भेड़ और भेड़िया की कहानी (The Sheep And The Wolf Story In Hindi) Bhed Aur Bhediya Ki Kahani
The Sheep And The Wolf Story In Hindi
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बहुत समय पहले, एक सुंदर और हरे-भरे जंगल के किनारे एक गाँव था। उस गाँव में एक चरवाहा रहता था जिसका नाम गोपाल था। गोपाल के पास कई भेड़ें थीं, जिन्हें वह हर दिन हरी-हरी घास के मैदान में चरने के लिए ले जाता था। ये भेड़ें बड़े ही शांत स्वभाव की थीं। उनका जीवन बस खाना, पानी पीना और चरवाहे के पीछे-पीछे चलना था।
गाँव के चारों ओर एक घना जंगल था, जिसमें जंगली जानवर रहते थे। उन जानवरों में सबसे खतरनाक था भेड़िया। गाँव के लोगों ने अक्सर भेड़ियों के झुंड को देखा था, जो जंगल से गाँव की ओर आते थे और भेड़ों पर हमला करने का मौका तलाशते रहते थे। गोपाल और गाँव के दूसरे लोग भेड़ियों से हमेशा सतर्क रहते थे।
भेड़ें हमेशा अपने चरवाहे गोपाल पर पूरी तरह से निर्भर रहती थीं। गोपाल उन्हें हर सुबह सुरक्षित जगह पर ले जाता और शाम को वापस गाँव लाता। भेड़ें इतनी भरोसेमंद थीं कि उन्हें यह नहीं पता होता था कि जंगल में किस तरह के खतरे होते हैं। वे बस चरते रहते और आराम से दिन बिताते।
लेकिन एक दिन गोपाल के मन में कुछ विचार आया। उसने सोचा, “भेड़ें कितनी भोली और नासमझ होती हैं। इन्हें कुछ भी पता नहीं होता कि अगर भेड़िया आ गया तो क्या होगा। ये तो बचने की भी कोशिश नहीं करेंगी। शायद इन्हें समझना चाहिए कि जीवन केवल सुरक्षा में ही नहीं, बल्कि सतर्कता में भी है।”
उसने यह सोचकर भेड़ों को थोड़ा सबक सिखाने का फैसला किया।
जंगल में एक भेड़िया था, जो बहुत ही चालाक और धूर्त था। वह हमेशा गाँव के किनारे मंडराता और मौका देखकर भेड़ों पर हमला करने की योजना बनाता। लेकिन गोपाल हमेशा अपनी भेड़ों का ध्यान रखता था, जिससे भेड़िया कभी अपने इरादों में सफल नहीं हो पाता था।
भेड़िए को मालूम था कि भेड़ें बहुत भोली होती हैं और आसानी से धोखा खा सकती हैं। एक दिन उसने सोचा कि अगर वह खुद को सुरक्षित और भरोसेमंद दिखाए तो शायद भेड़ें उसे अपना दोस्त मान लेंगी।
एक दिन भेड़िया अपनी चालाक योजना के साथ भेड़ों के पास आया। उसने भेड़ की खाल ओढ़ी और भेड़ों के झुंड में घुस गया। उसकी चालाकी इतनी थी कि भेड़ों को उसकी असली पहचान का पता ही नहीं चला।
भेड़िया, जो अब एक भेड़ की तरह दिख रहा था, ने भेड़ों से दोस्ती कर ली। वह उनके साथ घास चरने लगा और धीरे-धीरे उनका भरोसा जीतने लगा। भेड़ों ने उसे एक नया साथी मान लिया।
“तुम कौन हो?” एक भेड़ ने पूछा।
“मैं इस जंगल की एक और भेड़ हूँ। मैं अकेली थी, और तुम्हारे साथ आकर मुझे बहुत अच्छा लगा,” भेड़िए ने मीठी आवाज में कहा।
भेड़ें उसकी बातों से प्रभावित हो गईं और उसे अपने समूह का हिस्सा बना लिया। वह दिन भर उनके साथ चरता और रात को उनके साथ आराम करता। धीरे-धीरे वह भेड़ों का विश्वास जीतने में सफल हो गया।
गोपाल यह सब ध्यान से देख रहा था। उसे शक हुआ कि कुछ तो गड़बड़ है। भेड़िए की चालाकी उसके अनुभव से बच नहीं पाई। उसने सोचा कि सही समय पर भेड़ों को इस खतरे से आगाह किया जाना चाहिए, ताकि वे समझ सकें कि हर चमकती चीज सोना नहीं होती।
एक रात गोपाल ने भेड़ों के लिए एक योजना बनाई। उसने अपने गाँव के कुछ दोस्तों को बुलाया और उन्हें भेड़ों के पास छुपा दिया। जैसे ही रात का अंधेरा घिरा, भेड़िए ने अपनी असली पहचान उजागर करने का फैसला किया। उसने सोचा कि अब उसे भेड़ों पर हमला करने का सही मौका मिल गया है।
भेड़िया धीरे से उठा और एक भेड़ के पास पहुंचा। वह उसे दबोचने ही वाला था कि अचानक गोपाल और उसके दोस्तों ने उसे पकड़ लिया। भेड़िया बुरी तरह फंस गया और भागने की कोशिश करने लगा। लेकिन अब वह पूरी तरह से पकड़ा जा चुका था।
भेड़ों को यह देखकर झटका लगा कि जिस नए साथी को उन्होंने अपना दोस्त माना था, वह असल में एक भेड़िया था। उन्होंने महसूस किया कि वे कितनी भोली थीं और कैसे आसानी से धोखा खा गईं।
गोपाल ने भेड़ों से कहा, “देखा, यह भेड़िया था जो तुम्हें धोखा दे रहा था। हर कोई जो मीठी बातें करता है, वह जरूरी नहीं कि तुम्हारा दोस्त हो। हमेशा सतर्क रहो और कभी भी किसी पर अंधविश्वास मत करो।”
सीख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा सतर्क और जागरूक रहना चाहिए। जीवन में कई बार लोग हमें धोखा देने की कोशिश करेंगे, लेकिन हमें अपनी बुद्धि और समझदारी से काम लेना चाहिए।
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