तेनालीराम और चोर की कहानी (Tenaliram Aur Chor Ki Kahani) Tenali Raman And Thief Story In Hindi
तेनालीराम, अपनी चतुराई और हाज़िरजवाबी के लिए प्रसिद्ध, राजा कृष्णदेवराय के दरबार में एक अमूल्य रत्न थे। उनकी कहानियों में न केवल हास्य होता है, बल्कि जीवन की गहरी सीख भी छिपी होती है। आज की यह कहानी उनकी ऐसी ही एक चतुराई भरी घटना पर आधारित है, जहाँ उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता से पूरे दरबार को हैरान कर दिया।
Tenaliram Aur Chor Ki Kahani
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एक बार विजयनगर के बाजार में अजीब घटनाएँ होने लगीं। शहर के सबसे अमीर व्यापारी, श्रीधर, ने दरबार में शिकायत की कि उसके घर से कीमती गहने और पैसे गायब हो रहे हैं। राजा कृष्णदेवराय ने तुरंत इस मामले को सुलझाने का आदेश दिया।
दरबार में उपस्थित सभी मंत्री और गुप्तचर परेशान थे कि चोर इतनी चालाकी से चोरी कर रहा है कि कोई उसे पकड़ नहीं पा रहा। राजा ने यह मामला तेनालीराम को सौंप दिया और कहा, “तेनालीराम, इस चोर को पकड़ने के लिए तुम्हें तीन दिन का समय दिया जाता है। अगर तुम असफल हुए, तो मुझे तुम्हारी योग्यता पर संदेह होगा।”
तेनालीराम ने अपनी चतुराई का इस्तेमाल करते हुए एक योजना बनाई। वह व्यापारी श्रीधर के घर गया और पूरे घर का मुआयना किया। उसने देखा कि घर की दीवारों के पास कई ऐसी जगह थीं जहाँ से कोई भी अंदर घुस सकता था।
उसने व्यापारी से कहा, “चिंता मत करो, इस बार चोर पकड़ा जाएगा। लेकिन मुझे कुछ खास तैयारी करनी होगी। मैं आज रात तुम्हारे घर पर ही रहूँगा।”
रात के समय तेनालीराम ने पूरे घर में एक अफवाह फैलाई कि उन्होंने घर के आँगन में एक जादुई घड़ा रखा है। यह घड़ा ऐसा है कि अगर कोई चोर इसे छुएगा, तो उसमें से तेज आवाज आएगी और वह पकड़ा जाएगा।
फिर तेनालीराम ने आँगन के बीच में एक साधारण घड़ा रख दिया। उसने यह भी सुनिश्चित किया कि इस खबर को पड़ोसियों तक भी पहुँचाया जाए ताकि चोर को डराया जा सके।
रात गहराते ही तेनालीराम छिपकर एक कोने में बैठ गया और घड़े पर नज़र रखने लगा। आधी रात को, एक साया धीरे-धीरे आँगन की ओर बढ़ा। वह चोर था, जो यह देखने आया था कि जादुई घड़े में क्या है।
चोर घड़े के पास जाकर उसे छूने से खुद को रोक नहीं पाया। लेकिन जैसे ही उसने घड़े को छुआ, कोई आवाज नहीं आई। यह देखकर चोर को हँसी आ गई, और उसने सोचा कि यह महज एक चाल थी। उसने फिर से घड़े को छुआ, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई।
चोर को लगा कि घड़ा जादुई नहीं है, और उसने वहाँ से जाने का फैसला किया।
अगले दिन तेनालीराम ने दरबार में घोषणा की कि उसने चोर को पहचान लिया है। दरबार में सभी लोग हैरान थे। राजा ने पूछा, “तेनालीराम, तुमने चोर को कैसे पकड़ा?”
तेनालीराम मुस्कुराया और कहा, “महाराज, चोर ने जादुई घड़े को दो बार छुआ था। मैंने घड़े के अंदर ऐसी स्याही लगा दी थी जो अंधेरे में दिखाई नहीं देती। लेकिन जैसे ही उसे पानी से धोया जाएगा, उसका रंग गाढ़ा काला हो जाएगा। मैंने शहर के सभी लोगों को आज सुबह अपने हाथ धोने के लिए बुलाया है। जिससे चोर का पता चल जाएगा।”
जैसा तेनालीराम ने कहा था, वह सही निकला। जब लोगों ने अपने हाथ धोए, तो एक व्यक्ति के हाथ काले हो गए। वह व्यापारी श्रीधर का नौकर निकला, जिसने लालच में आकर चोरी की साज़िश रची थी।
राजा और दरबार के सभी लोग तेनालीराम की चतुराई देखकर हँसी से लोटपोट हो गए।
सीख
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि किसी भी समस्या को चतुराई और समझदारी से सुलझाया जा सकता है। हमेशा अपनी बुद्धिमत्ता का सही उपयोग करें, और कभी भी ईमानदारी और मेहनत का रास्ता न छोड़ें।
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