शेर और मछली की कहानी (Sher Aur Machhali Ki Kahani) The Lion And The Fish Story in Hindi
प्रकृति में हर प्राणी का अपना महत्व और गुण होता है। हर जीव अपनी जगह पर अद्वितीय और सक्षम होता है। अगर हम अपनी सीमाओं को समझें और दूसरों के क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता साबित करने की कोशिश न करें, तो यह जीवन के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। इसी सोच को उजागर करने के लिए, यहां एक प्रेरक कहानी है—
Sher Aur Machhali Ki Kahani
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एक बार की बात है, जंगल के राजा शेर को अपनी शक्ति और साहस पर बहुत अभिमान था। वह अपनी ताकत के बल पर पूरे जंगल पर राज करता था। हर जानवर उससे डरता था और उसकी आज्ञा मानता था। शेर को लगता था कि वह दुनिया का सबसे ताकतवर प्राणी है, और उसे हर कोई सम्मान देता है।
एक दिन शेर नदी किनारे टहल रहा था। उसने देखा कि मछलियां पानी में खुशी से खेल रही हैं। शेर को यह देखकर ईर्ष्या हुई। उसने सोचा, “ये मछलियां कितनी स्वतंत्र हैं। मैं जंगल का राजा हूं, लेकिन पानी में यह दुनिया मेरी नहीं है। क्या मैं पानी में इनसे बेहतर नहीं हो सकता?”
शेर ने सोचा कि उसे यह साबित करना चाहिए कि वह केवल जंगल का ही नहीं, बल्कि नदी और पानी का भी राजा है। उसने जोर से दहाड़ लगाई और पानी की ओर देखा। मछलियों ने उसकी दहाड़ सुनी और थोड़ा डरकर किनारे से दूर चली गईं। शेर को लगा कि उसकी दहाड़ से मछलियां डर गईं, और उसने अपने अभिमान में कहा, “देखो, मछलियां भी मुझसे डरती हैं। मैं इस नदी पर भी राज करूंगा।”
शेर ने नदी के किनारे खड़े होकर मछलियों को चिढ़ाना शुरू किया। उसने कहा, “तुम मछलियां सिर्फ पानी में सुरक्षित हो। अगर तुम जमीन पर होतीं, तो मैं तुम सबको हरा देता।”
मछलियों में से एक बूढ़ी मछली, जो बहुत बुद्धिमान थी, शेर की बातें सुन रही थी। उसने शेर से कहा, “हे जंगल के राजा, हम मानते हैं कि तुम जंगल में सबसे ताकतवर हो, लेकिन यह नदी हमारी दुनिया है। यहां तुम्हारी ताकत काम नहीं आएगी।”
शेर को यह सुनकर गुस्सा आ गया। उसने कहा, “मैं अपनी ताकत से किसी भी जगह पर राज कर सकता हूं। मुझे चुनौती मत दो। मैं अभी नदी में उतरकर दिखाता हूं कि मैं पानी में भी तुम सबसे बेहतर हूं।”
बूढ़ी मछली मुस्कुराई और बोली, “ठीक है, अगर तुम खुद को पानी में सिद्ध कर सकते हो, तो हमें भी यह साबित करके दिखाओ। लेकिन याद रखना, हर जीव अपनी जगह पर ही श्रेष्ठ होता है।
शेर ने मछलियों की बात को हल्के में लिया और नदी में छलांग लगा दी। जैसे ही वह पानी में उतरा, उसे महसूस हुआ कि पानी में चलना कितना मुश्किल है। उसकी भारी-भरकम काया पानी में डूबने लगी। वह पानी से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था, लेकिन तेज बहाव के कारण वह नदी के बीचों-बीच चला गया।
मछलियां पास आकर उसे देखने लगीं। बूढ़ी मछली ने कहा, “शेर महाराज, क्या हुआ? क्या आप पानी में सहज महसूस कर रहे हैं?”
शेर ने गुस्से में कहा, “यह पानी बहुत गहरा और खतरनाक है। मैं इसमें ठीक से चल नहीं पा रहा।”
बूढ़ी मछली ने हंसते हुए कहा, “पानी हमारा घर है, जैसे जंगल तुम्हारा। तुम्हारी ताकत और साहस जमीन पर काम आते हैं, लेकिन यहां पानी में केवल वही जीव सफल हो सकता है, जो इसके लिए बना है।”
शेर ने अपनी ताकत से नदी के बहाव से लड़ने की कोशिश की, लेकिन पानी की लहरें तेज थीं। शेर को अपनी गलती का एहसास हुआ। वह बड़ी मुश्किल से तैरते हुए किनारे पर पहुंचा। उसकी हालत खराब हो चुकी थी। उसने महसूस किया कि उसने अपने अभिमान और अज्ञानता में मछलियों को कम आंका।
किनारे पर पहुंचने के बाद शेर थक कर गिर गया। वह अब समझ चुका था कि हर जीव की अपनी ताकत और सीमाएं होती हैं। उसने बूढ़ी मछली से माफी मांगी और कहा, “तुम सही कह रही थीं। मैं अपने अभिमान में भूल गया कि हर किसी की अपनी जगह और विशेषता होती है। मैं जंगल में श्रेष्ठ हूं, लेकिन पानी तुम्हारा घर है। मुझे तुमसे कुछ सीखने को मिला।”
बूढ़ी मछली ने मुस्कुराते हुए कहा, “ज्ञान और समझ किसी को भी श्रेष्ठ बना सकते हैं। तुमने अपनी गलती मानी, यही तुम्हारी असली ताकत है।
सीख
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हर प्राणी का अपना स्थान और विशेषता होती है। हमें दूसरों की सीमाओं का सम्मान करना चाहिए और अपनी ताकत को हर जगह साबित करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। अभिमान हमें कमजोर बनाता है, लेकिन विनम्रता और सीखने की प्रवृत्ति हमें वास्तविक श्रेष्ठता प्रदान करती है।
हमेशा याद रखें—सफलता वही होती है जब हम अपनी जगह और परिस्थितियों को समझकर काम करें।
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