दिया।
शेखीबाज मक्खी ने सोचा कि हाथी भी डर गया है और वह और अधिक घमंड में आ गई। उसने अब लोमड़ी को ललकारने का निर्णय लिया। मक्खी ने लोमड़ी को खोजा और उसे ललकारते हुए कहा, “लोमड़ी, सुना है तुम बहुत चालाक हो, क्या तुम मुझे मात दे सकती हो?” लोमड़ी ने मक्खी को देखा और मुस्कुराते हुए बोली, “तुम्हारी शेखी बेकार है। तुमसे उलझने में मेरा समय बर्बाद होगा। जाओ, अपनी दुनिया में मस्त रहो।”
लोमड़ी ने भी मक्खी को नजरअंदाज कर दिया। अब शेखीबाज मक्खी को लगा कि पूरे जंगल में उसकी धाक जम गई है। लेकिन उसका घमंड उसे एक बड़े खतरे की ओर खींच रहा था।
एक दिन मक्खी एक पेड़ की शाखा पर बैठी थी और उसने देखा कि एक मकड़ी जाला बुन रही है। मक्खी ने सोचा, “क्यों न इसे भी चुनौती दूं।” मकड़ी को चुनौती देना उसकी सबसे बड़ी भूल साबित हुई। मक्खी मकड़ी के पास गई और उसे ललकारते हुए बोली, “मकड़ी, तुम अपने जाले में कितनी भी चालाकी से बुनाई कर लो, क्या तुम मुझे अपने जाले में फंसा सकती हो?”
मकड़ी ने मक्खी की बात सुनी और अपनी चालाकी से मुस्कुराई। उसने कहा, “आ जाओ, देखते हैं किसकी चालाकी भारी पड़ती है।” मकड़ी ने बड़े धैर्य और कुशलता से अपने जाले को और मजबूत कर लिया। मक्खी ने सोचा कि मकड़ी भी डर जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
मक्खी ने उड़ान भरी और मकड़ी के जाले के चारों ओर चक्कर लगाने लगी। मकड़ी ने बिना किसी जल्दबाजी के अपने जाले को मक्खी की दिशा में फैलाना शुरू किया। मकड़ी की चालाकी और अनुभव के सामने मक्खी की शेखीबाजी कुछ नहीं थी। थोड़ी ही देर में मक्खी मकड़ी के जाले में फंस गई।
मकड़ी ने मक्खी को जाल में फंसा देखकर कहा, “देखो, घमंड और शेखी किसी काम की नहीं होती। तुम्हें अपनी छोटी सी ताकत पर इतना घमंड था, लेकिन देखो, तुम आखिरकार जाल में फंस गई हो।”
मक्खी ने अपनी गलती समझी लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। मकड़ी ने मक्खी को अपने जाले में कसकर बांध लिया। मकड़ी ने शेखीबाज मक्खी को उसके घमंड और शेखी का अच्छा सबक सिखाया।
जंगल में यह खबर तेजी से फैल गई कि शेखीबाज मक्खी अब मकड़ी के जाल में फंस गई है। सभी जानवरों ने यह सबक सीखा कि घमंड और शेखी से किसी का भला नहीं होता। अंत में, शेखीबाज मक्खी का घमंड टूट गया और उसने समझा कि शक्ति और चालाकी के सामने शेखी और घमंड का कोई स्थान नहीं होता।
सीख
घमंड और शेखी से किसी का भला नहीं होता।
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