तीन सुनहरे बालों वाला शैतान परी कथा (The Devil With The Three Golden Hairs Fairy Tale In Hindi)
यह कहानी एक गरीब महिला के बेटे की है, जिसे नियति ने राजा की बेटी का वर बनने का भाग्य दिया। लेकिन राजा, जो क्रूर और स्वार्थी था, इस भविष्यवाणी से घबरा गया और इसे रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया। यह कहानी न केवल किस्मत, धैर्य और साहस का प्रतीक है, बल्कि यह भी सिखाती है कि दुष्टता का अंत बुरा होता है। कहानी हमें यह भी सिखाती है कि कोई भी मुश्किल काम, अगर आत्मविश्वास और धैर्य के साथ किया जाए, तो सफलता अवश्य मिलती है।
The Devil With The Three Golden Hairs Fairy Tale In Hindi
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एक बार एक छोटे से गाँव में एक गरीब महिला ने एक सुंदर बच्चे को जन्म दिया। जब वह बच्चा पैदा हुआ, तो उसके सिर पर कलगी (जन्मजात शुभ संकेत) थी। उसी समय गाँव के एक ज्योतिषी ने भविष्यवाणी की कि जब यह लड़का चौदह साल का होगा, तो वह राजा की बेटी का पति बनेगा। यह सुनकर गाँव में हलचल मच गई। लोग बच्चे को बहुत भाग्यशाली मानने लगे।
यह बात राजा के कानों तक पहुँची। राजा ने सोचा, “अगर यह भविष्यवाणी सच हुई, तो मेरी बेटी का विवाह एक गरीब किसान के लड़के से हो जाएगा! यह अस्वीकार्य है।” राजा गुप्त रूप से उस बच्चे को मारने की योजना बनाने लगा।
राजा ने उस गरीब महिला से मुलाकात की। वह बहुत सौम्य और दयालु बनकर बोला, “तुम गरीब हो। मैं तुम्हारे बेटे को गोद लेना चाहता हूँ। मैं इसे अच्छे से पालूंगा और इसे एक सुखी जीवन दूंगा।”
पहले तो महिला ने इनकार कर दिया, लेकिन जब राजा ने उसे बहुत सारा सोना देने की पेशकश की, तो उसने सोचा, “यह बच्चा सच में भाग्यशाली है। इसके लिए सब कुछ अच्छा होगा।” उसने राजा को बच्चा दे दिया।
राजा उस मासूम बच्चे को एक लकड़ी के बक्से में डालकर एक गहरी नदी में फेंक आया। वह सोचने लगा, “अब मेरी बेटी को इस लड़के से कोई खतरा नहीं है।”
लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। बक्सा डूबा नहीं, बल्कि पानी पर तैरता रहा। यह बक्सा नदी के किनारे एक चक्की के पास आकर रुक गया। वहाँ एक चक्कीवाले का लड़का इसे देखकर खुश हुआ। उसने बक्सा निकाला और उसे खोला। बक्से में एक सुंदर और जीवित बच्चा था।
चक्कीवाले और उसकी पत्नी के कोई संतान नहीं थी। उन्होंने बच्चे को अपना लिया और उसे प्यार से पाला।
वह बच्चा धीरे-धीरे बड़ा हुआ। वह सुंदर, होशियार और मेहनती था। जब वह चौदह साल का हुआ, तो उसके किस्मत ने फिर से करवट ली।
एक दिन राजा, तूफ़ान के कारण उसी चक्की में पहुँचा। वहाँ उसने उस लड़के को देखा और पहचान लिया। वह दंग रह गया कि यह वही बच्चा है जिसे उसने नदी में फेंका था। राजा ने सोचा, “मुझे इस लड़के से हमेशा के लिए छुटकारा पाना होगा।”
राजा ने चक्कीवालों से कहा, “क्या यह लड़का मेरे लिए एक पत्र रानी तक ले जा सकता है? मैं इसके लिए इनाम दूंगा।” चक्कीवालों ने खुशी-खुशी सहमति दे दी।
राजा ने एक पत्र लिखा, जिसमें उसने रानी को आदेश दिया कि जैसे ही यह लड़का पत्र लेकर पहुँचे, उसे मारकर दफना दिया जाए।
लड़का राजा का पत्र लेकर रानी के पास जाने के लिए निकल पड़ा। रास्ते में वह एक घने जंगल में भटक गया। अंधेरा होने पर उसने एक झोपड़ी में शरण ली। झोपड़ी में एक बूढ़ी औरत थी। उसने लड़के को अंदर आने दिया।
बूढ़ी औरत ने चेतावनी दी, “यह चोरों का अड्डा है। जब वे आएंगे, तो तुम्हें मार देंगे।”
लेकिन लड़का थक चुका था और बोला, “मैं डरता नहीं हूँ। अगर मुझे मरना है, तो यही सही।” वह बेंच पर लेटकर सो गया।
रात में चोर आए। उन्होंने उसे देखा और बूढ़ी औरत से पूछा कि यह कौन है। उसने कहा, “यह एक मासूम लड़का है। इसे मत मारो।”
चोरों ने राजा का पत्र पढ़ा और उसमें लिखे आदेश को देखा। वे क्रूर तो थे, लेकिन लड़के की मासूमियत देखकर उन्हें दया आ गई। उनके सरदार ने पत्र को फाड़कर उसकी जगह एक नया पत्र लिखा। नए पत्र में लिखा था, “जैसे ही यह लड़का पहुँचे, इसका विवाह राजा की बेटी से कर दिया जाए।”
अगले दिन लड़के ने वह पत्र लेकर रानी को दे दिया। रानी ने पत्र पढ़ा और उसी दिन अपनी बेटी का विवाह लड़के से करवा दिया।
जब राजा वापस आया, तो उसने देखा कि लड़का उसकी बेटी का पति बन चुका है। वह क्रोध से पागल हो गया। उसने पूछा, “यह कैसे हुआ?” रानी ने राजा को वह पत्र दिखाया। राजा समझ गया कि पत्र बदल दिया गया था।
राजा ने लड़के से कहा, “अगर तुम मेरी बेटी को अपने पास रखना चाहते हो, तो तुम्हें शैतान के सिर से तीन सुनहरे बाल लाने होंगे।”
लड़के ने साहसपूर्वक उत्तर दिया, “मैं यह कार्य पूरा करूँगा।”
लड़का अपनी यात्रा पर निकल पड़ा। रास्ते में उसे एक बड़ा शहर मिला। वहाँ के पहरेदार ने पूछा, “तुम कहाँ जा रहे हो?”
लड़के ने उत्तर दिया, “मैं शैतान के तीन सुनहरे बाल लाने जा रहा हूँ।”
पहरेदार ने कहा, “हमारा बाजार का फव्वारा, जो कभी शराब से बहता था, अब सूख गया है। इसका कारण जानकर लौटना।” लड़के ने वादा किया।
आगे बढ़ते हुए वह एक दूसरे शहर पहुँचा। वहाँ के पहरेदार ने पूछा, “हमारे सोने के सेब का पेड़ अब पत्ते भी नहीं देता। इसका कारण क्या है?” लड़के ने कहा, “मैं लौटकर बताऊँगा।”
आगे एक नदी पर उसे मांझी मिला। मांझी ने पूछा, “मैं हमेशा एक ओर से दूसरी ओर नाव चलाता हूँ। मुझे मुक्ति क्यों नहीं मिलती?” लड़के ने कहा, “मैं इसका कारण जानकर लौटूँगा।”
आखिरकार वह नरक के द्वार पर पहुँचा। वहाँ शैतान की दादी बैठी थी। उसने लड़के को देखकर कहा, “तुम यहाँ क्यों आए हो?”
लड़के ने सारी बात बताई। दादी ने कहा, “शैतान को मत दिखना, वरना वह तुम्हें मार देगा। मैं तुम्हारी मदद करूँगी।”
दादी ने लड़के को चींटी में बदलकर अपने कपड़ों में छुपा लिया। जब शैतान आया, तो दादी ने उसे जूंएँ निकालने के बहाने उसके तीन सुनहरे बाल खींचे। हर बार उसने शैतान से एक सवाल पूछा।
1. फव्वारे के बारे में शैतान ने कहा, “एक मेंढक उसे रोक रहा है। उसे मार दो।”
2. पेड़ के बारे में उसने कहा, “एक चूहा उसकी जड़ कुतर रहा है। उसे मार दो।”
3. मांझी के बारे में उसने कहा, “जब कोई पार जाए, तो चप्पू उसके हाथ में दे दे। वह आज़ाद हो जाएगा।”
लड़के ने दादी का धन्यवाद किया और तीनों जवाबों के साथ लौट आया। उसने मांझी को बताया कि चप्पू कैसे छोड़ना है। उसने पेड़ और फव्वारे की समस्या भी सुलझा दी और इनाम में सोना पाया।
जब वह वापस राजा के पास पहुँचा, तो उसने शैतान के तीन सुनहरे बाल और सोने से लदे गधे राजा को दिखाए।
राजा ने पूछा, “यह सोना कहाँ से आया?”
लड़के ने उत्तर दिया, “एक नदी के किनारे।” लालच में आकर राजा स्वयं वहाँ गया। मांझी ने उसे पार करवाया और चप्पू उसके हाथ में दे दिया। अब राजा को सजा के रूप में हमेशा नाव चलानी पड़ी।
सीख:
1. धैर्य और साहस के साथ हर समस्या का समाधान होता है।
2. दुष्टता का अंत हमेशा बुरा होता है।
3. सच्चाई और मेहनत से जीत हमेशा सुनिश्चित होती है।
इस प्रकार, लड़का और उसकी पत्नी खुशी-खुशी अपने जीवन का आनंद लेने लगे।
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