फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम ऊँट और सियार की कहानी (The Camel And The Jackal Story In Hindi) शेयर कर रहे हैं. ये कहानी चालाक सियार और ऊँट की दोस्ती की है. दोनों की दोस्ती में एक दिन सियार अपनी चालाकी दिखाता है. फिर ऊँट उसे कैसे सबक सिखाता है, इस कहानी में इस घटना का वर्णन है. पढ़िए ऊँट और गीदड़ की कहानी “
The Camel And The Jackal Story In Hindi
Table of Contents
घने जंगल में रहने वाले एक सियार/गीदड़ की उसी जंगल में रहने वाले एक ऊँट से मित्रता थी. दोनों रोज़ नदी किनारे मिलते और ढेर सारी बातें किया करते थे. बातों में कैसे समय कट जाता, उन्हें पता ही नहीं चलता.
सियार अपनी प्रवृत्ति के अनुसार चालाक था. लेकिन ऊँट सीधा-सादा था. यूं ही दिन गुज़र रहे थे और उनकी मित्रता बरक़रार थी.
एक दिन सियार को कहीं से पता चला कि नदी पार स्थित खेत में लगे तरबूज पक चुके हैं. मीठे रसदार तरबूज के बारे में सोचकर ही उसके मुँह में पानी आ गया. उसके लिए नदी पार कर पाना संभव नहीं था. लेकिन तरबूजों का लालच वह अपने मन से निकाल नहीं पा रहा था.
अंत में उसे अपने मित्र ऊँट की याद आई और वह तुरंत उससे मिलने चल पड़ा. जब वह ऊँट के पास पहुँचा, तो उसका स्वागत करते हुए ऊँट बोला, “आओ मित्र आओ! कहो, आज दोपहर को ही कैसे आ गये?”
“मित्र! मैं तुम्हें नदी पार के खेत में लगे तरबूज के बारे में बताने आया हूँ. सुना है, तरबूज पक गये हैं. ऐसे मीठे तरबूज खाकर तुम ज़रूर ख़ुश होगे और तुम्हारी ख़ुशी में मेरी ख़ुशी है. मैं कैसे तुम्हें बताने न आता? बस दौड़ा चला आया.” सियार ने चिकनी-चुपड़ी बातें शुरू की.
ऊँट को भी तरबूज का स्वाद पसंद था. वह बोला, “धन्यवाद मित्र! मैं अभी वहाँ जाने की तैयारी करता हूँ. वाकई तरबूज खाये कितने दिन हो गये!”
ऊँट को अकेले ही जाने की तैयारी करते देख सियार बोला, “मित्र! मुझे भी तरबूज पसंद हैं. मैं भी तरबूज खाना चाहता हूँ. लेकिन क्या करूं? मैं तैर नहीं सकता. कोई बात नहीं…तुमने तरबूज खाये, तो मैं समझ लूंगा कि मैंने भी खा लिया.”
“कैसी बात करते हो मित्र? क्या मैं तुम्हें यहाँ छोड़कर जा सकता हूँ. मैं तुम्हें अपनी पीठ पर लादकर नदी पार के खेत में ले चलूंगा. हम दोनों मज़े से तरबूज का स्वाद लेंगे.” ऊँट ने कहा और सियार ख़ुश हो गया.
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ऊँट ने सियार को अपनी पीठ पर बैठाया और नदी के पानी में तैरने लगा. कुछ ही देर में दोनों तरबूज के खेत में पहुँच गये. वहाँ दोनों ने छककर तरबूज खाये. जब सियार का पेट भर गया, तो वह ख़ुश होकर ‘हुआ हुआ’ की आवाज़ निकालने लगा.
ऊँट ने उसे शांत करने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं माना. उसकी आवाज़ खेत के कुछ दूरी पर रहने वाले किसान के कानों में पड़ गई. वह समझा गया कि खेत में कोई घुस आया है. हाथ में लाठी लेकर वह दौड़ता हुआ खेत में पहुँचा, जहाँ उसने ऊँट को खड़ा पाया.
किसान को देखकर सियार पहले ही भागकर एक पेड़ के पीछे छुप गया. अपने विशाल शरीर के कारण ऊँट के लिए कहीं छिपना संभव नहीं था. इसलिए वह वहीं खड़ा रह गया.
ऊँट को देखकर किसान आनबबूला हो गया. उसने उसे लाठी से पीटना शुरू कर दिया और पीटते-पीटते खेत से बाहर खदेड़ दिया. ऐसी जबरदस्त धुनाई के बाद बेचारा ऊँट कराहते हुए खेत के बाहर खड़ा ही था कि पेड़ के पीछे छुपा सियार चुपके से खेत से निकलकर उसके पास आ गया.
उसने ऊँट से पूछा, “तुम खेत में क्यों चिल्लाने लगे?”
“मित्र! खाने के बाद अगर मैं ‘हुआ हुआ’ की आवाज़ न निकालूं, तो मेरा खाना नहीं पचता.” सियार ने उत्तर दिया
उसका उत्तर सुनकर ऊँट को बहुत क्रोध आया. लेकिन वह चुप रहा. दोनों जंगल लौटने लगे. मार खाने के बाद भी ऊँट सियार को पीठ पर लादे नदी में तैर रहा था. सियार मन ही मन बड़ा ख़ुश था कि ऊँट की पिटाई हुई.
जब वे बीच नदी में पहुँचे, तो अचानक ऊँट ने पानी में डुबकी लगा दी. सियार डर के मारे चीखा, “ये क्या कर रहे हो मित्र?”
“मुझे खाने के बाद पानी में ऐसे ही डुबकी लगाने की आदत है.” ऊँट ने उत्तर दिया.
सियार समझ गया कि ऊँट ने उसके किये का बदला चुकाया है. वह बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचा पाया और पूरी रास्ते डरा-सहमा सा रहा. उसे अपने किये का सबक मिल गया था. उस दिन के बाद से उसने कभी ऊँट के साथ चालाकी नहीं की.
सीख (Moral of the story)
जैसे को तैसा
Camel And Fox Short Story Hindi
जंगल में एक ऊंट आया और मौका परस्त चालाक लोमड़ी ने उससे दोस्ती कर ली।
एक दिन लोमड़ी ने ऊंट को नदी पार खेत में लगे मीठे तरबूज के बारे में बताया और चलने को कहा। ऊंट ने लोमड़ी को पीठ पर बिठाया और नदी पार करने लगा।
खेत में दोनों ने छककर तरबूज खाए। अचानक लोमड़ी हुआ हुआ की आवाज निकालने लगी। ऊंट ने रोका, तो बोली कि खाने के बाद मुझे हुआ हुआ करने की आदत है।
आवाज सुनकर किसान लाठी लेकर खेत में आया। लोमड़ी तो पेड़ के पीछे छुप गई, मगर विशाल शरीर के कारण ऊंट छुप नहीं पाया। किसान ने उसकी जबरदस्त धुनाई कर खेत से खदेड़ दिया।
किसान के जाने के बाद लोमड़ी ऊंट के पास गई और जंगल वापस चलने को बोली।
उंट लोमड़ी को पीठ पर बिठाकर नदी में तैरने लगा। मगर बीच मझधार में पहुंचकर उसने पानी में डुबकी लगा दी। लोमड़ी उसकी पीठ से फिसल गई और पानी में डूबने लगी। वह चिल्लाई, “ये क्या किया तुमने?”
“मुझे खाने के बाद पानी में डुबकी लगाने की आदत है।” उंट ने उत्तर दिया।
लोमड़ी की अक्ल ठिकाने आ गई।
सीख
जैसा करोगे, वैसा भरोगे।
Camel And Fox Short Story Video
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