तेनालीराम की कहानी : नाई की उच्च नियुक्ति

फ्रेंड्स, आज इस पोस्ट में हम तेनालीराम और नाई की उच्च नियुक्ति कहानी (‘The Promoted Barber Tenali Raman Story In Hindi’) प्रस्तुत कर रहे हैं. इस कहानी में महाराज कृष्ण देव राय एक अज्ञानी नाई को दरबार में उच्च नियुक्ति देने का वचन दे देते हैं. इसका अन्य दरबारियों पर क्या प्रभाव पड़ता है? तेनालीराम क्या करता है? यही इस कहानी में बताया गया है. पढ़िए :

The Promoted Barber Tenali Raman Story 

The Promoted Barber Tenali Raman Story In Hindi
The Promoted Barber Tenali Raman Story In Hindi

 “तेनालीराम की कहानियों” का पूरा संकलन यहाँ पढ़ें : click here

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शाही नाई का महाराज कृष्णदेव राय के बाल काटने और दाढ़ी बनाने महल में आना-जाना लगा रहता था. जब वह राजदरबारियों को देखता, तो स्वयं भी राजदरबारी बनने सपने देखा करता था.

एक दिन जब वह महल आकर महाराज कृष्णदेव राय के शयन कक्ष में गया, तो देखा कि महाराज गहरी नींद में सोये हुए हैं. उसने सोते-सोते ही उनकी दाढ़ी बना दी.

महाराज जब उठे और देखा कि उनकी दाढ़ी बनी हुई है, तो बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने नाई को बुलवाकर कहा, “हम तुम्हारे काम से अति प्रसन्न है. मांगो क्या मांगते हो. आज हम तुम्हारी हर इच्छा पूरी करेंगे.”

नाई तो ऐसे ही किसी अवसर की ताक में था. वह हाथ जोड़कर बोला, “महाराज! यदि आप मेरी कोई इच्छा पूरी करना चाहते हैं, तो मुझे अपना दरबारी बना लीजिये क्योंकि मेरी आपका दरबारी बनने की इच्छा है.”

महाराज कृष्णदेव राय ने बिना सोचे-समझे ही उसे अपना दरबारी बनाने की हामी भर दी. नाई बहुत ख़ुश हुआ और सभी जगह यह बात बताने लगा. जब दरबारियों को ये बात पता चली, तो वे चिंतित हो गए.

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नाई को दरबार के कार्यों की कोई जानकारी नहीं थी. वैसे अज्ञानी व्यक्ति को दरबारी बनाना राज्य के कार्यों पर विपरीत प्रभाव डाल सकता था. दरबारी ये बात समझते थे, लेकिन महाराज से कौन कहता? किसी में ये कहने का साहस नहीं था.

वे सभी तेनालीराम के पास गए और उसे सारी बात बताकर इस समस्या का कोई हल निकालने को कहा. तेनालीराम ने उन्हें आश्वासन देकर वापस भेज दिया.

अगले दिन रोज़ की तरह महाराज सुबह-सुबह नदी किनारे टहलने गए. वहाँ उन्होंने देखा कि तेनालीराम एक काले को कुत्ते को रगड़-रगड़कर नहला रहा है. ये देख उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ.

वे तेनालीराम से बोले, “सुबह-सुबह ये क्या कर रहे हो तेनाली?”

तेनालीराम बोला, “महाराज! मैं इस कुत्ते को रगड़-रगड़कर नहला रहा हूँ, ताकि ये सफ़ेद हो जाये.”

“अरे काला कुत्ता सफ़ेद कैसे होगा तेनाली?” महाराज ने हँसते हुए पूछा.

“महाराज! जब एक अयोग्य व्यक्ति राजदरबारी बन सकता है, तो काला कुत्ता भी सफ़ेद हो सकता है.” तेनालीराम ने उत्तर दिया.

महाराज समझ गए कि तेनालीराम का इशारा किस ओर है. उन्होंने नाई को राजदरबारी न बनाकर वही स्थान दिया, जिसके लिए वह उपयुक्त था.  


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