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नीला सियार की कहानी पंचतंत्र ~ मित्रभेद | The Blue Jackal Panchtantra Story In Hindi

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नीला सियार की कहानी, The Blue Jackal Panchtantra Story In Hindi, Neela Siyar Ki Kahani

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम नीला सियार की कहानी (The Blue Jackal Panchtantra Story In Hindi) शेयर कर रहें हैं. यह पंचतंत्र की लोकप्रिय कहानी (Famous Panchtantra Story) है. इस कहानी में एक सियार जंगल के जानवरों को मूर्ख बनाने का प्रयास करता है. क्या वह उसमें सफ़ल हो पाता है? उसके साथ क्या होता है? यह जानने के लिए पढ़िए Neela Siyar Moral Story In Hindi :

The Blue Jackal Panchtantra Story

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The Blue Jackal Panchtantra Story In Hindi

The Blue Jackal Panchtantra Story | Neela Siyar | Image Source : merisaheli.com

पढ़ें पंचतंत्र की संपूर्ण कहानियाँ : click here

चंडरव नामक एक भूखा सियार भोजन की तलाश में भटकता हुआ जंगल के निकट स्थित गाँव में चला गया. गाँव की गलियों में घूमते हुए उसे कुछ कुत्तों के देखा, तो उस पर टूट पड़े.

किसी तरह जान बचाकर चंडरव वहाँ से भागा और एक मकान में घुस गया. वह मकान एक धोबी का था. मकान के एक कोने में बड़ा सा ड्रम रखा हुआ था. चंडरव उसमें छुप कर बैठ गया. वह रात भर वहीं छुपा रहा.

सुबह होने तक कुत्ते वहाँ से जा चुके थे. चंडरव ड्रम से निकल कर जंगल की ओर गया. उसे बड़े ज़ोरों की प्यास लगी थी. वह पानी पीने नदी किनारे गया, तो पानी में अपनी परछाई देख चौंक गया.

उसका रंग नीला हो चुका था. रात में वह जिस ड्रम में छुपकर बैठा था, उसमें धोबी ने नील घोला हुआ था. उस नील का रंग चंडरव के शरीर पर चढ़ गया था.

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पानी पीकर जब वह जंगल में पहुँचा, तो दूसरे जानवर उसे देख डर गए. नीले रंग का विचित्र जानवर उन्होंने कभी नहीं देखा था. वे डर के मारे भागने लगे.

चंडरव ने जानवरों को भयभीत देखा, तो बड़ा खुश हुआ. उसके दिमाग में जानवरों को मूर्ख बनाकर जंगल का राजा बनने का विचार कौंधा.

उसने भागते हुए जानवरों को रोका और उन्हें अपने पास बुलाकर बोला, “मित्रों, मुझसे मत डरों. मैं ब्रह्मा जी का दूत हूँ. उन्होंने मुझे तुम लोगों की रक्षा के लिए भेजा है. इस जंगल का कोई राजा नहीं है. अब से मैं तुम्हारा राजा हूँ. तुम लोगों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी अब मेरी है. तुम मेरे राज में आनंद से रहो.”

सभी जानवर उसकी बातों में आ गए और उसे अपना राजा स्वीकार कर लिया. उसने शेर को अपना मंत्री, चीते को अपना सेनापति और भेड़िये को अपना संतरी नियुक्त कर लिया. सियारों को उसने जंगल से निकाल दिया क्योंकि उसे उनके द्वारा पहचाने जाने का डर था.

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अब चंडरव के मजे हो गए. दिन भर वह छोटे जानवरों से अपनी सेवा करवाता. हाथी की सवारी कर जंगल में घूमता. शेर, चीते और भेड़िये उसके लिए शिकार कर लाते. वह छककर उसका भक्षण करता और बचा हुआ मांस उन्हें दे देता. दिन बड़े ही शांतिपूर्ण रीति से गुजर रहे थे.

लेकिन झूठ आखिर कितने दिन छुपता? एक न एक दिन असलियत बाहर आनी ही थी.

एक सुबह चंडरव सोकर उठा और अपनी मांद से निकला. अचानक उसे कहीं दूर से सियारों की हुआ-हुआ की आवाज़ सुनाई पड़ी. चंडरव आखिर था तो सियार ही. वह भूल गया कि उसने अन्य जानवरों के सामने ब्रम्हा के भेजे दूत होने का नाटक किया है और वह भी मदमस्त होकर हुआ-हुआ चिल्लाने लगा.

जब दूसरे जानवरों ने उसकी आवाज़ सुनी, तो समझ गए कि वास्तव में वह एक सियार है और उन्हें मूर्ख बनाकर उनका राजा बना बैठा है. सब उसे मारने के लिए उसके पीछे दौड़े. चंडरव ने भागने का प्रयास किया, किंतु शेर-चीते के पंजों से बच ना सका और मारा गया.

सीख (Moral of The Story)

१. जो अपनों को ठुकराकर परायों को अपनाता है, उसका नाश हो जाता है.

२. झूठ की उम्र लंबी नहीं होती. जब वह खुलता है, तो उसका दुष्परिणाम भुगतना पड़ता है.


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