चालाक छोटा दर्जी परी कथा (The Cunning Little Tailor Fairy Tale In Hindi)
बचपन से ही हम परियों की कहानियों को सुनते और पढ़ते आए हैं, जिनमें से ग्रिम ब्रदर्स की कहानियां अद्भुत और प्रेरणादायक होती हैं। उनकी कहानियां न केवल मनोरंजन करती हैं बल्कि महत्वपूर्ण जीवन की शिक्षाएं भी देती हैं। ऐसी ही एक कहानी है (The Cunning Little Tailor), जो बुद्धिमत्ता, साहस और आत्मविश्वास की शक्ति को दर्शाती है। यह कहानी बताती है कि कैसे एक छोटा दर्जी अपनी सूझबूझ और चतुराई से कठिन परिस्थितियों का सामना करता है और सफलता प्राप्त करता है।
The Cunning Little Tailor Fairy Tale In Hindi
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बहुत समय पहले की बात है, एक राजकुमारी थी जो अपनी घमंड और चतुराई से सभी को पराजित करने के लिए जानी जाती थी। उसने घोषणा कर रखी थी कि जो कोई उसकी पहेली का सही उत्तर देगा, वह उससे शादी करेगी, अन्यथा उसे तिरस्कारपूर्वक भगा दिया जाएगा। यह सुनकर कई राजकुमार और बुद्धिजीवी आए, परंतु कोई भी उसकी पहेली हल नहीं कर पाया।
एक दिन, तीन दर्जी एक साथ राजा के दरबार पहुंचे। उनमें से दो अनुभवी और कुशल दर्जी थे, जो खुद को हर मामले में श्रेष्ठ मानते थे। तीसरा दर्जी साधारण और नौसिखिया था, लेकिन उसमें आत्मविश्वास और हिम्मत की कोई कमी नहीं थी। जब अनुभवी दर्जियों ने उसे ताना मारा और उसे पीछे रहने को कहा, तब भी उसने अपना रास्ता नहीं छोड़ा। उसने सोचा, “किस्मत साथ दे, तो कुछ भी संभव है।”
तीनों दर्जी राजकुमारी के सामने पहुँचे। राजकुमारी ने अपनी पहेली प्रस्तुत की, “मेरे सिर पर दो प्रकार के बाल हैं। वे किस रंग के हैं?”
पहले दर्जी ने कहा, “काले और सफेद, जैसे काली मिर्च और नमक।”
राजकुमारी ने उसे गलत घोषित किया।
दूसरे दर्जी ने कहा, “भूरे और लाल, जैसे मेरे पिता का कोट।”
यह भी गलत साबित हुआ।
अब तीसरे दर्जी की बारी आई। उसने आत्मविश्वास से कहा, “आपके सिर पर एक बाल चांदी का और एक बाल सोने का है।”
राजकुमारी यह सुनकर चौंक गई। उसने सोचा, “यह राज़ कोई कैसे जान सकता है?” लेकिन पहेली हल हो चुकी थी।
राजकुमारी ने दर्जी को एक और कठिनाई में डालने की सोची। उसने कहा, “अगर तुम अस्तबल में रातभर भालू के साथ ज़िंदा रहोगे, तभी मैं तुमसे शादी करूंगी।”
दर्जी ने हंसते हुए जवाब दिया, “साहस से बड़ी कोई चीज़ नहीं। यह चुनौती भी स्वीकार है।”
जब दर्जी भालू के पास पहुँचा, तो भालू उस पर झपटने को तैयार था। लेकिन दर्जी ने बिना डरे अपनी जेब से मेवे निकाले और खाने लगा। भालू ने भी मेवे खाने की इच्छा जताई। दर्जी ने कंकड़ दिए, जिन्हें भालू मेवे समझकर चबाने लगा, पर तोड़ नहीं सका। भालू को लगा कि वह कमजोर है।
इसके बाद दर्जी ने वायलिन निकाला और उसे बजाने लगा। संगीत सुनकर भालू नाचने लगा। उसने दर्जी से संगीत सिखाने की इच्छा जताई। दर्जी ने कहा, “पहले अपने पंजे दिखाओ।” जैसे ही भालू ने पंजे दिखाए, दर्जी ने उन्हें दबाने वाले यंत्र में फंसा दिया और आराम से सो गया।
सुबह राजकुमारी को लगा कि भालू ने दर्जी को मार दिया होगा। लेकिन जब उसने देखा कि दर्जी जिंदा और खुश है, तो उसे अपना वचन निभाना पड़ा।
जब दर्जी राजकुमारी के साथ चर्च की ओर बढ़ा, तो बाकी दर्जियों ने ईर्ष्या में भालू को आज़ाद कर दिया। भालू गुस्से में गाड़ी के पीछे भागा। दर्जी ने खिड़की से बाहर झांककर भालू को धमकाया, “अगर तुम फिर मेरे पास आए, तो तुम्हें पहले से भी ज्यादा सज़ा मिलेगी।” यह सुनकर भालू डरकर भाग गया।
राजकुमारी ने दर्जी से शादी की और दर्जी राजा बन गया। वे दोनों खुशी-खुशी जीवन बिताने लगे।
सीख
यह कहानी सिखाती है कि आत्मविश्वास, साहस और चतुराई से कोई भी कठिनाई पार की जा सकती है। चाहे हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों, धैर्य और बुद्धि से हर समस्या का हल संभव है।
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