रॉबिनहुड की कहानी (The Story of Robin Hood In Hindi) इस पोस्ट में शेयर की जा रही है।
The Story of Robin Hood In Hindi
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बहुत समय पहले, इंग्लैंड के शेरवुड जंगलों में एक ऐसा वीर पुरुष रहता था, जिसका नाम था रॉबिनहुड। उसकी वीरता और न्यायप्रियता के किस्से दूर-दूर तक फैले हुए थे। रॉबिनहुड कोई साधारण डाकू नहीं था, बल्कि वह गरीबों और असहायों का मसीहा था। वह अमीरों से धन छीनकर गरीबों की सहायता करता और समाज में अन्याय और अत्याचार का डटकर सामना करता था। उसकी कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है, जिसने समाज के खिलाफ खड़ा होकर कमजोरों के लिए आवाज उठाई।
यह वह समय था जब इंग्लैंड में राजा रिचर्ड सिंहहृदय (Richard the Lionheart) का शासन था, लेकिन राजा रिचर्ड क्रूसेड (धार्मिक युद्ध) पर गए हुए थे। उनकी अनुपस्थिति में उनके भाई, प्रिंस जॉन, ने सत्ता संभाली थी। प्रिंस जॉन अत्यंत निर्दयी और लालची था। उसने अपने स्वार्थ के लिए गरीबों पर भारी कर लगाए, अमीरों और जमींदारों से मिलकर गरीबों का शोषण किया और देश में अन्याय और अत्याचार का बोलबाला हो गया। लोग प्रिंस जॉन और उसके दरबारियों, विशेष रूप से शेरिफ ऑफ नॉटिंघम (Sheriff of Nottingham), से त्रस्त थे।
इसी अन्यायपूर्ण समय में रॉबिनहुड ने गरीबों के लिए न्याय की लड़ाई शुरू की। वह अमीरों से चोरी करता, परंतु इसका उद्देश्य व्यक्तिगत लाभ नहीं, बल्कि अन्याय के शिकार गरीबों की मदद करना था। उसकी वीरता और बुद्धिमानी ने उसे जंगल के लुटेरों का सरदार बना दिया, लेकिन वह ‘अच्छे’ लुटेरे थे। रॉबिनहुड के साथियों में उसकी प्रिय मैरियन, छोटे कद का लेकिन बहादुर छोटा जॉन, और फ्रायर टक जैसे कई वीर शामिल थे, जो उसके इस न्याय के अभियान में साथ देते थे।
रॉबिनहुड, जिसे कभी रॉबिन ऑफ लॉक्सली कहा जाता था, एक कुलीन परिवार का था। उसने युद्धों में हिस्सा लिया और राजा रिचर्ड के प्रति निष्ठावान था। लेकिन प्रिंस जॉन के अत्याचारी शासन में उसकी भूमि छीन ली गई और उसे अपराधी घोषित कर दिया गया। उसकी संपत्ति पर कब्जा कर लिया गया, और उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया। लेकिन रॉबिन ने हार मानने के बजाय, अन्याय के खिलाफ लड़ने का निर्णय लिया।
शेरवुड का जंगल उसका नया घर बन गया। वहां से उसने प्रिंस जॉन और उसके अत्याचारी अधिकारियों के खिलाफ अपनी मुहिम शुरू की। धीरे-धीरे उसके पास कुछ और लोग आ गए, जो या तो उसी की तरह पीड़ित थे या अन्याय के खिलाफ खड़े होने के लिए तैयार थे। इन लोगों के साथ मिलकर रॉबिन ने अमीरों के काफिले और कर वसूलने वाले अधिकारियों पर हमले शुरू कर दिए। उसकी वीरता और दया के कारण लोग उसे आदर और प्रेम से देखने लगे।
रॉबिनहुड ने अपनी एक नीति बना रखी थी: वह कभी भी गरीबों या जरूरतमंदों से कुछ नहीं छीनता था। वह केवल उन अमीरों को निशाना बनाता, जो शोषण और भ्रष्टाचार के माध्यम से गरीबों की मेहनत का फल लूटते थे। रॉबिन और उसके साथियों ने कई बार शेरिफ के खजाने को लूटा और उन पैसों को गरीबों में बांट दिया। उसकी यह नीति उसे जनता का नायक बना रही थी, जबकि शेरिफ और प्रिंस जॉन उसके पीछे हाथ धोकर पड़े थे।
रॉबिनहुड का सबसे बड़ा शत्रु शेरिफ ऑफ नॉटिंघम था, जो प्रिंस जॉन का मुख्य सहयोगी था और गरीबों से जबरन कर वसूली करता था। शेरिफ ने कई बार रॉबिनहुड को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन हर बार रॉबिनहुड अपनी चतुराई और कुशलता से बच निकलता। उसकी रणनीतियों और योजनाओं के आगे शेरिफ बार-बार असफल हो जाता था।
रॉबिनहुड अकेले नहीं था। उसके साथ कुछ ऐसे वफादार साथी थे, जिन्होंने हर परिस्थिति में उसका साथ दिया। उनमें प्रमुख थे:
1. छोटा जॉन : वह लंबा और ताकतवर व्यक्ति था, जो अपने छोटे नाम के विपरीत बहुत बड़ा और साहसी था। छोटा जॉन रॉबिन का सबसे करीबी और विश्वसनीय साथी था। उसका साहस और शक्ति कई बार रॉबिन को मुसीबतों से बाहर निकालने में मददगार साबित हुई।
2. फ्रायर टक : एक धार्मिक व्यक्ति होते हुए भी, फ्रायर टक बहुत हंसमुख और जीवन से प्रेम करने वाला था। वह अपने दोस्तों के लिए हमेशा भोजन और शांति का प्रबंध करता, लेकिन जब भी जरूरत होती, वह अपनी तलवार से दुश्मनों का सामना करने में पीछे नहीं हटता था।
3. मेड मैरियन : रॉबिन की प्रेमिका मैरियन न केवल सुंदर थी, बल्कि साहसी और बुद्धिमान भी थी। वह नॉटिंघम के दरबार में रही, लेकिन रॉबिन के साथियों की मदद करती रही। उसकी वीरता और निष्ठा ने उसे रॉबिन के दिल के बहुत करीब रखा।
ये सभी साथी रॉबिन के साथ मिलकर न्याय की लड़ाई लड़ते रहे और गरीबों के लिए खड़े रहे।
शेरवुड जंगल के बाहर, शेरिफ ऑफ नॉटिंघम रॉबिनहुड को पकड़ने के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल करता रहा। उसने रॉबिन को जाल में फँसाने के लिए कई योजनाएँ बनाईं। एक बार शेरिफ ने एक बड़ी तीरंदाजी प्रतियोगिता आयोजित की, ताकि वह रॉबिन को पकड़ सके। उसने सोचा कि रॉबिन अपने धनुष और तीर के कौशल के लिए प्रसिद्ध है, तो वह इस प्रतियोगिता में जरूर हिस्सा लेगा।
रॉबिनहुड वास्तव में प्रतियोगिता में आया, लेकिन वह भेस बदलकर आया था। उसने प्रतियोगिता जीत ली और शेरिफ को कोई शक नहीं हुआ कि वह रॉबिन था। जब शेरिफ ने उसे पुरस्कृत किया, तब रॉबिन ने अपनी असली पहचान प्रकट की और वहां से भाग निकला। इस घटना ने रॉबिन की प्रतिष्ठा और भी बढ़ा दी।
समय बीतता गया, और रॉबिनहुड का नाम इंग्लैंड के हर कोने में फैल गया। उसकी वीरता के किस्से लोग सुनाने लगे। प्रिंस जॉन और शेरिफ ने उसकी गतिविधियों को रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन असफल रहे। इसी बीच, राजा रिचर्ड सिंहहृदय अपने लंबे युद्ध अभियान से इंग्लैंड लौट आए।
जब राजा रिचर्ड ने अपने देश की हालत देखी और सुना कि किस प्रकार प्रिंस जॉन और उसके सहयोगी गरीबों का शोषण कर रहे थे, तो वह बहुत नाराज हुए। उन्होंने तुरंत प्रिंस जॉन को हटाकर शासन की बागडोर खुद संभाल ली।
रॉबिनहुड ने राजा रिचर्ड से मुलाकात की और अपनी वफादारी दिखाई। राजा रिचर्ड ने रॉबिन को क्षमा कर दिया और उसकी भूमि और सम्मान को वापस लौटा दिया। इसके बाद, रॉबिन ने अपने साथियों के साथ मिलकर न्याय और शांति की स्थापना के लिए काम करना जारी रखा।
सीख
रॉबिनहुड की कहानी हमें यह सिखाती है कि न्याय और साहस कभी व्यर्थ नहीं जाते। रॉबिन ने अपने निजी लाभ के लिए नहीं, बल्कि समाज में फैले अन्याय और अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उसकी वीरता, उसकी नीति और उसके साथियों का विश्वास उसे एक सच्चे नायक के रूप में स्थापित करता है।
आज भी रॉबिनहुड की गाथाएँ इंग्लैंड के लोकगीतों और कहानियों में जीवित हैं। वह न केवल एक डाकू, बल्कि गरीबों का मसीहा और न्याय का प्रतीक था।