Tenali Raman Story In Hindi

तेनालीराम की कहानी : महाराज की खांसी

tenali ram ki kahani तेनालीराम की कहानी : महाराज की खांसी
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फ्रेंड्स, इस ‘Tenaliram Ki Kahani’ में हम ‘तेनालीराम और महाराज की खांसी‘ कहानी शेयर कर रहे हैं. महाराज कृष्णदेव राय को खांसी हो जाती है, लेकिन वे सबके मन करने के बाद भी खट्टा खाना नहीं छोड़ते. तेनालीराम कैसे मज़ेदार तरीके से उनका खट्टा खाना छुड़वाता है, यही इस कहानी में बताया गया है. पढ़िए पूरी कहानी :

Tenaliram Ki Kahani 

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Tenaliram Ki Kahani

Tenaliram Ki Kahani | Tenaliram Ki Kahani

 “तेनालीराम की कहानियों” का पूरा संकलन यहाँ पढ़ें : click here


सर्दियों का मौसम था. मौसम की मार विजयनगर की प्रजा जुकाम के रूप में झेल रही थी. राजा कृष्णदेव राय भी इससे बच न सके और उन्हें भी जुकाम हो गया. नाक बहने के साथ-साथ खांसी से भी उनका बुरा हाल था.

राज वैद्य बुलाये गये. राज वैद्य ने महाराज को औषधि दी और परहेज़ करने का परामर्श दिया. अचार, दही और खट्टे खाद्य पदार्थ खाने की महाराज को मनाही थे. किंतु महाराज कहाँ मानने वाले थे? उन्होंने सारी चीज़ें खाना जारी रखा.

अब महाराज को कौन समझाता? सब निवेदन करके हार गए, किंतु राजा ने किसी की न सुनी. इस कारण उनकी तबियत बिगड़ती रही. हारकर राज वैद्य और दरबार के मंत्री तेनाली राम के पास गए और उन्हें समस्या बताते हुए महाराज को किसी तरह समझाने का निवेदन किया.

तेनाली राम शाम को महाराज के पास पहुँचे और उन्हें एक औषधि देते हुए बोले, “महाराज! आपकी जुकाम और खांसी ठीक करने के लिए मैं एक औषधि लेकर आया हूँ. इस औषधि के साथ आपको परहेज़ करने की कोई आवश्यकता नहीं है. आप जो चाहे, खा सकते हैं.”

“अरे वाह! क्या इसके साथ मैं अचार, दही और खट्टी चीज़ें भी खा सकता हूँ?” महाराज ने पूछा.

“जी महाराज” तेनाली राम बोला.

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महाराज बहुत प्रसन्न हुए और उस दिन के बाद से और ज्यादा अचार, दही और खट्टी चीज़ें खाने लगे. फलस्वरूप उनका स्वास्थ्य और ख़राब होने लगा.   

एक सप्ताह बाद जब तेनाली राम उनने पास पहुँचे और उनका हालचाल पूछा, तो वे बोले, “तेनाली! हमारा स्वास्थ्य तो अब पहले से भी अधिक ख़राब हो गया है. जुकाम ज्यों का त्यों है. खांसी भी बनी हुई है.”

“कोई बात नहीं महाराज. आप वह औषधि खाते रहिये. इससे आपको तीन लाभ होंगे.” तेनाली राम बोला.

“कौन से?” महाराज ने चौंकते हुए पूछा.

“पहला ये कि राजमहल में कभी चोरी नहीं होगी. दूसरा ये कि कभी कोई कुत्ता आपको तंग नहीं करेगा. और तीसरा ये कि आपको बूढ़ा होने का कोई भय नहीं रहेगा.” तेनाली राम ने उत्तर दिया.

“ये क्या बात हुई? हमारे जुकाम और खांसी से चोर, कुते और बुढ़ापे का क्या संबंध?”

“संबंध है महाराज! यदि आप यूं ही खट्टी चीज़ें खाते रहेंगे, तो रात-दिन खांसते रहेंगे. आपकी खांसी की आवाज़ सुनकर चोर सोचेगा कि आप जाग रहे हैं और कभी चोरी के उद्देश्य से राजमहल में घुसने का प्रयास ही नहीं करेगा.” तेनाली राम मुस्कुराते हुए बोला.

“और कुत्ते हमें क्यों तंग नहीं करेंगे?” महाराज ने पूछा.

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“जुकाम-खांसी से आपका स्वास्थ्य लगातार गिरता चला जायेगा. तब आप इतने कमज़ोर हो जायेंगे कि बिना लाठी चल नहीं पाएंगे. जब कुत्ता आपको लाठी के साथ देखेगा, तो डर के मारे कभी आपके पास नहीं फटकेगा.”

“और बूढ़े होने के भय के बारे में तुम्हारा क्या कहना है?”

“महाराज आप हमेशा बीमार रहेंगे, तो कभी बूढ़े नहीं होंगे क्योंकि आप युवावस्था में ही मर जायेंगे. इसलिए कभी आपको बूढ़ा होने का भय नहीं रहेगा.”

टेढ़े तरीके से महाराज को वास्तविकता का दर्पण दिखाने के बाद तेनालीराम बोले, “इसलिए महाराज मेरा कहा मानिये. कुछ दिनों तक अचार, दही और खट्टी चीज़ों से किनारा कर लीजिये. स्वस्थ होने के बाद फिर जो मन करे खाइए.”

राजा कृष्णदेव राय तेनाली राम की बात समझ गए. उन्होंने खट्टे खाद्य पदार्थों से परहेज़ कर लिया और कुछ ही दिनों में वे पूरी तरह से  स्वस्थ हो गये. 


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