सोने का भिक्षापात्र : उत्तर प्रदेश की लोक कथा | Sone Ka Bhikshapatra Folk Tale Of Uttarpradesh In Hindi

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम उत्तर प्रदेश की लोक कथा “सोने का भिक्षापात्र ” (Sone Ka Bhikshapatra UP Ki Lok Katha) शेयर कर रहे है. यह लोक कथा कुबेर देवता से आशीर्वाद प्राप्त एक व्यक्ति है, जो उनके द्वारा बताई युक्ति से धनवान बन जाता है. उसका मूर्ख पड़ोसी कैसे बुद्धि का उपयोग किये बिना वह युक्ति आज़माता है और उसके साथ क्या होता है? जानने के लिए पढ़िए : 

Sone Ka Bhikshapatra UP Ki Lok Katha

Sone Ka Bhikshapatra UP Ki Lok Katha
Sone Ka Bhikshapatra Uttarpradesh Ki Lok Katha

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अयोध्या नगरी में एक निर्धन व्यक्ति रहता था. उसका नाम चूड़ामणि था. एक बार धन प्राप्ति की कामना लिए वह जंगल चला गया और निर्जल व्रत रखकर धन के देवता कुबेर की उपासना करने लगा. कई दिनों तक वह उपासना में लीन रहा. उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर कुबेर देवता ने उसे दर्शन दिये.

निर्धन व्यक्ति ने उनसे अपनी निर्धनता दूर करने की प्रार्थना की. तब कुबेर देवता बोले, “कल से प्रतिदिन सुबह-सुबह तू एक लाठी हाथ में लेकर अपने घर के द्वार पर खड़े हो जाना. तुम्हारे घर जो भी भिक्षुक आये, उसके भिक्षापात्र पर लाठी से प्रहार करना, वह भिक्षापात्र सोने का हो जाएगा. ऐसा दस दिन करना. तुम्हारे पास दस सोने के भिक्षापात्र जमा हो जायेंगे, जिन्हें बेचकर तुम धन की व्यवस्था कर लेना. उस धन से तुम्हारी दरिद्रता दूर हो जायेगी.”

यह कहकर कुबेर देवता अंतर्ध्यान हो गये. चूड़ामणि अपने घर लौट आया. अगले दिन सुबह-सुबह वह लाठी लेकर अपने घर के द्वार पर खड़ा हो गया और भिक्षुक के आने पर वैसा ही किया, जैसा कुबेर देवता ने बताया था. उसे सोने का भिक्षापात्र मिल गया. उसके बाद से वह प्रतिदिन वैसा ही करने लगा.

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एक दिन उसके एक पड़ोसी ने उसे ऐसा करते देख लिया. भिक्षापात्र को सोने में परिवर्तित होता हुआ देख उसके मन में लोभ उत्पन्न हो गया. अगले दिन से वह भी अपने द्वार पर लाठी लेकर खड़ा रहने लगा. किंतु, बहुत दिनों तक कोई भिखारी उसके द्वार पर नहीं आया. एक दिन उसे एक एक भिक्षुक चूड़ामणि के घर जाता दिखाई पड़ा, तो उसने उसे अपने घर बुला लिया. फिर उसने अपने लाठी उसके भिक्षापात्र से छुआई, लेकिन वह भिक्षापात्र सोने में परिवर्तित नहीं हुआ. उसने कई बार ऐसा किया, किंतु भिक्षापात्र जस का तस रहा. ये देख वह क्रोध से लाल हो गया और उसने भिक्षुक को लाठी से मारना प्रारंभ कर दिया.

लाठी के वार से भिक्षुक लहुलुहान हो गया और उसके प्राण पखेरू उड़ गये. इस घटना के संबंध में जब राजा को पता चला, तो उन्होंने सिपाही भिजवाये और उस व्यक्ति को पकड़कर लाने का आदेश दिया. सिपाहियों ने उसे पकड़कर राजा के सामने प्रस्तुत किया. राजा के उसे मृत्युदंड दे दिया. इस प्रकार अपने लोभ के कारण वह व्यक्ति अपने प्राणों से हाथ धो बैठा.

सीख (Moral of the story)

लोभ बुद्धि भ्रष्ट कर देता है. अतः लोभ से दूर रहें.

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