समस्याओं के डरें नहीं : २ प्रेरणादायक कहानियाँ | Story On Problem Solving In Hindi

१. तीन विकल्प : प्रेरणादायक कहानी  

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Story On Problem Solving In Hindi : बहुत समय पहले की बात है. एक गाँव में एक गरीब किसान अपने परिवार के साथ रहता था. उसकी एक ही बेटी थी. वह बहुत सुंदर थी.

गरीब किसान ने गाँव के जमींदार से कर्ज लिया हुआ था. किंतु गरीबी के कारण वह कर्ज वापस नहीं कर पा रहा था.

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जमींदार जब भी उस पर कर्ज वापस करने का दबाव बनाता, वह कुछ समय की मोहलत मांग लेता. ऐसे ही कई वर्ष बीत गए.

एक दिन जमींदार की दृष्टि किसान की सुंदर पुत्री पर पड़ी, जो युवा हो चुकी थी. किसान की बेटी को देख जमींदार उस पर मोहित हो गया.

वह किसान के पास गया और बोला, “मैं तुम्हारा पूरा कर्ज माफ़ कर दूंगा, अगर तुम अपनी बेटी का विवाह मेरे साथ कर दो.”

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जमींदार के विवाह प्रस्ताव से किसान और उसकी बेटी हैरान रह गए. जमींदार अधेड़ उम्र का कुरूप व्यक्ति था. किसान ने अपनी सुंदर बेटी का विवाह उससे करने से इंकार कर दिया.

किसान की इंकार सुनकर जमींदार बौखला गया और तुरंत अपने कर्ज के पैसे मांगने लगा. किसान के पास पैसे नहीं थे, उसने मोहलत मांगी. लेकिन जमींदार ने मना कर दिया और उसे जेल पहुँचाने की धमकी देने लगा.

अंत में दोनों का मसला गाँव की पंचायत में पहुँचा. पूरा मामला सुनने के बाद पंच बोले, “ये मामला कुछ उलझा हुआ है. किसान तो कई वर्षों से कर्ज चुका नहीं पा रहा और उसकी स्थिति को देखते हुए लगता नहीं कि वह कर्ज चुका पायेगा. बेटी का विवाह वह जमींदार से करना नहीं चाहता. ऐसे में बहुत सोच-विचार कर हम ये फ़ैसला किसान की बेटी की किस्मत पर छोड़ते हैं….”

पंच आगे बोले,”…यहाँ जमीन पर काले और सफ़ेद कंकड़ पड़े हुए हैं. जमींदार इन कंकडों में से दो कंकड़ उठाकर दो थैलों में रखेगा. किसान की बेटी को बिना देखे उन थैलों में से कंकड़ निकालना होगा.

१. यदि वह काला कंकड़ निकालती है, तो उसे जमींदार से शादी करनी पड़ेगी और किसान का कर्ज माफ़ कर दिया जाएगा.

२. यदि वह सफ़ेद कंकड़ निकालती है, तो उसे जमींदार से शादी नहीं करनी पड़ेगी और किसान का कर्ज भी माफ़ कर दिया जायेगा. 

३. यदि वह कंकड़ निकालने से इंकार करती हैं, तो किसान को जेल में डाल दिया जायेगा.”

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पंचायत का फैसला सुनकर किसान और उसकी बेटी चिंता में पड़ गए. किसान तो सिर पकड़कर बैठ गया. इधर जमींदार ने जमीन में पड़े कंकड़ उठाकर थैली में डाल लिए.

जब जमींदार कंकड़ उठा रहा था, तो किसान की बेटी ने देख लिया कि उसने सबकी आखों में धूल झोंककर दोनों काले कंकड़ ही उठाये हैं.

अब किसान की बेटी किसी भी थैले से कंकड़ निकालती, वह काले रंग का ही होता. जमींदार इतना धूर्त होगा, ये उसने सोचा नहीं था.

लेकिन उसे किसी भी हाल में इस मुसीबत से बाहर निकलना था. वह अपना दिमाग दौड़ाने लगी. उसके सामने तीन विकल्प थे:

१. थैली में से कंकड़ निकालने से मना कर दे और पिता को जेल जाने दे.

२. थैली में से कंकड़ निकाले और चुपचाप जमींदार से शादी कर ले.

३. पंचों को जमींदार की धूर्तता के बारे में बता दे.

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तीसरा विकल्प उसे ठीक लगा. लेकिन पंचों को बताने पर भी इस मुसीबत से छुटकारा नहीं मिलता. पंच जमींदार से कंकड़ बदलवा लेते और अंत में निर्णय उसकी किस्मत पर ही निर्भर करता.

वह ऐसा उपाय सोचने लगी, जिससे उसे पंचों को कुछ कहना भी ना पड़ना पड़े और वह जमींदार से शादी करने से बच भी जाए.

एक उपाय उसके दिमाग में आ ही गया. वह आगे बढ़ी और जमींदार की थैली में से एक कंकड़ निकाला. लेकिन उसे देखे बिना ही जमीन में गिरा दिया. जमीन में गिरकर वह कंकड़ अन्य कंकडों में जा मिला.

“हाय, ये क्या हो गया? कंकड़ का रंग तो मैं देख ही नहीं पाई और वह मेरे हाथों से नीचे गिर गया. अब मैं क्या करूं?” किसान की बेटी पंचो को देखकर जानबूझकर परेशान होने का नाटक करने लगी.

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यह सुन एक पंच बोला, “कोई बात नहीं. तुमने जो कंकड़ निकाला था, अब उसे पहचानना संभव नहीं है. ऐसा करो जमींदार के दूसरे थैले में कंकड़ निकाल लो. वह जिस रंग का हुआ, उसके विपरीत रंग का कंकड़ ही तुमने पहले निकाला होगा.”

सभी पंच इस बात पर सहमत हो गये. इधर ये सुनकर जमींदार के होश उड़ गए. लेकिन अब वह क्या कहता? पासा पलट चुका था. वह चुप ही रहा.

किसान की बेटी ने जब थैले में से कंकड़ निकाला, तो वह काले रंग का था. सबने मान लिया कि पहले उसने सफ़ेद कंकड़ निकाला था. इस तरह वह जमींदार से शादी करने से बच गई और उसके पिता का कर्ज भी माफ़ हो गया.

सीखमुसीबत के समय समझदारी से काम लेना चाहिए. जब भी मुसीबत आ पड़े, तो बिना हौसला खोये शांत दिमाग से विचार करना करो, कोई न कोई हल अवश्य निकलेगा.


२. राज्य का उत्तराधिकारी : प्रेरणादायक कहानी 

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एक राज्य में एक पराक्रमी राजा का शासन था. उसकी कोई संतान नहीं थी. ढलती उम्र के कारण राज्य के भावी उत्तराधिकारी को लेकर वह अत्यंत चिंतित था. अनेक वैद्यों को दिखाने के बाद भी वह संतान सुख से वंचित ही रहा. अंततः उसने राज्य के ही किसी योग्य नवयुवक को राज्य की बाग़-डोर सौंप देने का निश्चय किया.

भावी उत्तराधिकारी के चयन हेतु उसने योग्यता परीक्षण का आयोजन किया. इस हेतु एक शानदार महल का निर्माण करवाया गया. महल के दरवाज़े पर गणित का एक समीकरण अंकित कर पूरे राज्य में घोषणा कर दी गई कि राज्य के सभी नवयुवक महल का दरवाज़ा खोलने आमंत्रित हैं. दरवाज़े पर अंकित समीकरण हल कर दरवाज़ा खोलें. जो दरवाज़ा खोलने में सफ़ल होगा, उसे महल उपहार स्वरुप प्रदान किया ही जायेगा और साथ ही राज्य का उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया जायेगा.

घोषणा के दिन से ही उस नव-निर्मित महल में नवयुवकों का तांता लग गया. सुबह से लेकर शाम तक नवयुवक वहाँ आते और दरवाज़े पर अंकित गणित के समीकरण को हल करने का प्रयास करते. किंतु आश्चर्य की बात थी कि कोई भी उसे हल नहीं कर पा रहा था. कई उसे लिखकर या याद करके जाते और घर पर उसका हल निकालने का हर संभव का प्रयास करते. किंतु फिर भी असफ़ल रहते.

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कई दिन बीत गए. राज्य के बड़े से बड़े गणितज्ञ भी उस समीकरण का हल निकाल पाने में असमर्थ रहे. तब राजा ने दूसरे राज्यों के गणितज्ञों को आमंत्रित किया. दूसरे राज्य के गणितज्ञ आये और गणित का वह समीकरण हल करने लगे. जैसे–जैसे दिन ढलता गया, एक-एक करके गणितज्ञ वहाँ से जाते गए. अंत में मात्र तीन लोग शेष बचे. उनमें से दो दूसरे राज्य के गणितज्ञ थे, किंतु तीसरा गाँव का एक साधारण सा युवक था.

दोनों गणितज्ञ जहाँ गणित का समीकरण हल करने में लगे हुए थे, वहाँ युवक एक कोने में खड़ा होकर उन्हें देख रहा था. राजा ने जब उसे यूं ही खड़ा देखा, तो पास बुलाकर पूछा, “तुम दरवाज़े पर अंकित समीकरण हल क्यों नहीं कर रहे?”

युवक बोला, “महाराज, मैं तो बस यूं ही इन नामी-गिरामी गणितज्ञों को देखने आया हूँ. ये अपने राज्यों के इतने बड़े गणितज्ञ हैं. इन्हें समीकरण हल करने दीजिये. यदि इन्होंने हल निकाल लिया, तो राज्य के उत्तराधिकारी बन जायेंगे. इससे बड़ी ख़ुशी की बात और क्या होगी? यदि ये समीकरण हल नहीं कर कर पाए, तब मैं कोशिश करके देखूंगा.”

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इतना कहकर युवक एक कोने में बैठकर गणितज्ञों को देखने लगा. पूरा दिन निकल गया और शाम घिर आई. किंतु दोनों गणितज्ञ समीकरण हल नहीं कर पाए. उनके मस्तिष्क में पूरे दिन मात्र एक ही प्रश्न घूम रहा था कि आखिर इस समीकरण में ऐसा भी क्या है? कैसे ये हल होगा? कैसे महल का ये दरवाज़ा खुलेगा?

पूरा प्रयास करने के बाद भी वे समीकरण हल नहीं कर पाए. जब उन्होंने हार मान ली, तो कोने में बैठा युवक उठकर दरवाज़े के पास गया और जाकर उसे धीरे से धक्का दे दिया. जैसे ही उसने दरवाज़े को धक्का दिया, दरवाज़ा खुल गया.

दरवाज़ा खुलते ही लोग उससे पूछने लगे कि तुमने ऐसा क्या किया कि महल का दरवाज़ा खुल गया. युवक बोला, “जब मैं बैठकर सबको गणित का समीकरण हल करते देख रहा था, तो मेरे दिमाग में विचार आया कि हो सकता है कि दरवाज़ा खोलने का कोई समीकरण ही न हो. इसलिये मैं गया और सबसे पहले जाकर दरवाज़े को धक्का दे दिया. दरवाज़ा खुल गया. दरवाज़े खोलने का कोई समीकरण था ही नहीं.”

उसका उत्तर वहाँ उपस्थित राजा ने भी सुना और बहुत प्रसन्न हुआ. उसने युवक को वह महल भी दिया गया और राज्य का भावी उत्तराधिकारी भी घोषित किया.

सीख  – ज़िंदगी में हम कई बार ऐसी परिस्थिति में फंस जाते हैं, जब हमें लगता है कि हमारे सामने पहाड़ जैसी समस्या है. जबकि वास्तव में कोई समस्या होती ही नहीं या होती भी है, तो बहुत ही छोटी सी. लेकिन हम उसे बहुत बड़ा बनाकर उसमें उलझे रहते हैं. बाद में उस समस्या का समाधान अपने आप ही निकल जाता है या फिर थोड़े से प्रयास के बाद. तब हमें अहसास होता है कि इतनी  सी समस्या के लिए हमने कितना समय बर्बाद कर दिया. समस्या सामने आने पर विचलित न हो. शांति से सोचे और फिर समाधान करने का प्रयास करें.

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