उड़ाव पुत्र की कहानी | The Prodigal Son bible Story In Hindi

इस लेख में उड़ाव पुत्र की कहानी (The Prodigal Son Bible Story In hindi) शेयर की जा रही है। Udau Putra Ki Kahani Bible Parable Hindi राह भटककर पिता से दूर हुए पुत्र की पश्चाताप कर प्रभु के शरण में लौटने की कहानी है।

The Prodigal Son Bible Story In Hindi

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The Prodigal Son Bible Story In Hindi

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एक धनी व्यक्ति के दो पुत्र थे। बड़ा आज्ञाकारी और परिश्रमी था। छोटा विलासी था। एक दिन छोटा पुत्र अपने पिता के पास गया और उससे अपने हिस्से की संपत्ति की मांग की। पिता ने उसे उसकी संपत्ति का हिस्सा दे दिया।

अपने हिस्से की संपत्ति लेकर छोटा पुत्र दूसरे देश चला गया। वहां पहुंचकर उसने भोग विलास में सारी संपत्ति उड़ा दी। उसी समय उस देश में भयंकर अकाल पड़ा और उसकी भूखों मरने की नौबत आ गई।

मजबूर होकर उसने एक आदमी के खेत में सूअर चराने की नौकरी कर ली। वह दिन भर खेत में सूअर चराता और सूअर को खाने को जो फलियां मिलती, उसे खाकर ही अपना पेट भरने की चेष्टा करता। लेकिन उसके नसीब में सूअर की फलियां भी नहीं थी।

ऐसे में उसे अपने पिता के घर की याद सताने लगी। वह सोचने लगा कि उसके पिता के घर तो नौकर और मजदूरों को भी उनकी भूख से ज्यादा रोटी मिलती है और मैं यहां सूअर को मिलने वाली फलियों को तरस रहा हूं।

उसने फैसला किया कि वह अपने पिता के घर लौट जायेगा और उनसे गिड़गिड़ाते हुए क्षमा याचना करेगा, “मेरे पिता मैंने आपके विरुद्ध, स्वर्ग में विराजमान परमात्मा के विरुद्ध अपराध किया है, जो अपने विलास के लिए आपको त्याग दिया। मुझे अपना मजदूर बनाकर रख लीजिए, क्योंकि अब मैं आपका पुत्र कहलाने के योग्य नहीं रहा।”

ये सोचकर वह अपने पिता के घर चल पड़ा। वह घर से कुछ दूरी पर था, तब उसके पिता की दृष्टि उस पर पड़ी। अपने पुत्र को ऐसी स्थिति में देखकर पिता का हृदय द्रवित हो गया। वह भागकर उसके पास गया और उसे अपने गले से लगा लिया।

बेटा पिता से क्षमा याचना करते हुए बोला, “पिताजी! अब मैं आपका पुत्र कहलाने योग्य नहीं रहा। मैंने आपके प्रति पाप किया है।”

लेकिन पिता ने उसकी बात अनसुनी कर दी। वह खुशी में अपने सेवकों को पुकारते हुए बोला, “जाओ और मेरे पुत्र के लिए अच्छे वस्त्र लेकर आओ, उसे उंगली में अंगूठी और पैरों में जूते पहनाओ। एक मोटा बछड़ा मारो और आनंद मानने की तैयारी करो। मेरा बेटा मर गया था, लेकिन वह फिर जी उठा है। वह खो गया था, लेकिन फिर मिल गया है।”

घर में सब मिलकर गाने बजाने और आनंद मानने लगे। 

उस समय बड़ा पुत्र खेत में काम कर रहा था। जब वह खेत से लौटने लगा और घर के निकट पहुंचा, तो नाचने और गाने बजाने की आवाज सुनकर एक नौकर से इस बारे में पूछा।

नौकर ने बताया कि आपका भाई परदेश से भला चंगा लौट आया है। इसलिए आपके पिता ने एक मोटा बछड़ा मारा है और सब मिलकर आनंद मना रहे हैं।

बड़ा पुत्र क्रोधित हो गया और वहीं से लौटने लगा। तब पिता उसके पास आया और उसे मानने लगा।

बड़े पुत्र ने शिकायत करते हुए कहा, “मैं सदा आपके साथ रहा। आपकी हर आज्ञा का पालन किया। लेकिन आपने कभी मेरे लिए बकरी का बच्चा तक नहीं मारा और उसके लिए, जो आपको छोड़कर चला गया और अपनी सारी संपत्ति भोग विलास में उड़ा दी, उसके लिए एक मोटा बछड़ा मारा।”

तब पिता ने कहा, “पुत्र! तुम तो सदा मेरे साथ थे। मेरा सब कुछ तुम्हारा है। लेकिन तुम्हारा छोटा भाई राह भटक कर मुझसे दूर चला गया था। वह सही राह पर आ गया है। मैं इसका आनंद मना रहा हूं।”

उड़ाऊ पुत्र की कहानी से यह सीख मिलती है कि प्रभु परमेश्वर अपनी समस्त संतानों से प्रेम करता है। जो राह भटक गए थे और पश्चाताप कर वापस प्रभु की शरण में आ गए हैं, प्रभु उन्हें पुनः स्वीकार करता है और उनके लौटने पर प्रसन्न होता है। वह उनके लिए आनंद पूर्ण जीवन प्रदान करता है। इसलिए भटके हुए भाई बहन पश्चाताप कर पुनः ईश्वर की शरण में लौट आएं और उनके प्रेम के भागी बनकर आनंदपूर्ण जीवन बिताए।

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