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मीठा दलिया की कहानी | The Sweet Porridge Story In Hindi For Kids

sweet porridge story in hindi मीठा दलिया की कहानी | The Sweet Porridge Story In Hindi For Kids
Written by Editor

मीठा दलिया की कहानी (The Sweet Porridge Story In Hindi For Kids) The Magic Porridge Pot Story In Hindi इस पोस्ट में शेयर की जा रही है। यह एक लोकप्रिय जर्मन परी कथा है, जो ब्रदर ग्रिम द्वारा लिखी गई हैं। 

The Sweet Porridge Story In Hindi 

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The Sweet Porridge Story In Hindi

किसी समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक गरीब माँ अपनी बेटी के साथ रहती थी। उनका नाम राधा और गुड़िया था। उनका जीवन बहुत कठिनाई भरा था, क्योंकि वे बेहद गरीब थे और खाने के लिए भी उनके पास बहुत कम साधन थे। गुड़िया एक बहुत प्यारी और आज्ञाकारी बच्ची थी, जो अपनी माँ की हर संभव मदद करने की कोशिश करती थी।

एक दिन, जब घर में बिल्कुल भी खाने का सामान नहीं बचा था, राधा ने गुड़िया से कहा, “बेटी, हमारे पास अब खाने के लिए कुछ भी नहीं बचा है। मैं बहुत चिंतित हूँ कि हम आज क्या खाएँगे।” गुड़िया ने माँ को ढांढस बंधाया और कहा, “माँ, आप चिंता मत करें। मैं जंगल में जा रही हूँ, शायद वहाँ कुछ खाने योग्य मिल जाए।”

गुड़िया जंगल की ओर चल पड़ी, लेकिन वहाँ उसे खाने के लिए कुछ भी नहीं मिला। चलते-चलते वह थक गई और एक पेड़ के नीचे बैठकर रोने लगी। अचानक, एक बूढ़ी औरत वहाँ आई और गुड़िया को रोते हुए देखकर बोली, “बेटी, तुम क्यों रो रही हो?”

गुड़िया ने अपने आँसू पोंछे और कहा, “हम बहुत गरीब हैं, हमारे पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है। मेरी माँ बहुत परेशान है, और मैं उसकी मदद नहीं कर पा रही हूँ।” बूढ़ी औरत ने मुस्कराते हुए कहा, “चिंता मत करो, मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ।”

बूढ़ी औरत ने अपनी झोली से एक छोटा सा जादुई बर्तन निकाला और गुड़िया को देते हुए कहा, “यह एक विशेष बर्तन है। जब भी तुम्हें खाने की जरूरत हो, तो इसे कहो, ‘बर्तन, पकाओ!’ और यह तुम्हारे लिए स्वादिष्ट मीठा दलिया पकाएगा। और जब तुम्हारा पेट भर जाए, तो इसे कहना, ‘बर्तन, अब बंद करो!’ तब यह दलिया पकाना बंद कर देगा। लेकिन ध्यान रखना, इसका सही उपयोग करना, वरना यह तुम्हारे लिए मुसीबत बन सकता है।”

गुड़िया ने बूढ़ी औरत का धन्यवाद किया और बर्तन लेकर खुशी-खुशी घर लौट आई। उसने अपनी माँ को सारी बात बताई और फिर बर्तन के पास जाकर कहा, “बर्तन, पकाओ!” तुरंत ही बर्तन में दलिया पकने लगा, और उसकी मीठी महक पूरे घर में फैल गई। राधा और गुड़िया ने बहुत स्वाद लेकर दलिया खाया और उनका पेट भर गया। जब वे संतुष्ट हो गईं, तो गुड़िया ने कहा, “बर्तन, अब बंद करो!” और बर्तन ने दलिया पकाना बंद कर दिया।

अब राधा और गुड़िया के पास खाने की कोई कमी नहीं थी। जब भी उन्हें भूख लगती, वे बर्तन से दलिया बनवा लेतीं। उनकी जिंदगी में खुशहाली लौट आई थी। गाँव में भी उनकी खुशहाली की चर्चा होने लगी, लेकिन वे दोनों इस बर्तन के बारे में किसी को कुछ नहीं बताती थीं।

एक दिन, गुड़िया की माँ ने सोचा कि वह अकेले ही बर्तन का उपयोग करके दलिया बनाएगी। गुड़िया उस समय घर पर नहीं थी। राधा ने बर्तन के पास जाकर कहा, “बर्तन, पकाओ!” और बर्तन ने तुरंत दलिया पकाना शुरू कर दिया। लेकिन राधा को याद नहीं था कि बर्तन को बंद कैसे करना है। दलिया बर्तन से निकलकर पूरे घर में फैलने लगी। राधा ने घबरा कर बर्तन से कहा, “अब बस करो, बर्तन!” लेकिन बर्तन ने उसे सुना ही नहीं और दलिया पकाता रहा।

दलिया घर के हर कोने में भरने लगी और फिर बाहर गली में बहने लगी। राधा बहुत परेशान हो गई और वह सोचने लगी कि अब क्या करे। दलिया पूरे गाँव में फैलने लगी, और लोग चौंक गए कि अचानक इतनी सारी दलिया कहाँ से आ रही है। किसी को कुछ समझ नहीं आया कि यह हो क्या रहा है।

इस बीच, गुड़िया जंगल से लौट रही थी। उसने गाँव में दलिया की नदी सी बहती देखी, तो तुरंत समझ गई कि उसकी माँ ने बर्तन का गलत उपयोग किया होगा। वह भागते हुए घर पहुँची और जोर से चिल्लाई, “बर्तन, अब बंद करो!” और बर्तन ने तुरंत दलिया पकाना बंद कर दिया।

गुड़िया ने अपनी माँ को समझाया कि जादुई बर्तन का सही उपयोग कितना महत्वपूर्ण है। राधा ने अपनी गलती मानी और गुड़िया से माफी मांगी। उन्होंने मिलकर पूरे गाँव की सफाई की और बाकी बचे दलिया को गाँववालों में बाँट दिया। सभी लोग बहुत खुश हुए और राधा व गुड़िया को धन्यवाद दिया।

अब, राधा ने यह सीख ली कि जादू का सही उपयोग करना चाहिए और बिना जाने कुछ भी नहीं करना चाहिए। वह अब हमेशा गुड़िया की मदद से ही बर्तन का उपयोग करती थी। वे दोनों मिलकर सुखपूर्वक रहने लगे, और उनके पास कभी खाने की कमी नहीं रही।

गुड़िया और उसकी माँ का जीवन अब पूरी तरह बदल गया था। उन्होंने अपने जीवन में आने वाली मुश्किलों का सामना धैर्य और समझदारी से किया। गाँव के लोग भी अब उनकी इज्जत करने लगे थे, क्योंकि उन्होंने देखा था कि कैसे गुड़िया ने संकट की घड़ी में अपने सूझबूझ से स्थिति को संभाला था।

गुड़िया और उसकी माँ ने यह भी समझा कि दूसरों की मदद करना कितना जरूरी है। जब भी गाँव में कोई भूखा होता, वे उसे अपने घर बुलाकर दलिया खिलाते। इस तरह, उस छोटे से गाँव में कभी भी कोई भूखा नहीं सोता था। वे दोनों इस बात से बहुत खुश थे कि उनके पास जितना भी था, वह दूसरों के साथ बांटकर उन्हें खुशी मिलती थी।

इस कहानी से यह सीख मिलती है कि समझदारी से किया गया सही निर्णय जीवन को सुखमय बना सकता है। साथ ही, हमें जो कुछ भी मिला है, उसे सही तरीके से और दूसरों की भलाई के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। किसी भी जादू या शक्ति का उपयोग केवल तब करना चाहिए जब हमें उसका सही तरीका मालूम हो, और हमें उसे दूसरों के साथ भी बाँटना चाहिए, ताकि सबको खुशी मिल सके।

इस तरह, गुड़िया और उसकी माँ ने अपने जीवन को न केवल सुखी और संपन्न बनाया, बल्कि अपने गाँव को भी खुशहाली से भर दिया। उनकी मीठी खीर की कहानी अब पूरे गाँव में मशहूर हो गई थी, और लोग इसे सुनकर हमेशा मुस्कुराते थे।

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