चिड़िया की सीख : शिक्षाप्रद कहानी | Living In the Present Short Moral Story

Short Moral Story In Hindi
Short Moral Story In Hindi

Short Moral Story In Hindi : एक समय की बात है. एक राज्य में एक राजा राज करता था. उसके महल में बहुत ख़ूबसूरत बगीचा था. बगीचे की देखरेख की ज़िम्मेदारी एक माली के कंधों पर थी. माली पूरा दिन बगीचे में रहता और पेड़-पौधों की अच्छे से देखभाल किया करता था. राजा माली के काम से बहुत ख़ुश था.

बगीचे में एक अंगूर की एक बेल लगी हुई थी, जिसमें ढेर सारे अंगूर फले हुए थे. एक दिन एक चिड़िया बगीचे में आई. उनसे अंगूर की बेल पर फले अंगूर चखे. अंगूर स्वाद में मीठे थे. उस दिन के बाद से वह रोज़ बाग़ में आने लगी.

चिड़िया अंगूर की बेल पर बैठती और चुन-चुनकर सारे मीठे अंगूर खा लेती. खट्टे और अधपके अंगूर वह नीचे गिरा देती. चिड़िया की इस हरक़त पर माली को बड़ा क्रोध आता. वह उसे भगाने का प्रयास करता, लेकिन सफ़ल नहीं हो पाता.

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बहुत प्रयासों के बाद भी जब माली चिड़िया को भगा पाने में सफ़ल नहीं हो पाया, तो राजा के पास चला गया. उसने राजा को चिड़िया की पूरी कारिस्तानी बता दी और बोला, “महाराज! चिड़िया में मुझे तंग कर दिया है. उसे काबू में करना मेरे बस के बाहर है. अब आप ही कुछ करें.”

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राजा ने ख़ुद ही चिड़िया से निपटने का निर्णय किया. अगले दिन वह बाग़ में गया और अंगूर की घनी बेल की आड़ में छुपकर बैठ गया. रोज़ की तरह चिड़िया आई और अंगूर की बेल पर बैठकर अंगूर खाने लगी. अवसर पाकर राजा ने उसे पकड़ लिया.

चिड़िया ने राजा की पकड़ से आज़ाद होने का बहुत प्रयास किया, किंतु सब व्यर्थ रहा. अंत में वह राजा से याचना करने लगी कि वो उसे छोड़ दें. राजा इसके लिए तैयार नहीं हुआ. तब चिड़िया बोली, “राजन, यदि तुम मुझे छोड़ दोगे, तो मैं तुम्हें ज्ञान की ४ बातें बताऊंगी.”

राजा चिड़िया पर क्रोधित था. किंतु इसके बाद भी उसने यह बात मान ली और बोला, “ठीक है, पहले तुम मुझे ज्ञान की वो ४ बातें बताओ. उन्हें सुनने के बाद ही मैं तय करूंगा कि तुम्हें छोड़ना ठीक रहेगा या नहीं.”

चिड़िया बोली, “ठीक है राजन. तो सुनो. पहली बात, कभी किसी हाथ आये शत्रु को जाने मत दो.”

“ठीक है और दूसरी बात?” राजा बोला.

“दूसरी ये है कि कभी किसी असंभव बात पर यकीन मत करो.” चिड़िया बोली.

“तीसरी बात?”

“बीती बात पर पछतावा मत करो.”

“और चौथी बात.”

“राजन! चौथी बात बड़ी गहरी है. मैं तुम्हें वो बताना तो चाहती हूँ, किंतु तुमनें मुझे इतनी जोर से जकड़ रखा है कि मेरा दम घुट रहा है. तुम अपनी पकड़ थोड़ी ढीली करो, तो मैं तुम्हें चौथी बात बताऊं.” चिड़िया बोली,

राजा ने चिड़िया की बात मान ली और अपनी पकड़ ढीली कर दी. पकड़ ढ़ीली होने पर चिड़िया राजा एक हाथ छूट गई और उड़कर पेड़ की ऊँची डाल पर बैठ गई. राजा उसे ठगा सा देखता रह गया.

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पेड़ की ऊँची डाल पर बैठी चिड़िया बोली, “राजन! चौथी बात ये कि ज्ञान की बात सुनने भर से कुछ नहीं होता. उस पर अमल भी करना पड़ता है. अभी कुछ देर पहले मैंने तुम्हें ज्ञान की ३ बातें बताई, जिन्हें सुनकर भी आपने उन्हें अनसुना कर दिया. पहली बात मैंने आपसे ये कही थी कि हाथ में आये शत्रु को कभी मत छोड़ना. लेकिन आपने अपने हाथ में आये शत्रु अर्थात् मुझे छोड़ दिया. दूसरी बात ये थी कि असंभव बात पर यकीन मत करें. लेकिन जब मैंने कहा कि चौथी बात बड़ी गहरी है, तो आप मेरी बातों में आ गए. तीसरी बात मैंने आपको बताई थी कि बीती बात पर पछतावा न करें और देखिये, मेरे आपके चंगुल से छूट जाने पर आप पछता रहे हैं.”

इतना कहकर चिड़िया वहाँ से उड़ गई और राजा हाथ मलता रह गया.

सीख –

  • मात्र ज्ञान अर्जित करने से कोई ज्ञानी नहीं बन जाता. ज्ञानी वो होता है, जो अर्जित ज्ञान पर अमल करता है.
  • जीवन में जो बीत गया, उस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं. किंतु वर्तमान हमारे हाथों में हैं. आज का वर्तमान कल के भविष्य कल का निर्माण करेगा. इसलिए वर्तमान में रहकर कर्म करें और अपना भविष्य बनायें.

 

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