तेनाली राम और घोड़े की तस्वीर की कहानी (Tenali Ram Paints A Horse Story In Hindi Language) तेनाली राम, विजयनगर साम्राज्य के महान विदूषक, अपने चतुराई और बुद्धिमानी के लिए प्रसिद्ध थे। उनकी कहानियाँ हमेशा मनोरंजन और शिक्षा दोनों का स्रोत रही हैं। इस पोस्ट उनकी एक मज़ेदार कहानी में शेयर की जा रही है, जिसमें जब तेनाली राम ने अपने चतुर दिमाग का इस्तेमाल करते हुए एक घोड़े की तस्वीर बनाने की चुनौती को स्वीकार किया और अपनी बुद्धिमानी से राजा और दरबारियों को हंसा-हंसा कर लोटपोट कर दिया
Tenali Ram Paints A Horse Story In Hindi
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एक दिन विजयनगर के राजा कृष्णदेवराय ने अपने दरबार में घोषणा की कि वे चाहते हैं कि दरबार के सभी कलाकार एक घोड़े की तस्वीर बनाएँ। राजा ने यह भी घोषणा की कि जो भी सबसे बेहतरीन तस्वीर बनाएगा, उसे एक हजार स्वर्ण मुद्राएँ इनाम के रूप में दी जाएंगी। यह सुनकर दरबार के सभी कलाकार उत्साहित हो गए और अपने-अपने ब्रश और रंग तैयार करने लगे।
तेनाली राम भी वहाँ उपस्थित थे। वह अपने ही ढंग के चतुर इंसान थे, और उन्होंने सोचा कि क्यों न इस चुनौती को भी अपने अंदाज में पूरा किया जाए। उन्होंने घोषणा की कि वह भी इस प्रतियोगिता में भाग लेंगे। दरबार के लोग यह सुनकर हैरान हो गए, क्योंकि तेनाली राम को कोई महान चित्रकार नहीं माना जाता था।
राजा ने सभी कलाकारों को तीन दिन का समय दिया, ताकि वे अपनी तस्वीर बना सकें। तीन दिन बीत गए और सभी कलाकारों ने अपनी-अपनी तस्वीरें प्रस्तुत कीं। हर कलाकार ने बहुत मेहनत और लगन से घोड़े की तस्वीर बनाई थी। राजा ने उन सभी तस्वीरों को देखा और प्रशंसा की, लेकिन अब बारी थी तेनाली राम की।
तेनाली राम एक बड़ी सी चादर के नीचे अपनी तस्वीर छिपाकर दरबार में आए। सभी दरबारी और राजा बड़े उत्सुक थे कि तेनाली ने कैसी तस्वीर बनाई है। जब तेनाली राम ने चादर हटाई, तो वहां केवल घोड़े की पूंछ की एक तस्वीर थी। यह देखकर सभी दरबारी हंस पड़े और कहने लगे, “यह कैसी तस्वीर है, इसमें तो पूरा घोड़ा ही नहीं है!”
राजा ने भी तेनाली राम से कहा, “तेनाली, यह क्या मजाक है? हमने तो पूरे घोड़े की तस्वीर बनाने को कहा था और तुमने सिर्फ पूंछ की तस्वीर बनाई है।”
तेनाली राम मुस्कुराते हुए बोले, “महाराज, यह घोड़े की तस्वीर है। घोड़ा इस चादर के पीछे खड़ा है, आप इसे देख नहीं पा रहे हैं। मैंने उसे इस तरह से बनाया है कि वह आपकी दृष्टि से परे है, लेकिन उसकी पूंछ दिख रही है।”
राजा और दरबारी तेनाली की इस चतुराई को समझ गए। तेनाली राम ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उनकी बुद्धिमानी और हाजिरजवाबी का कोई मुकाबला नहीं है। राजा कृष्णदेवराय ने तेनाली की चतुराई से खुश होकर उन्हें एक हजार स्वर्ण मुद्राएँ इनाम में दीं और कहा, “तेनाली, तुम सचमुच अद्वितीय हो। तुम्हारी सोच और समझ बेमिसाल है।”
सीख
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि परिस्थितियाँ चाहे कैसी भी हों, अगर बुद्धिमानी और चतुराई से काम लिया जाए, तो हर समस्या का हल निकाला जा सकता है। तेनाली राम ने अपनी चतुराई से घोड़े की तस्वीर की चुनौती को न केवल पूरा किया, बल्कि सभी को अपनी हाजिरजवाबी से चकित भी कर दिया। उनकी इस कला से यह भी पता चलता है कि सच्ची बुद्धिमानी वही है जो हर समस्या को सुलझाने का नया और अनोखा तरीका ढूंढ सके।
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