गुलाब और तितली की कहानी | The Rose And The Butterfly Story In Hindi | Gulab Aur Titli Ki Kahani
प्यार और विश्वास हर रिश्ते की नींव होती है। बिना विश्वास के रिश्ते में दरार आना स्वाभाविक है। हर कोई रिश्ते में ईमानदारी और निष्ठा की अपेक्षा करता है, लेकिन यह भूल जाता है कि ऐसा तभी संभव है जब हम स्वयं भी ईमानदार और निष्ठावान हों। इस बात को स्पष्ट करने के लिए कई कहानियाँ और दृष्टांत दिए गए हैं। इन्हीं में से एक है – तितली और गुलाब की कहानी, जो हमें सिखाती है कि दूसरों से स्थिरता की अपेक्षा करने से पहले हमें खुद अपने व्यवहार को परखना चाहिए।
The Rose And The Butterfly Story In Hindi
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एक सुंदर तितली अपने सुनहरे और चांदी से झिलमिलाते पंखों के साथ बगीचे में उड़ रही थी। उसकी चमक-धमक और कोमल उड़ान हर फूल का ध्यान आकर्षित करती थी। एक दिन तितली की नजर एक सुंदर गुलाब पर पड़ी। गुलाब अपनी सुगंध और लालिमा के लिए प्रसिद्ध था। जैसे ही तितली गुलाब के पास पहुँची, उसकी खूबसूरती पर मोहित हो गई।
तितली ने गुलाब से कहा, “गुलाब, तुमसे सुंदर कुछ नहीं है। तुम्हारी सुगंध और तुम्हारी कोमल पंखुड़ियाँ मेरे दिल को छू गई हैं। क्या तुम मेरी प्रेमी बनोगे?”
गुलाब ने यह सुनकर शर्म से लाल हो गया और धीमे स्वर में कहा, “तुम्हारे सुंदर पंख और तुम्हारे कोमल शब्दों ने मुझे भी मोहित कर दिया है। मैं तुम्हें अपना हृदय सौंपने के लिए तैयार हूँ।”
उन दोनों ने साथ में खूब वक्त बिताया। तितली गुलाब के चारों ओर मंडराती और गुलाब अपनी पंखुड़ियों को खुशी से झुलाता। उन्होंने एक-दूसरे से हमेशा साथ निभाने और वफादार रहने का वादा किया।
तितली के जाने का दिन आया। उसने गुलाब से कहा, “मैं तुम्हारे पास लौटकर आऊंगा। तुम्हारे बिना मैं अधूरा हूँ।”
गुलाब ने भी विश्वास जताया और कहा, “मैं तुम्हारी प्रतीक्षा करूंगा, चाहे, जितना भी समय लगे।”
तितली ने उड़ान भरी और बगीचे में घूमने लगी। वह कभी चमकीले गेंदा के पास जाती, कभी खुशबूदार चमेली के पास। उसने हर फूल के साथ छेड़खानी की और अपनी चंचलता में अपने वादे को भुला दिया। तितली की खूबसूरती देखकर हर फूल उसकी ओर आकर्षित हो जाता, और तितली इसका आनंद उठाती।
कुछ समय बाद गुलाब को यह अहसास हुआ कि तितली बहुत समय से वापस नहीं आई है। गुलाब ने अपने आसपास देखा और पाया कि तितली अन्य फूलों के साथ अपना समय बिता रही थी। उसे यह देखकर गुस्सा और दुख दोनों हुआ। गुलाब ने सोचा, “क्या यही उसका वादा था? उसने मुझे छोड़कर दूसरों के साथ अपना समय बिताना शुरू कर दिया।”
कुछ समय बाद तितली फिर गुलाब के पास लौटी। गुलाब ने उसे देखते ही रोष और व्यथा से कहा, “क्या यही तुम्हारी स्थिरता और प्रेम है? तुमने कहा था कि तुम हमेशा मुझसे वफादार रहोगे। लेकिन मैंने तुम्हें दूसरे फूलों के साथ मस्ती करते हुए देखा है। तुमने गेंदा को चूमा और चमेली के चारों ओर तब तक घूमते रहे, जब तक कि मधुमक्खी ने तुम्हें वहां से भगा नहीं दिया।”
तितली ने गुलाब की बात सुनकर हंसते हुए जवाब दिया, “ओह गुलाब, तुम मुझे मेरी स्थिरता का पाठ पढ़ा रहे हो? क्या तुमने खुद पर ध्यान दिया है? जब मैं यहाँ नहीं थी, तो मैंने देखा कि तुमने ज़ेफायर (हवा) को अपने पंखुड़ियों से चूमने दिया। तुमने भंवरे के साथ खूब बातें कीं और हर कीड़े पर मुस्कान बिखेरी। जब तुम खुद स्थिर नहीं हो, तो मुझसे यह अपेक्षा कैसे कर सकते हो?”
गुलाब यह सुनकर स्तब्ध रह गया। उसे यह महसूस हुआ कि वह भी उतना ही दोषी था, जितनी तितली। तितली को उसने उसकी निष्ठाहीनता के लिए कठघरे में खड़ा कर दिया था, जबकि खुद गुलाब का व्यवहार भी आदर्श नहीं था।
सीख
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें दूसरों से वही अपेक्षा रखनी चाहिए, जो हम स्वयं निभा सकते हैं। अगर हम स्वयं निष्ठावान नहीं हैं, तो दूसरों से निष्ठा की अपेक्षा करना गलत है। रिश्तों में स्थिरता और विश्वास दोनों तरफ से होना चाहिए। अगर हम किसी को दोष देते हैं, तो पहले हमें अपने आचरण को देखना चाहिए।
प्यार और रिश्तों में पारदर्शिता और निष्ठा सबसे महत्वपूर्ण हैं। अगर हम दूसरों को अपनी भावनाओं के साथ खेलते देखते हैं, तो हमें पहले यह देखना चाहिए कि कहीं हम खुद भी तो वही गलती नहीं कर रहे। इस कहानी का सार यह है कि दूसरों से वफादारी और स्थिरता की अपेक्षा तभी करें, जब आप खुद इसमें खरे उतरते हों।
इस कहानी का यह संदेश हमें अपने व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में आत्म-निरीक्षण करने के लिए प्रेरित करता है। स्थिरता और सच्चाई किसी भी रिश्ते को मजबूत बनाती है, लेकिन यह दोनों तरफ से होना जरूरी है।