फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम हाथी और सियार की कहानी (The Elephant And The Jackal Story In Hindi) शेयर कर रहे हैं. ये एक लोकप्रिय हितोपादेष कथा (Hitopadesha Tale In Hindi) है. इस कहानी में सियारों का दल हाथी का मांस खाने का इच्छुक होता है. किंतु जानता है कि हाथी जैसे विशालकाय जानवर का शिकार करना उनके सामर्थ्य के बाहर है. वे क्या युक्ति अपनाते हैं? क्या वे हाथी को मारकर उसके मांस का भक्षण कर पाते हैं? यही इस शिक्षाप्रद कहानी (Moral Story In Hindi) में बताया गया है. पढ़िए पूरी कहानी :
The Elephant And The Jackal Story In Hindi
Table of Contents
घने जंगल में कर्पूरतिलक नामक हाथी रहता था. उसका शरीर हृष्ट-पुष्ट और मांसल था. जब भी उस पर दृष्टि पड़ती, जंगल में रहने वाले सियारों के मुँह में पानी आ जाता. वे हाथी को मारकर कई दिनों के लिए अपने भोजन की व्यवस्था करना चाहते थे. किंतु हाथी जैसे विशाल और ह्रष्ट-पुष्ट जानवर को मारना उनके बस के बाहर था.
अन्य सियारों की मंशा जानकर उनके दल के सबसे वृद्ध सियार (Jackal) ने एक दिन सभा बुलाई और बोला, “मैं एक ऐसी युक्ति जानता हूँ, जिससे हम इस विशालकाय हाथी का कामतमाम कर सकें. यदि तुम वैसा करो, जैसा मैं कहता हूँ, तो इस हाथी के मांस का हम कई दिनों तक भक्षण कर सकेंगे.”
सियारों को यही चाहिए था. वे तैयार हो गए. बूढ़े सियार ने उन्हें युक्ति बता दी. युक्ति अनुसार कुछ सियार हाथी के पास गए और उसे प्रणाम कर बोले, “महाराज की जय हो. महाराज की जय हो.”
पढ़ें : अंधा गिद्ध और दुष्ट बिल्ली की कहानी
स्वयं के लिए महाराज का संबोधन सुनकर हाथी (Elephant) चौंका और बोला, “कौन हो तुम लोग? मेरे पास क्यों आये हो? और मुझे महाराज क्यों संबोधित कर रहे हो?
सियारों के दल में से एक सियार बोला, “महाराज! हम सियार है. इसी वन में निवास करते हैं. बिना राजा के ये वन हमें नहीं सुहाता. इसलिए हम सबने निर्णय लिया है कि आपको इस वन का राजा घोषित कर दिया जाए. महाराज कृपा कर इस वन के राजा बनकर हमारा उपकार करें. हम सबने आज ही आपके राज्यभिषेक की व्यवस्था कर दी है. राज्यभिषेक का लग्न समय पर निकट है, महाराज, कृपया शीघ्र हमारे साथ चलें.”
सियारों की चिकनी-चुपड़ी बातों में आकर हाथी जंगल का राजा बनने तैयार हो गया और उनके पीछे-पीछे चलने लगा. सियार उसे जिस मार्ग से ले जा रहे थे, वहाँ एक गहरा दलदल था.
पढ़ें : सिंह, चूहा और बिल्ली की कहानी
अनभिज्ञ हाथी दलदल में फंस गया. निकलने का बहुत प्रयास करने के बाद भी हाथी दलदल से बाहर नहीं निकल पाया. उसने सहायता के लिए सियारों को पुकारा, “अपने होने वाले राजा की सहायता करो.”
तब सियार बोले, “ऐसा मूर्ख हमारा राजा कैसे हो सकता है? तुम्हारी तो यही गत होनी थी. तुम हमारा आहार हो. तुम्हारे मांस का भक्षण कर हमारे कुछ दिन मज़े से कटेंगे.”
हाथी अपनी मूर्खता पर पछताने लगा. वह दलदल से निकल नहीं पाया और वहीं उसके प्राण-पखेरू उड़ गए. सियारों ने छककर दवात उड़ाई.
सीख (Moral of the story)
जो कार्य बल से संभव नहीं, उसमें युक्ति से काम लेना चाहिये.
Friends, आपको ये ‘The Elephant And The Jackal Hitopadesha Story In Hindi‘ कैसी लगी? आप अपने comments के द्वारा हमें अवश्य बतायें. ये Hathi Aur Siyar Ki Kahani पसंद आने पर Like और Share करें. ऐसी ही और Famous Short Moral Story For Kids In Hindi पढ़ने के लिए हमें Subscribe कर लें. Thanks.
Read More Hindi Stories :
- १० सर्वश्रेष्ठ प्रेरणादायक कहानियाँ
- २१ सर्वश्रेष्ठ अकबर बीरबल कहानियाँ
- परिवार का महत्त्व बतलाती ३ कहानियाँ
- ईमानदारी का महत्व बतलाती ३ कहानियाँ
- अकबर बीरबल के १० मज़ेदार चुटकुले
- एकता में बल है : ३ शिक्षप्रद कहानियाँ