ईर्ष्या न करने की सीख देती ३ कहानियाँ | 3 Short Stories On Jealousy In Hindi

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम ईर्ष्या पर कहानी (Story On Jealousy In Hindi) प्रस्तुत कर रहे हैं. ईर्ष्या या जलन एक नकारात्मक भावना है. दूसरों की दौलत, शौहरत, ख़ुशी देख जलने वाले लोग इस भावना को अपने मन में स्थान दे अपना स्वयं का अहित करते हैं, क्योंकि इस नकारात्मक भावना के वशीभूत हो कई बार वे ऐसा कदम उठा लेते हैं, जिसके लिए उन्हें जीवन भर पछताना पड़ता है.

ईर्ष्या की भावना को कभी अपने मन में स्थान न दें, यह दूसरों से कहीं ज्यादा आपका ख़ुद का नुकसान करती है. इस लेख में पढ़िए ईर्ष्या न करने की सीख देती ३ कहानियाँ :  

Story On Jealousy In Hindi With Moral

story on jealousy in hindi with moral
Story On Jealousy In Hindi With Moral

Story On Jealousy In Hindi # 1 ईर्ष्यालु पेड़

एक आदमी एक रास्ते पर पैदल चला जा रहा था. उस रास्ते के बीचों-बीच उसे एक बड़ा सा पत्थर पड़ा हुआ दिखाई पड़ा. उसने सोचा कि रास्ते के बीच में पड़ा ये  हर राहगीर के लिए असुविधाजनक रहेगा. इसलिए उसने उस पत्थर को उठाकर रास्ते के किनारे लगे एक पेड़ के नीचे रख दिया. कुछ देर पेड़ के नीचे आराम करने के बाद वह वहाँ से चला गया.

थोड़ी देर बाद एक चित्रकार उस रास्ते से गुजरा और उस पेड़ के नीचे चित्रकारी करने लगा. चित्र बनाते-बनाते लाल रंग उस पत्थर के ऊपर गिर गया. वह पत्थर सिंदूरी दिखने लगा.

चित्रकार के जाने के बाद एक फूलवाला आया और उस पेड़ के नीचे बैठकर माला बनाने लगा. जब वह जाने के लिए उठा, तो उसकी फूलों की टोकरी में से कुछ फूल सिंदूरी रंग के पत्थर के सामने गिर गए.

उसके बाद जो भी राहगीर उस रास्ते से गुजरता और उस पत्थर को देखता, तो भगवान मानकर उसकी पूजा करने लगता. यह देखकर पेड़ को ईर्ष्या होने लगी. वह सोचने लगा कि अब तक जो लोग मेरी छांव में आराम करने आते थे, वे अब इस पत्थर की पूजा करने आते हैं.

ईष्या में उसने मजबूत टहनियों की मार से उस पत्थर को दूर फेंक दिया. ऐसा करके वह बहुत ख़ुश हुआ कि अब जो भी राहगीर आएगा, उसकी छांव के लिए आएगा.

लेकिन जब राहगीर वहाँ पूजा करने आये और उस पत्थर को वहाँ नहीं पाया, तो कहने लगे कि अवश्य यह स्थान अशुभ है. इसलिए भगवान यहाँ से चले गए. इस स्थान के कारण यह पेड़ भी अशुभ है.

उसी समय वे कुल्हाड़ी लेकर आये और उस पेड़ को काट दिया. पेड़ को उसकी ईर्ष्या का परिमाण मिल चुका था.


Story On Jealousy In Hindi # 2 दो टावर

इटली के एक शहर में एक टावर का निर्माण किया गया. वह टावर इतना ख़ूबसूरत था कि पूरी इटली में उसकी चर्चा होने लगी. दूर-दूर से पर्यटक उसे देखने आने लगे. कुछ माह बाद एक दूसरे शहर में भी बिल्कुल उसी डिज़ाइन का टावर बनाया गया. वह टावर भी अपनी ख़ूबसूरती के कारण पर्यटकों को आकर्षित करने लगा.

चूंकि दोनों टावर एक ही तरह से डिज़ाइन किये गए थे और दिखने में एक जैसे थे, इसलिए दोनों ही पर्यटकों में मध्य समान रूप से लोकप्रिय थे. लेकिन दूसरे शहर के लोगों में पहले शहर के टावर के प्रति ईर्ष्या भरी हुई थी. वे चाहते थे कि उनके शहर का टावर सबसे ख़ूबसूरत और लोकप्रिय रहे. इसलिए उन्होंने पहले टावर को गिरा देने का मन बना लिया. एक रात वे लोग विभिन्न औजारों के साथ पहले शहर में गए और उस टावर के नींव को कुछ स्थानों में खोदकर खोखला कर दिया.

सुबह होने तक वह टावर थोड़ा झुक गया. लेकिन आते-जाते लोगों में से किसी का भी ध्यान उस ओर नहीं गया. कुछ दिनों तक वैसा ही चला. लेकिन एक दिन एक छोटी लड़की ने झुके हुए टावर पर ध्यान दिया और सबको बताया कि वह टावर गिरने वाला है. तब लोगों ने ध्यान से टावर को देखा और पाया कि वह लड़की सही कह रही है.

पूरे शहर में बात फ़ैल गई. उस टावर की सीधा करने का काफ़ी प्रयास किया गया, लेकिन कोई भी प्रयास सफल नहीं हो पाया. एक दिन वाही छोटी लड़की उस टावर के पास गुजर रही थी. उसने सुस्ताने के लिए अपना एक हाथ टावर के एक तरफ़ टिका दिया. ऐसा करते ही उसे महसूस हुआ कि चरचराहट की आवाज़ के साथ टावर में कंपन हुई. उसने अपना हाथ हटाया, तो पाया कि आवाज़ और कंपन बंद हो गई है. कुछ देर तक वह लड़की वही प्रक्रिया दोहराती रही और इस नतीज़े पर पहुँची कि वह टावर अस्थिर है और उस पर जैसे ही किसी भी वस्तु का स्पर्श होता है, मानो उसे गुदगुदी सी होती है और वह पीछे हट जाता है.

वह तुरंत बाज़ार गई और कुछ पौधे ले आई. उन पौधों को उसने टावर के उस ओर लगा दिया, जिस ओर वह झुका हुआ था. टावर जितना झुका था, उतना तो झुका ही रहा, लेकिन वह जब भी थोड़ा और झुकता, तो पौधों के स्पर्श से वापस अपने स्थान पर आ जाता. इस तरह वह टावर न पूरी तरह से झुका और न ही गिरा.

झुके हुए होने के कारण वह टावर और लोकप्रिय हो गया. दूसरे शहर के लोगों के अपने टावर को उस तरह झुकाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उस कोशिश में वह टावर गिरकर ध्वस्त हो गया. इस तरह उनकी ईर्ष्या ने उनसे उनके शहर का सबसे लोकप्रिय और आकर्षक टावर छीन लिया.


Story On Envy In Hindi # 3 ईर्ष्यालु दर्जी

एक छोटे से गाँव में रमेश नाम का एक दर्जी रहता था. गाँव का एकलौता दर्जी होने के कारण गाँव के लोग उसके पास ही अपने कपड़े सिलवाने आया करते थे. इससे रमेश की अच्छी-खासी कमाई हो जाया करती थी.

रमेश जानता था कि गाँववालों के पास उसके पास आने के सिवाय अन्य कोई विकल्प नहीं है. इसलिए वह नकचढ़ा हो गया था. कभी कपड़ों की सिलाई को लेकर कोई शिकायत लेकर आता, तो पर उनसे उलझ पड़ता और बदसलूकी करने लगता. लोग उससे बहुत परेशान थे, लेकिन कोई दूसरा विकल्प न होने के कारण विवश थे.

एक दिन दूर गाँव से शांति नाम की एक गरीब विधवा औरत अपने बच्चे के साथ उस गाँव में आई. वह सिलाई का काम जानती थी. काम की तलाश में वह रमेश के पास गई और उससे विनती की कि वह उसे अपनी दुकान में काम पर रख ले. लेकिन रमेश ने उसे भगा दिया.

शांति के पास जो पैसे थे, उससे उसने एक छोटी सा कमरा और सिलाई मशीन खरीद ली. इस तरह उसने गाँव में सिलाई का काम शुरू कर दिया. उसकी सिलाई अच्छी थी. साथ ही वह मृदुभाषी और मिलनसार थी. इसलिए गाँव के लोग उसके पास कपड़े सिलवाने आने लगे. उसका सिलाई का काम अच्छा चलने लगा और अच्छी कमाई होने लगी.

शांति के आ जाने पर गाँव के लोगों ने रमेश के पास जाना ही बंद कर दिया. ग्राहकों के न आने से रमेश की कमाई का ज़रिया ही बंद हो गया. वह परेशान रहने लगा. वह जब भी शांति को देखता ईर्ष्या से भर उठता.

इधर उसे परेशान देख एक दिन उसकी पत्नि शांति के पास गई और उससे बोली, “बहन, जब से तुम आई हो, कोई मेरे पति के पास सिलाई का काम लेकर नहीं आता. इस छोटे से गाँव में दो दर्जी एक साथ अच्छी कमाई नहीं कर सकते. यदि तुम मान जाओ, तो मैं तुम्हारी दुकान ख़रीदना चाहती हूँ.”

शांति दुकान बेचने को तैयार हो गई. पचास हजार में सौदा तय हुआ. पैसे लेकर शांति उसी शाम अपने बच्चे के साथ गाँव छोड़कर चली गई. इधर रमेश ईर्ष्या में भरकर उस रात शांति की दुकान में आया और उसमें आग लगा दी. दुकान धूं-धूं करके जलने लगी.

जब रमेश की पत्नि को अपने पति की करतूत पता चली, तो वह भागी-भागी वहाँ आया और बोली, “ये कर दिया तुमने. मैंने आज शाम ही ये दुकान शांति से पचास हजार में ख़रीद ली है. तुमने अपनी ही दुकान में आग लगा दी.”

ये सुनना था कि रमेश सिर पकड़कर बैठ गया. इधर गाँव वालों ने भी उसकी ऐसी करतूत देखकर जमकर पिटाई की.


सीख (Moral Of The Story) 

ईर्ष्या की भावना दूसरों से कहीं अधिक आपका स्वयं का अहित करती है. इसे कभी अपने मन में स्थान न दें. लोगों के प्रति सदा प्रेमभाव रखें.       


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