तेनालीराम की कहानी : मनहूस आदमी

मित्रों, इस पोस्ट में तेनालीराम और मनहूस आदमी की कहानी (“Tenali Raman And The Cursed Man Story In Hindi”) प्रस्तुत कर रहे हैं. इस कहानी में लोगों के अंधविश्वास के कारण एक व्यक्ति की जान पर बन आती है. कैसे तेनालीराम अपनी बुद्धिमत्ता से उसके प्राणों की रक्षा करता है, यह इस कहानी में बताया गया है. पढ़िए (Tenali Raman And The Jinx Story In Hindi) :

Tenali Raman And The Cursed Man Story In Hindi

Tenali Raman And The Cursed Man Story In Hindi
Tenali Raman And The Cursed Man Story In Hindi

“तेनालीराम की कहानियों” का पूरा संकलन यहाँ पढ़ें : click here

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विजयनगर राज्य के एक गाँव में रमैया नामक व्यक्ति रहता था. गाँव के सभी लोग उसे मनहूस मानते थे. उनका मानना था कि यदि सुबह उठकर किसी ने सबसे पहले रमैया का चेहरा देख लिया, तो उसे पूरे दिन भोजन नसीब नहीं होगा.

जब यह बात महाराज कृष्णदेव राय तक पहुँची, तो उन्होंने इसकी वास्तविकता जानने का निर्णय लिया. उस रात रमैया को राजमहल बुलाया गया और महाराज के कक्ष के सामने वाले कक्ष में उसके रहने की व्यवस्था की गई.

रात भर रमैया उस कक्ष में सोया. अगली सुबह महाराज कृष्णदेव सीधे रमैया के कक्ष में गए और उसका चेहरा देखा. दिन का प्रारंभ रमैया का चेहरा देखने के बाद अब महाराज को देखना था कि उनका दिन कैसा गुज़रता है.

उस दिन दरबार में जाने के पूर्व वे भोजन के लिए बैठे ही थे कि उन्हें तुरंत किसी आवश्यक मंत्रणा हेतु बुलवा लिया गया. वे बिना भोजन करे ही दरबार चले गए.

दरबार की कार्यवाही जो प्रारंभ हुई, तो देर रात तक चलती रही. दरबार की कार्यवाही समाप्त होते तक महाराज कृष्णदेव राय को ज़ोरों की भूख लग आई थी. जब उन्हें भोजन परोसा गया, तो उन्होंने देखा कि उनकी थाली पर मक्खी बैठी हुई है. उन्होंने भोजन छोड़ दिया और अपने शयन कक्ष चले गए.

कुछ देर बाद रसोइया जब पुनः भोजन बनाकर लाया, तब तक उनकी भूख मर चुकी थी. वे बिना खाए ही सो गए. अब महाराज को विश्वास हो गया कि रमैया मनहूस है. उन्होंने उसे फांसी पर चढ़ा देने का आदेश दे दिया.

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रमैया की फांसी की बात जब उसकी पत्नि तक पहुँची, तो वह रोते-रोते तेनालीराम के पास गई और उससे सहायता की गुहार लगाई. तेनालीराम ने उसे आश्वासन देकर घर भिजवा दिया.

अगली सुबह जब सैनिक रमैया को फांसी पर लटकाने ले जा रहे थे, तो रास्ते में उनकी भेंट तेनालीराम से हुई. तेनालीराम ने रमैया के कान में कुछ कहा और चला गया.

इधर फांसीगृह पहुँचने के बाद सैनिकों ने रमैया से उसकी अंतिम इच्छा पूछी. रमैया ने कहा कि मैं महाराज को एक संदेश भिजवाना चाहता हूँ. एक सैनिक द्वारा वह संदेश महाराज तक पहुँचाया गया.

संदेश इस प्रकार था : “महाराज, सुबह सबसे पहले मेरा चेहरा देखने से किसी को पूरे दिन भोजन नसीब नहीं होता. लेकिन महाराज आपका मुँह देखने पर तो जीवन से हाथ धोना पड़ता है. बताइए ऐसे में ज्यादा मनहूस कौन है?”

संदेश पढ़ने के बाद महाराज को अपनी अंधविश्वासी सोच पर शर्म आई. उन्होंने सैनिकों से कहकर रमैया को बुलवाया और पूछा कि उसे ऐसा संदेश भेजने का परामर्श किसने दिया था?

रमैया ने तेनालीराम का नाम लिया. महाराज तेनालीराम की बुद्धिमत्ता से बहुत प्रसन्न हुए. उन्होंने रमैया की फांसी की सजा निरस्त कर दी और तेनालीराम को पुरुस्कृत किया.

इस तरह तेनालीराम की वजह से रमैया के प्राण बच पाए.

सीख (Moral of the story)

अंधविश्वास से दूर रहना चाहिए.


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