Fairy Tale In Hindi

छह हंस परी कथा | The Six Swans Fairy Tale In Hindi

छह हंस परी कथा (The Six Swans Fairy Tale In Hindi)

कहानियों का संसार हमें केवल मनोरंजन ही नहीं देता, बल्कि उनमें छुपे गहरे संदेश हमें जीवन के महत्वपूर्ण सबक भी सिखाते हैं। ऐसी ही एक परीकथा है “छह हंसों की कहानी,” जो भाई-बहन के गहरे प्रेम, त्याग, धैर्य और साहस की मिसाल पेश करती है। यह कहानी हमें दिखाती है कि कैसे बलिदान और सच्चे प्रयास से सबसे कठिन परिस्थितियों को भी पार किया जा सकता है।  

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The Six Swans Fairy Tale In Hindi

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The Six Swans Fairy Tale In Hindi

बहुत समय पहले की बात है। एक राजा अपने विशाल राज्य में अपनी पत्नी और सात संतानों के साथ सुख-शांति से रहता था। राजा की पहली रानी से छह बेटे और एक बेटी थी। सभी बच्चे बहुत सुंदर, होशियार और एक-दूसरे से बेहद प्रेम करने वाले थे। लेकिन समय ने करवट ली, और रानी की मृत्यु हो गई।  

राजा ने बच्चों की परवरिश के लिए दूसरी शादी की। नई रानी दिखने में तो सुंदर थी, लेकिन उसका दिल कठोर और स्वभाव से वह एक चालाक जादूगरनी थी। जैसे-जैसे समय बीतता गया, नई रानी बच्चों से ईर्ष्या करने लगी। उसे यह बात पसंद नहीं थी कि राजा अपने बच्चों से इतना प्रेम करता है।  

रानी ने अपनी जादुई शक्तियों का इस्तेमाल करके बच्चों को राजा से दूर करने की योजना बनाई। एक दिन, उसने राजा को झूठी बातों में फँसाकर बच्चों को जंगल में भेज दिया। वहाँ उसने अपने जादू से छह भाइयों को सुंदर सफेद हंसों में बदल दिया।  

उनकी छोटी बहन को रानी ने महल में ही कैद कर लिया। वह बहुत रोई, अपने भाइयों को खोजने की कोशिश की, लेकिन महल से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था।  

कुछ समय बाद, किसी तरह बहन महल से भागने में सफल हुई। वह अपने भाइयों की खोज में जंगल की ओर चल पड़ी।  

कई दिनों तक जंगल में भटकने के बाद, उसने एक झील के पास छह सुंदर सफेद हंसों को देखा। हंस उसकी ओर उड़कर आए और उसके चारों ओर घूमने लगे। बहन ने उन्हें तुरंत पहचान लिया।  

शाम होते ही हंसों ने मानव रूप धारण कर लिया। भाइयों ने अपनी बहन को देखा और गले से लगा लिया। उन्होंने उसे बताया कि रानी के जादू के कारण वे हर सुबह हंस बन जाते हैं और केवल सूर्यास्त के बाद थोड़ी देर के लिए इंसान बन पाते हैं।  

भाइयों ने अपनी बहन को यह भी बताया कि जादू तोड़ने का एक ही तरीका है। उसे छह साल तक बिना किसी से बात किए और बिना हँसे रहना होगा। इस दौरान, उसे जंगली बिछुआ (नेटल) के पौधों से छह कमीजें बनानी होंगी और वे कमीजें भाइयों को पहनानी होंगी। तभी उनका हंस बनने का श्राप टूटेगा।  

बहन ने अपने भाइयों को बचाने का संकल्प लिया। वह जानती थी कि यह कार्य बहुत कठिन है, लेकिन अपने भाइयों के प्रति उसके प्रेम और समर्पण ने उसे हिम्मत दी।  

छोटी बहन ने झील के पास एक गुफा में अपना ठिकाना बना लिया। हर दिन वह जंगल से बिछुआ के पौधे इकट्ठा करती और उनसे धागे बनाकर कमीजें बुनती।  

बिछुआ के पौधे उसके हाथों में जलन और घाव कर देते, लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी। उसकी तपस्या और समर्पण देखकर जंगल के जानवर भी उसकी मदद करने लगे।  

इस दौरान, वह न किसी से बात करती, न हँसती। गाँव के कुछ लोग उसे जंगल में काम करते हुए देखते और उसे पागल समझते। उन्होंने उसकी खामोशी को उसके ऊपर शक करने का कारण बना लिया।  

एक दिन, पास के राज्य का राजा शिकार करते हुए उस जंगल में आया। उसने उस सुंदर और शांत लड़की को देखा। उसकी आँखों में राजा को गहराई और सच्चाई नजर आई। राजा ने उससे बात करने की कोशिश की, लेकिन उसने कोई उत्तर नहीं दिया।  

राजा ने उसकी खामोशी को उसकी सादगी और भोलापन समझा और उसे अपने महल में ले गया। उसने उससे विवाह का प्रस्ताव रखा, और बहन ने अपने भाइयों को बचाने के लिए इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।  

राजा और रानी खुशी-खुशी साथ रहने लगे। लेकिन राजा की माँ, जो बहुत कठोर स्वभाव की थी, उसे पसंद नहीं करती थी। उसने नई रानी पर झूठे आरोप लगाए कि वह एक चुड़ैल है और राज्य के लिए अशुभ है।  

राजा ने शुरू में अपनी माँ की बातों को नजरअंदाज किया। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, राजा भी रानी पर शक करने लगा।  

रानी अपने भाइयों के लिए कमीजें बनाने में लगी हुई थी। उसने पाँच कमीजें पूरी कर ली थीं, और छठी अधूरी थी। तभी राजा की माँ ने उसे चुड़ैल कहकर दोषी ठहराने की साजिश रची।  

राजा ने भावनाओं में आकर अपनी रानी को मौत की सजा सुनाई। उसे जलाने के लिए चिता तैयार की गई।  

जिस दिन रानी को जलाया जाना था, वह अपनी अधूरी कमीज के साथ चिता पर बैठ गई। ठीक उसी समय, सूर्यास्त हुआ और छह सफेद हंस आकाश में उड़ते हुए वहाँ पहुँचे।  

रानी ने जल्दी से छठी अधूरी कमीज पूरी की और अपने भाइयों को पहनाई।  

जैसे ही भाइयों ने कमीजें पहनीं, वे हंस से वापस इंसान में बदल गए। हालांकि, छठी कमीज अधूरी थी, इसलिए सबसे छोटे भाई का एक हाथ हंस का पंख बना रह गया।  

छह भाइयों ने राजा और महल के सभी लोगों को सच्चाई बताई। राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने अपनी माँ को कड़ी सजा दी और अपनी रानी से माफी माँगी।  

भाई-बहन फिर से मिल गए और खुशी-खुशी रहने लगे। राजा और रानी का जीवन भी प्रेम और समझदारी से भर गया।  

सीख

1. त्याग और बलिदान का महत्व : इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अपने प्रियजनों के लिए त्याग करना सबसे बड़ा धर्म है।  

2. धैर्य और साहस : किसी भी कठिन परिस्थिति में धैर्य और साहस हमें जीत दिलाते हैं।  

3. सत्य की शक्ति : सच्चाई को छुपाया नहीं जा सकता। अंततः सत्य की जीत होती है।  

4. भाई-बहन का प्रेम : भाई-बहन का रिश्ता सबसे मजबूत और पवित्र होता है। यह कहानी इस बंधन को और गहराई से समझाती है।  

यह कहानी हमें सिखाती है कि प्रेम, बलिदान और धैर्य से हम जीवन की सबसे कठिन चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।  

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