सोने की चिड़िया परी कथा (Sone Ki Chidiya Fairy Tale In Hindi) इस पोस्ट में शेयर की जा रही है। ये परी कथा ब्रदर ग्रिम की फेयरी टेल बुक से है।
Sone Ki Chidiya Fairy Tale In Hindi
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बहुत पुराने ज़माने की बात है एक राजा था। उसके महल में एक बहुस सुन्दर बाग था। बाग में तरह-तरह के फूलों के पौधे और अनेक प्रकार के मीठे फलों के पेड़ थे। लेकिन इस बाग में सबसे आश्चर्यजनक चीज़ थी एक सेब का पेड़ था, जिसमें सोने के सेब लगते थे।
राजा ने इस पेड़ की देख-भाल का खास इंतजाम कर रखा था। जब इसके फल पकते थे तो चौकीदार रात-दिन पेड़ का पहरा दिया करते थे, ताकि कोई सोने का सेब चुराकर न ले जाए।
लेकिन एक दिन की बात है कि बाग के माली ने जब सोने के सेबों को गिना, तो उसमें से एक सेब गायब था। उसने दौड़कर राजा को खबर दी। राजा फौरन बाग में पहुंचा। उसे यह देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि देख-भाल का इतना पक्का इंतज़ाम होने पर भी एक सेब किसी ने चुरा लिया। उसने ऐलान किया कि कोई सोने के सेब को चुराने वाले चोर का पता देगा, उसे इनाम दिया जाएगा।
सबसे बड़े राजकुमार ने राजा से कहा कि रात में वह पहरा देगा और चोर को पकड़ने की कोशिश करेगा। राजा ने उसको इसकी इजाज़त दे दी। बड़ा राजकुमार रात में पहरा देने लगा, लेकिन दो घंटे बाद ही उसे नींद आ गई और वह सो गया।
सुबह उठकर जब उसने सेबों को गिना, तो वह देखकर चकित रह गया कि रात-भर में एक और सेब गायब हो गया था। इसके बाद दूसरी रात को मंझले राजकुमार ने पहरा देने का काम संभाला, उसे भी नींद आ गई और तीसरा सेब चोरी हो गया।
राजा बहुत चिन्तित था। दरबारियों की भी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए ! सब लोग उदास बैठे थे कि इतने में सबसे छोटा राजकुमार आया और उसने कहा कि आज की रात मैं पहरा दूंगा और चोर को पकड़ूंगा। राजा इस राजकुमार से खुश नहीं रहता था। वह उसे मूर्ख भी मानता था। उसने उसे डांटते हुए कहा, ‘‘तुम क्या समझते हो, क्या तुम्हें इसमें सफलता मिलेगी ? तुमसे बड़े और तुमसे ज़्यादा समझदार दोनों राजकुमार इस काम में असफल हो चुके हैं। तुम जाओ अपना काम करो।’’
लेकिन छोटा राजकुमार नहीं माना। उसने राजा से प्रार्थना की कि उसे एक मौका ज़रूर दिया जाए। अन्त में राजा राज़ी हो गया।
राजकुमार रात में पहरा देने लगा। उसने तय किया कि वह किसी भी हालत में नहीं सोएगा और चोर को ज़रूर पकड़ेगा। जब आधी रात हुई और बारह बजे का आखिरी घंटा बजा, तो राजकुमार ने देखा कि एक सुन्दर सोने की चिड़िया कहीं से उड़ती हुई आई और सेब के पेड़ पर बैठ गई। उसने देखते-देखते सोने का एक सेब तोड़कर अपनी चोंच में पकड़ लिया।
राजकुमार ने फौरन निशाना साधकर तीर चला दिया। लेकिन तीर चिड़िया को नहीं लगा और वह पंख फड़फड़ाकर उड़ गई। हां, इतना अवश्य हुआ कि उसका एक सुनहरा पंख टूटकर ज़मीन पर आ गिरा। दूसरे दिन सुबह राजकुमार ने राजा को सारी बात, बता दी और वह सोने का पंख उनके सामने रख दिया। पंख इतना सुंदर और इतना कीमती था कि राजा उसे देखता ही रह गया उसने कहा, ‘‘अगर उस चिड़िया का एक पंख इतना सुन्दर है तो वह पूरी चिड़िया किनती सुन्दर होगी ! मैं चाहता हूं कि उस चिड़िया को कोई पकड़ लाए।’’
सबसे पहले बड़ा राजकुमार इस काम के लिए रवाना हुआ। चलते-चलते वह एक जंगल में पहुंचा। वहां उसने एक लोमड़ी को एक पेड़ के नीचे आराम करते हुए देखा। राजकुमार ने मौका देखकर तीर अपने धनुष पर चढ़ा लिया । वह तीर छोड़ने ही जा रहा था कि लोमड़ी ने चिल्लाकर कहा, ‘‘राजकुमार, मुझे मत मारो। मुझे पता है कि तुम सोने की चिड़िया की खोज में निकले हो। तुम मेरी राय मानो तो तुम्हारा काम जल्दी ही पूरा हो जाएगा। तुम इसी रास्ते से सीधे चले जाओ। शाम होने पर तुम एक गांव में पहुंचोगे। वहां तुम्हें आमने-सामने दो सरायें मिलेंगी। एक सराय खूब सजी-सजाई और सुन्दर-एक समय की बात है, एक राजा के तीन पुत्र थे। राजा ने अपने बेटों से कहा कि जो भी सोने की चिड़िया लाएगा, वही राज्य का उत्तराधिकारी बनेगा। सबसे बड़े राजकुमार ने सबसे पहले यात्रा शुरू की। चलते-चलते वह एक घने जंगल में पहुंचा, जहां उसकी मुलाकात एक लोमड़ी से हुई। लोमड़ी ने उससे कहा, “राजकुमार, मुझे मत मारो। मुझे पता है कि तुम सोने की चिड़िया की तलाश में हो। मेरी सलाह मानोगे तो आसानी से सफल हो जाओगे। आगे तुम्हें दो सरायें मिलेंगी। पहली सजी-सजाई और चमकदार होगी, मगर तुम उसमें मत रुकना। इसके बजाय दूसरी, साधारण और भद्दी-सी दिखने वाली सराय में ठहरना।”
राजकुमार ने उसकी बात सुनकर हंसी उड़ाई और उसे भगाने के लिए तीर चलाया, लेकिन लोमड़ी बचकर भाग गई। राजकुमार आगे बढ़ा और शाम को एक गांव में पहुंचा। वहां सचमुच दो सरायें थीं। पहली सराय चमकदार थी, जहां से संगीत और नृत्य की आवाजें आ रही थीं। दूसरी साधारण और अंधेरी थी। राजकुमार ने लोमड़ी की सलाह को अनसुना कर पहली, सजावटी सराय में ठहरने का फैसला किया। वहां के नाच-गाने में वह इतना खो गया कि अपने असल उद्देश्य, सोने की चिड़िया की खोज, को ही भूल बैठा
काफी समय बीतने के बाद भी जब बड़ा राजकुमार नहीं लौटा, तो मंझले राजकुमार ने भी सोने की चिड़िया की खोज में निकलने का निर्णय लिया। जंगल में उसकी भी लोमड़ी से भेंट हुई, जिसने उसे भी वही सलाह दी। लेकिन उसने भी लोमड़ी की बात पर ध्यान नहीं दिया और शाम को उसी चमकदार सराय में ठहरा, और वह भी वहां के मनोरंजन में खो गया, अपने काम को भूल गया।
आखिरकार सबसे छोटे राजकुमार ने राजा से अनुमति मांगी कि वह सोने की चिड़िया की खोज पर जाएगा। राजा को यकीन नहीं था कि जब दोनों बड़े राजकुमार असफल रहे, तो छोटा राजकुमार कैसे सफल होगा, मगर उसकी ज़िद के आगे राजा को इजाज़त देनी पड़ी।कर।।
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छोटा राजकुमार सोने की चिड़िया की खोज में निकल पड़ा।
जंगल में उसे लोमड़ी मिली जिसने उसे सलाह दी।
इस बार राजकुमार ने लोमड़ी की बात ध्यान से सुनी और उसकी बात मान ली।
लोमड़ी ने उसे अपनी पूंछ पर बैठाया और उसे गांव में ले जाकर छोड़ा।
राजकुमार ने लोमड़ी की सलाह मानी और पुरानी, साधारण सराय में ठहर गया।
अगले दिन, आगे बढ़ने पर वह फिर लोमड़ी से मिला।
लोमड़ी ने उसे किले में जाकर सोने की चिड़िया लेने के निर्देश दिए।
उसने हिदायत दी कि लकड़ी के पिंजरे में ही चिड़िया को रखे और सोने के पिंजरे को न छुए।
पर राजकुमार ने सोने के पिंजरे की सुंदरता देखकर अपनी लोमड़ी की बात भूल गया।
जैसे ही उसने चिड़िया को सोने के पिंजरे में रखा, सिपाही जाग गए और उसे पकड़ लिया।
राजा ने उसे फांसी देने की धमकी दी, लेकिन उसे सोने का घोड़ा लाने की शर्त पर छोड़ा।
राजकुमार किले से बाहर आया तो फिर लोमड़ी मिली।
लोमड़ी ने उसकी मदद की और उसे सोने का घोड़ा लेने का रास्ता बताया।
उसने हिदायत दी कि घोड़े पर पुरानी जीन ही कसे, पर राजकुमार फिर से बहक गया।
सोने की जीन देखकर उसने उसे घोड़े पर कस दिया, जिससे घोड़ा हिनहिनाने लगा और वह पकड़ा गया।
इस बार राजा ने शर्त रखी कि वह सोने के महल की राजकुमारी लाकर दे तो माफ़ करेगा।
लोमड़ी ने एक बार फिर उसकी मदद की और उसे राजकुमारी तक पहुँचने का रास्ता दिखाया।
उसने कहा कि राजकुमारी को महल से दूर ले जाए और वापस लौटने का मौका न दे।
पर राजकुमार राजकुमारी के कहने पर उसे माता-पिता से मिलने देने को राज़ी हो गया।
राजकुमारी महल में लौटते ही सिपाहियों ने उसे पकड़ लिया और राजा के पास ले गए।
अब राजा ने उससे एक पहाड़ को आठ दिन में खोदने का काम दिया।
राजकुमार ने लोमड़ी को याद किया जो उसकी मदद के लिए आई।
लोमड़ी ने पहाड़ को खोद डाला और राजकुमार को राजा के सामने पेश किया।
राजा ने वादे के अनुसार राजकुमारी के साथ उसका विवाह कर दिया।
लोमड़ी ने उससे कहा कि वह सोने का घोड़ा और चिड़िया भी हासिल कर सकता है।
उसने उसे योजना बताई जिससे वह घोड़ा और चिड़िया भी पा सकता था।
राजकुमार ने वैसा ही किया और चिड़िया, घोड़ा, और राजकुमारी के साथ लौट गया।
घर लौटते समय उसने अपने भाइयों को फांसी से बचाने के लिए धन दिया।
बाद में भाइयों ने उसे कुएं में धक्का दे दिया और उसका सामान लेकर भाग गए।
कुएं में फंसे राजकुमार की मदद के लिए फिर से लोमड़ी आई।
उसने उसे बाहर निकाला और राजकुमार ने भिखारी के कपड़े पहनकर अपने महल तक का सफर तय किया।
महल पहुँचते ही घोड़ा, चिड़िया और राजकुमारी उसे पहचान गए।
राजा को असलियत का पता चला और उसने छोटे राजकुमार को गद्दी सौंपने का निश्चय किया।
राजकुमार ने लोमड़ी को खोजने का फैसला किया और जंगल में उसे ढूंढ निकाला।
लोमड़ी ने उससे कहा कि वह उसे तीर मारकर उसकी मुक्ति कर दे।
राजकुमार ने तीर चलाया और लोमड़ी की जगह एक सुंदर राजकुमार प्रकट हुआ।
असल में वह राजकुमार राजकुमारी का भाई था जिसे जादू से लोमड़ी बना दिया गया था।
इस तरह सभी खुश होकर महल लौट आए और राजकुमार ने लोमड़ी को अपना सम्मानपूर्वक विदा दी।