भूखा चूहा : बच्चों की शिक्षाप्रद कहानी | The Hungry Mouse Story In Hindi

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम एक भूखे चूहे की कहानी (The Hungry Mouse Story In Hindi) शेयर कर रहे हैं. ये एक हिंदी शिक्षाप्रद कहानी (Hindi Moral Story) है. इस कहानी में चूहे को माध्यम बनाकर जीवन की एक सीख दी गई है. पढ़िए पूरी कहानी :

The Hungry Mouse Story In Hindi 

The Hungry Mouse Story In Hindi
The Hungry Mouse Story In Hindi

मिकी नाम का एक चूहा था. एक दिन वह खाने की तलाश में अपने बिल से बाहर निकला और इधर-उधर घूमने लगा. घूमते-घूमते उसे एक घर दिखाई पड़ा और वह उस घर में घुस गया.

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घर के अंदर चलता हुआ वह रसोईघर में पहुँचा. वहाँ स्टील का एक डब्बा रखा हुआ था, जिसमें एक छोटा सा छेद था. मिकी को बहुत ज़ोरों की भूख लगी थी. उसने सोचा कि इस डब्बे में ज़रूर कोई खाने का सामान होगा. छेद से होता हुआ वह डब्बे में घुस गया.

डब्बे में चांवल भरा हुआ था. मिकी ख़ुशी से उछल पड़ा. उसने सोचा कि आज तो मेरी निकल पड़ी. अब मैं जी-भरकर चांवल खाऊँगा और अपने बिल में जाकर चैन से सोऊंगा.

उसके बाद वह चांवल खाने में जुट गया. वह खाता ही चला जा रहा था. उसका  पेट तो भर गया था, लेकिन मन नहीं. वह तब तक खाता रहा, जब तक वह खाते-खाते थक नहीं गया. उसके बाद उसने सोचा कि अब मुझे वापस अपने बिल में जाना चाहिए. कल फिर यहाँ आऊंगा और छककर चांवल खाऊंगा.

लेकिन जब वह छेद से बाहर निकलने को हुआ, तो निकल नहीं पाया. ज़रूरत से अधिक चांवल खा लेने के कारण उसका पेट फूल चुका था और उस फूले हुए पेट के कारण वह छेद से बाहर नहीं निकल पा रहा था.

मिकी डर गया. वह सोचने लगा कि यदि किसी ने मुझे डब्बे में देख लिया, तो मेरी शामत आ जायेगी. वह मदद की पुकार लगाने लगा. वहाँ से गुजरते एक दूसरे चूहे ने उसकी पुकार सुनी, तो वह डब्बे के छेद के पास आया और पूछा, “कौन मदद के लिए पुकार रहा है?

“मैं मिकी हूँ. मैं इस डब्बे के फंस गया हूँ भाई. मेरी मदद करो. मुझे यहाँ से निकालो.” मिकी बोला.

“लेकिन तुम इस डब्बे में फंस कैसे गए?”

“मुझे जोरों से भूख लगी थी. इस डब्बे में एक छेद देखा, तो उससे होता हुआ मैं इसमें घुस गया. लेकिन अब मैं बाहर नहीं निकला पा रहा हूँ.”

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“क्यों? जिस छेद से अंदर गये हो, उसी से बाहर निकल आओ.”

“जब मैं इस डब्बे में घुसा था, तब भूखा था. मेरा पेट भी पिचका हुआ था. लेकिन यहाँ मैंने ज़रूरत से ज्यादा चांवल खा लिया और अब मेरा पेट फूल गया है. जिस कारण मैं इस छेद से बाहर नहीं निकल पा रहा हूँ.” मिकी रोआंसी आवाज़ में बोला.

“यदि ऐसी बात है मिकी भाई, तो तुम्हें तब तक इंतज़ार करना पड़ेगा, जब तक तुम्हारा पेट फिर से पिचक ना जाये. इसलिए अंदर ही इंतज़ार करो और आइंदा ज्यादा लालच मत करना.” इतना कहकर वह चूहा वहाँ से चला गया.

मिकी चांवल से भरे डब्बे में बैठकर तब तक भूखा रहा, जब तक उसका पेट पिचक नहीं गया. जितने समय वह डब्बे के अंदर रहा, डर से कांपता रहा कि कोई उसे देख न ले और पकड़ कर मार न डाले. लेकिन उसकी किस्मत अच्छी थी कि किसी ने वह डब्बा नहीं खोला. पेट पिचक जाने के बाद वह डब्बे से बाहर आया और अपने बिल की ओर भाग गया. उस दिन उसे समझ आ गया कि ज़रूरत से ज्यादा कोई भी चीज़ अच्छी नहीं होती.

सीख (Moral of the story)

ज़रूरत से ज्यादा कोई भी चीज़ अच्छी नहीं होती.


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