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तीन साधुओं की कहानी | Teen Sadhuon Ki Kahani 

तीन साधुओं की कहानी (Teen Sadhuon Ki Kahani) Three Monk Story In Hindi  इस पोस्ट में शेयर की जा रही है। 

Teen Sadhuon Ki Kahani

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Teen Sadhuon Ki Kahani

प्राचीन काल की बात है, एक छोटे से गाँव के पास तीन साधु रहते थे। ये तीनों साधु ज्ञान, तपस्या और आध्यात्मिकता में माहिर थे, और उनकी विद्वता के कारण दूर-दूर से लोग उनके दर्शन करने आते थे। एक दिन, गाँव के मुखिया ने एक सभा बुलाई और तीनों साधुओं को आमंत्रित किया। मुखिया ने कहा, “हे महान साधुओं, हम आपके आशीर्वाद और ज्ञान से लाभान्वित होना चाहते हैं। कृपया हमें कोई ऐसी सीख दें जो हमारे जीवन को बेहतर बना सके।”

पहले साधु, जिनका नाम ज्ञानसागर था, बोले, “मुझे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीज़ लगती है, वह है ‘सत्य’। सत्य ही वह मार्ग है जो हमें सच्चे आनंद और शांति की ओर ले जाता है। सत्य बोलने से हमारे भीतर की पवित्रता बनी रहती है और हम ईश्वर के निकट होते हैं।”

दूसरे साधु, तपोमूर्ति ने कहा, “मेरे अनुसार, ‘धैर्य’ सबसे महत्वपूर्ण गुण है। धैर्य से ही हम अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं। धैर्यवान व्यक्ति ही सच्ची सफलता प्राप्त कर सकता है।”

तीसरे साधु, अनासक्ति ने कहा, “मैं मानता हूँ कि ‘त्याग’ सबसे महत्वपूर्ण है। त्याग से हम अपने अहंकार और इच्छाओं को नियंत्रित कर सकते हैं। त्याग करने से हमें सच्ची स्वतंत्रता मिलती है।”

गाँव के मुखिया और अन्य लोग तीनों साधुओं की बातें सुनकर बहुत प्रभावित हुए, लेकिन वे उलझन में थे कि इनमें से सबसे महत्वपूर्ण कौन सा गुण है। उन्होंने तीनों साधुओं से इस उलझन को दूर करने का अनुरोध किया।

तीनों साधुओं ने कुछ क्षण विचार किया और फिर वे गाँव के मुखिया को एक पर्वत की चोटी पर ले गए। वहाँ से एक सुंदर दृश्य दिख रहा था – एक विशाल नदी, हरे-भरे खेत और एक शांतिपूर्ण गाँव। 

ज्ञानसागर ने कहा, “देखो, इस दृश्य में सत्य की शक्ति है। नदी का पानी साफ और शुद्ध है क्योंकि यह अपने स्रोत से सत्य है। यह हमें जीवन में सत्य की महत्ता सिखाता है।”

तपोमूर्ति ने कहा, “इस पर्वत की चोटी तक पहुँचने के लिए हमने धैर्य रखा। अगर हम धैर्य नहीं रखते तो हम यहाँ तक नहीं पहुँच पाते। इस पर्वत की तरह, जीवन में भी हमें अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए धैर्य रखना चाहिए।”

अनासक्ति ने कहा, “और देखो, यह सुंदरता हमें त्याग की महत्ता सिखाती है। नदी अपने पानी का त्याग करती है ताकि धरती को जीवन दे सके, खेत अपने अन्न का त्याग करते हैं ताकि हम सभी को भोजन मिले। त्याग में ही सच्ची सुंदरता और सच्चा आनंद है।”

गाँव के मुखिया और अन्य लोग यह समझ गए कि तीनों गुण – सत्य, धैर्य और त्याग – एक साथ मिलकर जीवन को सुंदर और सार्थक बनाते हैं। उन्होंने साधुओं का धन्यवाद किया और उनसे आशीर्वाद लिया।

तीनों साधुओं ने एक साथ कहा, “जब हम सत्य बोलते हैं, तो हमारे भीतर धैर्य और त्याग का विकास होता है। जब हम धैर्य रखते हैं, तो हम सत्य और त्याग की राह पर चलते हैं। और जब हम त्याग करते हैं, तो हम सत्य और धैर्य को अपनाते हैं। ये तीनों गुण एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और हमें एक संतुलित और सुखी जीवन जीने में मदद करते हैं।”

### सीख

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि सत्य, धैर्य और त्याग – ये तीनों गुण जीवन को सार्थक और पूर्ण बनाते हैं। जीवन में चुनौतियाँ और कठिनाइयाँ आती हैं, लेकिन इन गुणों को अपनाकर हम हर परिस्थिति का सामना कर सकते हैं। सत्य हमें नैतिकता और ईमानदारी सिखाता है, धैर्य हमें संघर्षों को सहने और उनसे सीखने की क्षमता देता है, और त्याग हमें अपने स्वार्थों से ऊपर उठने और दूसरों की भलाई के लिए काम करने की प्रेरणा देता है।

इस प्रकार, यदि हम इन तीनों गुणों को अपने जीवन में अपनाते हैं, तो हम न केवल खुद को बल्कि अपने समाज को भी बेहतर बना सकते हैं। जीवन की सच्ची सुंदरता और आनंद इन्हीं गुणों में निहित है।

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