Tenali Raman Story In Hindi

तेनाली राम की चित्रकला | Tenali Ram Ki Chitrakala

तेनाली राम की चित्रकला (Tenali Ram Ki Chitrakala Funny Story In Hindi)

Tenali Ram Ki Chitrakala

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Tenali Ram Ki Chitrakala

विजयनगर के महाराज कृष्णदेव राय अपने महल की दीवारों को सुंदर चित्रों से सजाना चाहते थे। उन्होंने यह कार्य एक प्रसिद्ध चित्रकार को सौंपा, जिसने महल की दीवारों पर विभिन्न प्रकार के चित्र बनाए। ये चित्र इतने मनमोहक थे कि जो भी उन्हें देखता, तारीफ किए बिना नहीं रह पाता।

तेनाली राम भी एक दिन महल में चित्र देखने पहुंचे। दीवारों पर बने चित्रों को देखते हुए उनकी नजर एक विशेष चित्र पर गई। उस चित्र में प्राकृतिक दृश्य तो बहुत सुंदर थे, परंतु उसमें अन्य तत्व स्पष्ट नहीं थे। तेनाली राम को यह समझ नहीं आया कि यह चित्र अधूरा क्यों है। उनकी जिज्ञासा इतनी बढ़ गई कि वे पूछ बैठे, “इस चित्र की पृष्ठभूमि तो बहुत सुंदर है, लेकिन बाकी का चित्र कहाँ है?”

उनका प्रश्न सुनकर राजा कृष्णदेव राय जोर से हंस पड़े और बोले, “तेनाली, इन चित्रों को समझने के लिए तुम्हें अपनी कल्पना शक्ति का उपयोग करना पड़ेगा। बहुत सी चीजें चित्र में प्रत्यक्ष रूप में नहीं होतीं, बल्कि उन्हें कल्पना से समझना होता है। क्या तुम यह नहीं जानते?”

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राजा की बात तेनाली राम के मन को चुभ गई, परंतु उन्होंने उस समय कुछ नहीं कहा। 

कुछ महीने बीत गए। एक दिन तेनाली राम राजा के पास पहुंचे और बोले, “महाराज, मैं पिछले कुछ महीनों से चित्रकला सीख रहा हूँ। यदि आपकी अनुमति हो, तो मैं भी महल की दीवारों पर चित्रकारी करना चाहता हूँ।”

राजा ने खुशी-खुशी तेनाली राम को अनुमति दी और कहा, “यह तो बहुत अच्छी बात है। तुम उन दीवारों पर चित्र बनाओ जिनके भित्तिचित्रों के रंग उड़ गए हैं। पुराने चित्रों को मिटाकर उनके स्थान पर नए चित्र बना दो।”

तेनाली राम ने राजा की आज्ञा का पालन किया। उन्होंने पुराने चित्रों पर सफेदी पोत दी और उनकी जगह नए चित्र बना दिए। लेकिन तेनाली राम ने जो चित्र बनाए, वे सामान्य चित्र नहीं थे। उन्होंने एक दीवार पर कहीं आंख बनाई, कहीं नाक, कहीं हाथ और कहीं पैर। इस तरह से पूरी दीवार पर असंबद्ध अंगों के चित्र बना दिए।

कुछ समय बाद राजा चित्रों को देखने पहुंचे। जब उन्होंने दीवार पर बने चित्र देखे तो हैरान रह गए। “तेनाली, ये क्या बनाया है? ये तो असंबद्ध अंगों के चित्र हैं। पूरा चित्र कहाँ है?”

तेनाली राम ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, “महाराज, यही तो कल्पना शक्ति है। आपको बाकी चीजों की कल्पना करनी पड़ेगी। आइए, मैं आपको अपना सर्वोत्तम चित्र दिखाता हूँ।”

यह कहते हुए तेनाली राम राजा को एक और दीवार के पास ले गए। उस दीवार पर कुछ हरी-पीली लकीरें बनी हुई थीं।

राजा चिढ़कर बोले, “तेनाली, ये क्या है?”

तेनाली राम ने उत्तर दिया, “महाराज, यह घास खाती हुई गाय का चित्र है।”

राजा ने विस्मित होकर पूछा, “लेकिन यहाँ तो गाय दिख ही नहीं रही?”

तेनाली राम ने शांति से उत्तर दिया, “महाराज, गाय तो घास खाकर चली गई। अब आपको अपनी कल्पना शक्ति का उपयोग करना होगा। बाकी चित्र अपने आप समझ में आ जाएगा।”

राजा कृष्णदेव राय को अब सब समझ में आ गया कि तेनाली राम ने यह सब क्यों किया। दरअसल, तेनाली राम ने यह सब राजा की उस दिन की बात का उत्तर देने के लिए किया था। उन्होंने यह सिखाना चाहा कि कभी-कभी दूसरों की कल्पना शक्ति को तुच्छ समझना ठीक नहीं होता। 

राजा ने तेनाली राम की बुद्धिमानी की प्रशंसा की और उनकी बात को समझते हुए उन्हें गले से लगा लिया। तेनाली राम की इस सीख से राजा ने यह समझा कि कला और जीवन दोनों में कल्पना शक्ति का महत्वपूर्ण स्थान है, और कभी-कभी हमें दूसरों की सोच और दृष्टिकोण को समझने के लिए अपनी कल्पना का विस्तार करना चाहिए।

इस तरह, तेनाली राम ने अपनी चतुराई और समझदारी से राजा को एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया और उनके द्वारा कही गई बात का भी व्यावहारिक उत्तर दिया। तेनाली राम की यह चतुराई और कला की समझ ने उन्हें न केवल राजा के दरबार में सम्मानित किया बल्कि उनकी लोकप्रियता को भी बढ़ाया।

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