Bible Story In Hindi

दाख की बारी का दृष्टांत | The Parable of the Vineyard In Hindi 

दाख की बारी का दृष्टांत बाइबल (The Parable of the Vineyard In Hindi Bible) बाइबल के नए नियम में मत्ती 21:33-46, मरकुस 12:1-12 और लूका 20:9-19 में पाया जाता है। यह दृष्टांत यीशु मसीह ने यहूदियों के धार्मिक अगुवों के सामने सुनाया था। इस दृष्टांत के माध्यम से उन्होंने ईश्वर और मानव जाति के संबंध को स्पष्ट किया, साथ ही यह भी समझाया कि जब लोग ईश्वर की दी हुई ज़िम्मेदारियों को नज़रअंदाज करते हैं, तो उन्हें इसका परिणाम भुगतना पड़ता है। यह दृष्टांत ईश्वर की न्यायप्रियता और मानव की जवाबदेही को दर्शाता है।

यीशु मसीह अक्सर दृष्टांतों के माध्यम से सिखाते थे, ताकि लोग आसानी से उनके संदेश को समझ सकें। दाख की बारी का दृष्टांत एक शक्तिशाली कहानी है, जो ईश्वर के राज्य की प्रकृति और मनुष्यों की जिम्मेदारी को दर्शाती है। दाख की बारी को ईश्वर द्वारा दिए गए अवसर और जिम्मेदारी का प्रतीक माना जा सकता है, जो मनुष्य को दी जाती है। इस दृष्टांत के अंत में यीशु यह भी स्पष्ट करते हैं कि अगर ईश्वर द्वारा दी गई ज़िम्मेदारी को सही तरीके से निभाया नहीं जाता, तो वह अवसर छीन लिया जाएगा और दूसरों को सौंप दिया जाएगा।

Instagram follow button दाख की बारी का दृष्टांत | The Parable of the Vineyard In Hindi 

The Parable of the Vineyard In Hindi

Table of Contents

The Parable of the Vineyard In Hindi

एक समय की बात है, एक धनी गृहस्थ (मालिक) ने एक शानदार दाख की बारी तैयार की। उसने इसमें न केवल अंगूर के पौधे लगाए, बल्कि इसके चारों ओर एक बाड़ भी लगाई ताकि उसे सुरक्षित रखा जा सके। दाख की बारी के बीचों-बीच उसने एक अंगूर रौंदने की जगह (पदनांग) बनवाई और उसकी देखरेख के लिए एक मीनार (सुरक्षा टॉवर) भी खड़ी कर दी। इस दाख की बारी में हर वह चीज़ थी जो उसकी समृद्धि और सुरक्षा के लिए आवश्यक थी।

दाख की बारी की तैयारी करने के बाद, मालिक ने इसे कुछ बागवानों (किसानों) को ठेके पर दे दिया और खुद एक दूर देश चला गया। उसने बागवानों से अपेक्षा की कि जब अंगूर की फसल तैयार हो, तो वे उसे उसके हिस्से का फल देंगे।

मौसम बदला, और फसल का समय आ गया। दाख की बारी के मालिक ने अपने सेवकों को भेजा ताकि वे उसका हिस्सा लेकर लौटें। लेकिन जब सेवक दाख की बारी में पहुँचे, तो बागवानों ने उनका स्वागत नहीं किया। इसके बजाय, उन्होंने उन्हें मार-पीट कर अपमानित किया। किसी सेवक को पीटा, किसी को पत्थर मारकर घायल किया, और किसी को जान से मार दिया।

मालिक को जब इस घटना का पता चला, तो उसने और अधिक सेवकों को भेजा। लेकिन बागवानों का रवैया नहीं बदला। उन्होंने इन नए सेवकों के साथ भी पहले जैसी क्रूरता दिखाई। बागवानों ने किसी को नहीं छोड़ा, बल्कि सभी सेवकों का अपमान किया और उन्हें मार-पीटकर भगा दिया।

अंततः मालिक ने सोचा, “मैं अपने बेटे को भेजूँगा। वे मेरे बेटे का सम्मान करेंगे और उसे देखकर डरेंगे।” इसलिए उसने अपने प्रिय बेटे को दाख की बारी में भेजा। लेकिन जब बागवानों ने बेटे को देखा, तो वे एक षड्यंत्र में जुट गए। उन्होंने आपस में कहा, “यह तो वारिस है। आओ, इसे मार डालें और फिर यह संपत्ति हमारी हो जाएगी।”

उन्होंने मालिक के बेटे को पकड़कर बाहर निकाला, और बेरहमी से उसकी हत्या कर दी। बागवानों को लगा कि अब दाख की बारी पूरी तरह से उनकी हो जाएगी और मालिक कभी वापस नहीं आएगा।

इस दृष्टांत को सुनाने के बाद, यीशु ने श्रोताओं से पूछा, “अब बताओ, जब दाख की बारी का मालिक लौटेगा, तो वह उन बागवानों के साथ क्या करेगा?” श्रोताओं ने जवाब दिया, “वह उन दुष्ट बागवानों का नाश करेगा और दाख की बारी को ऐसे लोगों को देगा, जो समय पर उसका हिस्सा उसे लौटाएंगे।”

यीशु ने इस दृष्टांत के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि दाख की बारी ईश्वर का राज्य है। बागवान वे धार्मिक नेता और लोग हैं, जिन्हें ईश्वर ने इस दुनिया की जिम्मेदारी दी थी। लेकिन उन्होंने ईश्वर के संदेशवाहकों (भविष्यवक्ताओं) को ठुकरा दिया और मार डाला। अंततः, उन्होंने ईश्वर के बेटे (यीशु मसीह) को भी मार डाला। इस दृष्टांत के माध्यम से, यीशु ने यहूदियों के धार्मिक अगुवों को सचेत किया कि वे ईश्वर की दी हुई ज़िम्मेदारी से विमुख हो गए हैं, और अब ईश्वर अपने राज्य को दूसरों को सौंप देगा – यानी ऐसे लोगों को, जो उसकी इच्छा पूरी करेंगे।

सीख

दाख की बारी का दृष्टांत कई महत्वपूर्ण शिक्षाएँ देता है:

1. ईश्वर की कृपा और न्याय : ईश्वर ने दाख की बारी के मालिक की तरह इस दुनिया को तैयार किया और हमें इसकी जिम्मेदारी सौंपी है। उसकी कृपा असीम है, लेकिन उसकी न्यायप्रियता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। अगर हम उसके आदेशों का पालन नहीं करते और उसकी दी हुई जिम्मेदारियों को नज़रअंदाज़ करते हैं, तो उसका न्याय अवश्य होता है।

2. जवाबदेही : बागवानों ने दाख की बारी की देखभाल की जिम्मेदारी तो ली, लेकिन उसे अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश की। इसी तरह, हम सभी को इस दुनिया में दी गई ज़िम्मेदारियों के लिए जवाबदेह होना पड़ेगा।

3. ईश्वर के दूतों का आदर : इस दृष्टांत में सेवक ईश्वर के दूत (भविष्यवक्ता) हैं, जिन्हें मानव जाति ने ठुकराया और सताया। ईश्वर के दूतों का आदर करना और उनके संदेश को समझना हमारे लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे हमें सही रास्ते पर ले जाते हैं।

4. ईश्वर का धैर्य : मालिक ने बार-बार अपने सेवकों को भेजा, जो ईश्वर के धैर्य का प्रतीक है। वह हमें कई मौके देता है, हमें समझने और सुधारने का अवसर प्रदान करता है। लेकिन अगर हम लगातार उसकी अवहेलना करते रहें, तो उसका धैर्य भी एक समय पर खत्म हो जाता है।

5. ईश्वर के पुत्र की अस्वीकृति : इस दृष्टांत में मालिक का पुत्र स्वयं यीशु मसीह का प्रतीक है। धार्मिक नेताओं ने न केवल ईश्वर के सेवकों (भविष्यवक्ताओं) को ठुकराया, बल्कि अंततः उन्होंने ईश्वर के पुत्र को भी क्रूस पर चढ़ा दिया। यह दृष्टांत उस अस्वीकृति और उसके परिणामों की ओर इंगित करता है।

दाख की बारी का दृष्टांत हमें ईश्वर के प्रति हमारी ज़िम्मेदारी और उसके आदेशों की पालन करने की महत्ता सिखाता है। ईश्वर ने हमें इस दुनिया में अपना काम करने के लिए रखा है, और हमसे अपेक्षा है कि हम उसकी मर्जी के अनुसार कार्य करें। अगर हम उसकी कृपा और धैर्य का दुरुपयोग करते हैं, तो हमें उसके न्याय का सामना करना पड़ेगा। इस दृष्टांत के माध्यम से, यीशु ने अपने श्रोताओं को आगाह किया कि ईश्वर का राज्य उन लोगों को सौंपा जाएगा, जो वफादारी और ईमानदारी से उसकी सेवा करेंगे।

Instagram follow button दाख की बारी का दृष्टांत | The Parable of the Vineyard In Hindi 

More Bible Stories:

क्षमा न करने वाले सेवक का दृष्टांत 

खोए हुए सिक्के का दृष्टांत

खोई हुई भेड़ का दृष्टांत

सरसों के बीज का दृष्टांत 

छिपे हुए खजाने का दृष्टांत 

Leave a Comment