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किसान और कुएं की कहानी | The Farmer And The Well Story In Hindi 

किसान और कुएं की कहानी (The Farmer And The Well Story In Hindi) Kisan Aur Kuen Ki Kahani इस पोस्ट में शेयर की जा रही है।

 

The Farmer And The Well Story In Hindi

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The Farmer And The Well Story In Hindi

किसी गाँव में एक ईमानदार और मेहनती किसान रहता था। उसका नाम रामू था। रामू खेती-बाड़ी करके अपना और अपने परिवार का पेट पालता था। उसकी दिनचर्या बहुत ही साधारण थी, लेकिन वह अपनी मेहनत से खुश था। एक बार, गर्मी के मौसम में उसकी फसल को पानी की बहुत जरूरत पड़ी। रामू के पास खुद का कुआं नहीं था, इसलिए वह गाँव के ही एक धनी व्यक्ति के पास गया, जिसका नाम श्यामलाल था।

श्यामलाल गाँव का सबसे धनी व्यक्ति था। उसके पास कई खेत, बाग-बगीचे और कुएं थे। वह बहुत चालाक और स्वार्थी था। रामू ने श्यामलाल से कहा, “श्यामलाल जी, मेरे खेतों को पानी की बहुत जरूरत है। क्या आप मुझे अपने कुएं से पानी लेने की अनुमति देंगे? मैं आपको इसके लिए उचित किराया भी देने को तैयार हूँ।”

श्यामलाल ने सोचा कि यह अच्छा मौका है रामू से कुछ पैसे कमाने का। उसने कहा, “ठीक है, रामू। मैं तुम्हें अपना एक कुआं बेच दूंगा। लेकिन इसकी कीमत तुम्हें तुरंत चुकानी होगी।”

रामू ने सोचा कि अगर कुआं खरीद लिया जाए तो भविष्य में भी उसकी फसल को पानी मिलता रहेगा। उसने अपनी सारी जमा-पूंजी इकट्ठा की और श्यामलाल को दे दी। श्यामलाल ने एक पुराने कुएं को रामू के नाम कर दिया और रामू खुशी-खुशी अपने खेत की ओर चल दिया।

अगले दिन, जब रामू अपने खेत को पानी देने गया तो उसने देखा कि कुएं के पास श्यामलाल खड़ा है। श्यामलाल ने हंसते हुए कहा, “रामू, तुम इस कुएं का पानी नहीं ले सकते। मैंने तुम्हें सिर्फ कुआं बेचा है, पानी नहीं।”

रामू यह सुनकर स्तब्ध रह गया। उसने कहा, “लेकिन श्यामलाल जी, पानी के बिना कुआं किस काम का? मैंने तो पूरे कुएं के लिए पैसे दिए हैं।”

श्यामलाल ने चालाकी से कहा, “मैंने तुम्हें केवल कुआं बेचा है, पानी नहीं। अब तुम्हें अगर पानी चाहिए तो उसके लिए अलग से भुगतान करना होगा।”

रामू बहुत परेशान हो गया और उसने गाँव के सरपंच के पास जाने का निश्चय किया। सरपंच एक न्यायप्रिय व्यक्ति थे। रामू ने उन्हें पूरी घटना सुनाई। सरपंच ने श्यामलाल को बुलाकर पूछा, “श्यामलाल, क्या तुमने रामू को कुआं बेचा है?”

श्यामलाल ने कहा, “हाँ, मैंने कुआं बेचा है, लेकिन पानी नहीं।”

सरपंच ने कुछ देर सोचा और फिर मुस्कुराते हुए बोले, “श्यामलाल, तुमने रामू को कुआं बेचा है और पानी उसमें तुम्हारा है, यह बात तो ठीक है। लेकिन चूँकि कुआं अब रामू का है, इसलिए तुम्हें अपना पानी तुरंत इस कुएं से बाहर निकालना होगा। अगर तुमने ऐसा नहीं किया, तो रामू को तुमसे किराया लेने का अधिकार है, क्योंकि तुमने उसका कुआं अपने पानी से भर रखा है।”

श्यामलाल यह सुनकर हैरान रह गया। वह समझ गया कि उसकी चालाकी उल्टी पड़ गई है। उसने तुरंत सरपंच और रामू से माफी मांगी और कहा, “मुझे मेरी गलती का अहसास हो गया है। रामू, तुम इस कुएं का पानी बिना किसी अतिरिक्त भुगतान के इस्तेमाल कर सकते हो।”

रामू ने सरपंच का धन्यवाद किया और अपने खेतों को पानी देने लगा। इस घटना से श्यामलाल को भी एक बड़ी सीख मिली कि ईमानदारी और न्याय की हमेशा जीत होती है। उसने अपनी गलतियों को सुधारा और गाँव वालों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की कोशिश की।

गाँव में अब सब मिलजुल कर रहते थे और एक-दूसरे की मदद करते थे। रामू की फसलें भी अच्छी होने लगीं और उसका परिवार सुखी और संपन्न हो गया। श्यामलाल भी अब अपने संसाधनों को गाँव के विकास के लिए उपयोग करता था, जिससे गाँव के अन्य किसान भी लाभान्वित होने लगे। सभी ने यह जान लिया कि सच्चाई और ईमानदारी ही सबसे बड़ा धन है और चालाकी तथा धोखाधड़ी से कुछ हासिल नहीं होता।

इस प्रकार, गाँव में शांति और सौहार्द्र का वातावरण बना रहा, और रामू और श्यामलाल की कहानी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गई।

सीख

  • किसी भी प्रकार की चालाकी और धोखाधड़ी लंबे समय तक नहीं चल सकती।
  • सच्चाई और न्याय हमेशा विजयी होते हैं।

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