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तीन कसौटियां सुकरात का प्रेरक प्रसंग | Teen Kasautiyan Socrate Ka Prerak Prasang

teen kasautiyan socrate ka prerak prasang तीन कसौटियां सुकरात का प्रेरक प्रसंग | Teen Kasautiyan Socrate Ka Prerak Prasang
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तीन कसौटियां सुकरात का प्रेरक प्रसंग, Teen Kasautiyan Socrate Ka Prerak Prasang 

सुकरात एक प्राचीन यूनानी दार्शनिक थे। उनके विचार और जीवन की घटनाएं हमें जीवन जीने की सीख देती हैं। उनके जीवन का एक प्रेरक प्रसंग यहां शेयर किया जा रहा है।

Teen Kasautiyan Socrate Ka Prerak Prasang 

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Teen Kasautiyan Socrate Ka Prerak Prasang 

एक दिन, सुकरात का एक परिचित उत्साहपूर्वक उनके पास आया और कहने लगा, “मैंने आपके मित्र के बारे में कुछ सुना है…” 

सुकरात, जो अपनी विद्वत्ता और सदव्यवहार के लिए प्रसिद्ध थे, ने उसे बीच में ही रोक दिया और बोले, “तुम जो भी बताना चाहते हो, मैं अवश्य सुनूंगा। लेकिन इससे पहले मैं तुम्हारी हम उस बात का परीक्षण करना चाहता हूं।”

“कैसा परीक्षण?” उस व्यक्ति ने जिज्ञासा से पूछा।

“यह तीन कसौटियों का परीक्षण है।” सुकरात ने उत्तर दिया।

वह व्यक्ति सहमत हो गया और उसने पूछा, “वे तीन कसौटियां क्या हैं?”

सुकरात ने समझाते हुए कहा, “पहली कसौटी है ‘सत्य की कसौटी’। क्या तुम पूरी तरह आश्वस्त हो कि तुम जो मेरे मित्र के बारे में कहने वाले हो, वह पूर्णतः सत्य है?”

वह व्यक्ति बोला, “नहीं! मैंने यह बात कहीं से सुनी है।”

“ठीक है!” सुकरात ने कहा, “इसका अर्थ है कि तुम्हें उस बात की सत्यता का पूरा विश्वास नहीं है। चलो, अब इसे दूसरी कसौटी पर परखते हैं। यह कसौटी है ‘अच्छाई की कसौटी’। क्या मेरे मित्र के बारे में जो तुम कहने जा रहे हो, वह कोई अच्छी और सकारात्मक बात है?”

वह व्यक्ति बोला, “नहीं! वास्तव में यह तो इसके विपरीत है।”

“ओह!” सुकरात ने कहा, “तो इसका मतलब है कि यह न तो सत्य है और न ही अच्छी बात। अब हम इसे तीसरी कसौटी पर परखेंगे, जो है ‘उपयोगिता की कसौटी’। क्या जो बात तुम मुझे बताने जा रहे हो, वह मेरे लिए किसी तरह से उपयोगी है?”

वह व्यक्ति बोला, “नहीं! ऐसा तो नहीं है।”

सुकरात बोले, “तो तुम मुझे जो बात बताना चाहते हो, वह न तो सत्य है, न सकारात्मक, और न ही उपयोगी। फिर मुझे वह बात बताने का क्या औचित्य है?”

यह सुनकर उस व्यक्ति को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह वहां से चला गया।

सीख

हमारे रोजमर्रा के जीवन में, कई बार हम ऐसे लोगों से मिलते हैं जो दूसरों की बुराइयों को फैलाने की कोशिश करते रहते हैं। उनका उद्देश्य लोगों के बीच मतभेद पैदा करना और अपने स्वार्थ को साधना होता है। ऐसे में हमें किसी भी जानकारी को ग्रहण करने से पहले उसे तीन कसौटियों पर परखना चाहिए: सच्चाई, सकारात्मकता, और उपयोगिता। इससे हम बेकार, अनुपयोगी और नकारात्मक बातों से दूर रहकर अपने जीवन को शांतिपूर्ण बना सकते हैं।

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