जिराफ और चूहे की कहानी (The Giraffe And The Mouse Story In Hindi) Giraffe Aur Chuha Ki Kahani Story In Hindi
जंगल में हर जानवर अपनी-अपनी खूबियों के साथ जीता है। किसी की ताकत उसकी ऊंचाई है, तो किसी की फुर्ती। इस कहानी में हम जिराफ और चूहे की बात करेंगे। दोनों दिखने में भले ही अलग हों, लेकिन एक-दूसरे की मदद से उन्होंने यह साबित कर दिया कि सच्ची दोस्ती में ताकत और आकार मायने नहीं रखते। यह कहानी हमें एकता, सहयोग और धैर्य का महत्व सिखाती है।
The Giraffe And The Mouse Story In Hindi
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एक घने जंगल में जिराफ और चूहे की दोस्ती मशहूर थी। जिराफ बहुत ऊंचा था, उसकी लंबी गर्दन उसे सबसे ऊंचे पेड़ों तक पहुंचने में मदद करती थी। दूसरी ओर, चूहा छोटा लेकिन बेहद चतुर और फुर्तीला था। उनकी जोड़ी अजीब लगती थी, लेकिन दोनों अच्छे दोस्त थे।
एक दिन जिराफ और चूहा जंगल में घूमने निकले। चलते-चलते वे एक बड़े पेड़ के पास पहुंचे। उस पेड़ पर मीठे फल लगे थे, लेकिन फल बहुत ऊंचे थे। जिराफ ने अपनी लंबी गर्दन का इस्तेमाल किया और आसानी से फल तोड़कर चूहे को दे दिए। चूहा बहुत खुश हुआ और बोला, “जिराफ भाई, तुम्हारी ऊंचाई के बिना मैं इन फलों का स्वाद कभी नहीं चख पाता।”
जिराफ ने मुस्कुराते हुए कहा, “दोस्त, हम सभी को एक-दूसरे की जरूरत होती है। तुम्हारी फुर्ती भी मेरे काम आती है।”
चूहे ने आश्चर्य से पूछा, “मेरी फुर्ती तुम्हारे किस काम आ सकती है? तुम तो खुद इतने बड़े और ताकतवर हो।”
जिराफ ने जवाब दिया, “वक्त आने पर तुम्हारी फुर्ती का महत्व समझ में आएगा।”
कुछ दिन बाद, जंगल में एक शिकारी आया। उसने जिराफ को पकड़ने के लिए एक बड़ा जाल लगाया और उसमें स्वादिष्ट घास रख दी। जिराफ को घास देखकर कुछ शक हुआ, लेकिन भूख के कारण वह जाल के पास गया और उसमें फंस गया। शिकारी ने जिराफ को देखकर खुश होकर कहा, “अब इसे मैं शहर ले जाऊंगा और इससे बहुत पैसे कमाऊंगा।”
जिराफ ने बहुत कोशिश की, लेकिन वह जाल को तोड़ नहीं सका। वह जोर-जोर से मदद के लिए पुकारने लगा। उसकी आवाज सुनकर चूहा वहां आ पहुंचा। उसने देखा कि जिराफ जाल में फंसा हुआ है और बहुत परेशान है।
चूहा तुरंत बोला, “जिराफ भाई, घबराओ मत। मैं तुम्हें बचाने के लिए कुछ करता हूं।”
जिराफ ने हताश होकर कहा, “यह जाल बहुत मजबूत है। तुम इतने छोटे हो, इसे कैसे काटोगे?”
चूहा हंसते हुए बोला, “बस मुझे थोड़ा समय दो।”
चूहे ने अपने नुकीले दांतों का इस्तेमाल करते हुए धीरे-धीरे जाल को काटना शुरू किया। वह बड़े ध्यान और मेहनत से जाल के धागे काटता गया। कुछ समय बाद, जाल कमजोर हो गया और जिराफ बाहर निकल आया।
जिराफ ने राहत की सांस ली और चूहे से कहा, “तुमने मेरी जान बचा ली। मैं तुम्हारा यह एहसान कभी नहीं भूलूंगा। तुम छोटे हो, लेकिन तुम्हारी हिम्मत और चतुराई किसी भी ताकतवर जानवर से कम नहीं है।”
चूहे ने मुस्कुराते हुए कहा, “दोस्त, तुमने मुझे पहले ही कहा था कि हर किसी की अपनी खासियत होती है। मैं आज वही कर रहा हूं।”
उसी समय शिकारी वापस आया और देखा कि जाल खाली है। वह गुस्से में पैर पटकता हुआ चला गया। जिराफ और चूहे ने राहत की सांस ली और जंगल की ओर वापस चल दिए।
रास्ते में चूहा बोला, “दोस्ती में ताकत, आकार या कमजोरियां मायने नहीं रखतीं। अगर हम एक-दूसरे की मदद करें, तो हर मुश्किल को पार कर सकते हैं।”
जिराफ ने सहमति में सिर हिलाया और दोनों खुशी-खुशी अपने रास्ते चल दिए।
सीख:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दोस्ती में न तो आकार और न ही ताकत की कोई सीमा होती है। हर व्यक्ति की अपनी खासियत होती है, और जब हम एक-दूसरे की मदद करते हैं, तो बड़ी से बड़ी मुश्किल भी आसान हो जाती है। सहयोग और समझदारी से हर समस्या का हल निकाला जा सकता है।
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