घोड़ा और किसान की कहानी | The Horse And The Farmer Story In Hindi By Leo Tolstoy
The Horse And The Farmer Story In Hindi
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किसी गाँव में एक किसान अपने परिवार के साथ रहता था। वह बहुत परिश्रमी और ईमानदार था। उसका मुख्य सहारा उसका घोड़ा था। घोड़ा किसान के लिए बेहद महत्वपूर्ण था, क्योंकि वह उसकी खेतों में काम करता, अनाज ढोता और बाजार जाने के लिए यातायात का साधन भी था।
किसान और घोड़े का रिश्ता अन्य किसान और उनके पशुओं के रिश्तों की तरह था। किसान अपने घोड़े का ख्याल रखता था, उसे समय पर चारा और पानी देता था, और घोड़ा बदले में किसान का काम करता था। हालांकि, घोड़े के मन में यह बात कभी-कभी आती थी कि वह केवल एक भार ढोने वाला जीव है। उसे लगता था कि वह चाहे किसी का भी भार उठाए, उसकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आएगा।
एक दिन, किसान अपने खेत में काम कर रहा था। अचानक, गाँव में खबर फैली कि कुछ सैनिक दुश्मन के इलाके पर हमला कर रहे हैं। सैनिक तेज़ी से गाँव की ओर बढ़ रहे थे। चारों ओर अफरातफरी मच गई। किसान अपने खेत से भागा और सीधे अपने घोड़े के पास पहुँचा। वह जानता था कि दुश्मन गाँव के जानवरों और संपत्ति को लूट सकते हैं। उसने घोड़े को पकड़ने की कोशिश की, ताकि वह उसे सुरक्षित स्थान पर ले जा सके।
लेकिन घोड़ा इतना डर गया था कि वह किसान के काबू में नहीं आ रहा था। वह इधर-उधर भागने लगा और किसान को लगातार परेशान कर रहा था।
किसान ने घोड़े से कहा, “मूर्ख कहीं के! अगर तुम मेरे हाथ न आए तो दुश्मन के हाथ पड़ जाओगे।”
घोड़ा ने पूछा, “दुश्मन मेरा क्या करेगा?”
किसान ने कहा, “वह तुम पर बोझ लादेगा और तुम्हें काम में लगाएगा।”
इस पर घोड़े ने एक पल के लिए सोचा और फिर शांत स्वर में कहा, “तो क्या मैं तुम्हारा बोझ नहीं उठाता? मुझे इससे क्या फर्क पड़ता है कि मैं किसका बोझ उठाता हूँ?”
सीख
हम दूसरों के बारे में तो आंकलन बड़ी जल्दी कर लेते हैं, लेकिन स्वयं का नहीं और स्वयं को दूसरों से बेहतर समझते हैं। स्वयं के कार्यों का आंकलन जरूरी है, ताकि स्वयं में सुधार किया जा सके।