तीन मछलियाँ पंचतंत्र की कहानी ~ मित्रभेद | The Three Fishes Panchatantra Story In Hindi

तीन मछलियों की कहानी, The Three Fishes Panchatantra Story In Hindi, Teen Machchhaliya Panchatantra Ki Kahani 

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम पंचतंत्र की कहानी तीन मछलियाँ (The Three Fishes Panchatantra Story In Hindi) शेयर कर रहे हैं. पंचतंत्र के भाग मित्रभेद की यह कहानी तीन भिन्न सोच रखने वाली मछलियों की है. तीन भिन्न सोच उनके जीवन में क्या परिणाम डालती है. यह जानने के लिए पढ़ें तीन मछलियों की कहानी :

The Three Fishes Story In Hindi 

Table of Contents

>
The Three Fishes Panchatantra story
The Three Fishes Story In Hindi | Tale Of Three Fishes In Hindi

पढ़ें पंचतंत्र की संपूर्ण कहानियाँ : click here

एक जलाशय में तीन मछलियाँ (Fishes) रहा करती थी : अनागतविधाता, प्रत्युत्पन्नमति और यभ्दविष्य. तीनों के स्वभाव एक-दूसरे से भिन्न थे. अनागतविधाता संकट आने के पूर्व ही उसके समाधान में विश्वास रखती थी. प्रत्युत्पन्नमति की सोच थी कि संकट आने पर उसका कोई न कोई समाधान निकल ही आता है. यभ्दविष्य किस्मत के भरोसे रहने वालों में से थी. उसका मानना था कि जो किस्मत में लिखा है, वह तो होकर ही रहेगा. चाहे कितने ही प्रयत्न क्यों न कर लिए जायें, उसे टाला नहीं जा सकता.

तीनों मछलियाँ जिस जलाशय में रहती थीं, वह मुख्य नदी से जुड़ा हुआ था. किंतु घनी झाड़ियों से ढका होने के कारण सीधे दिखाई नहीं पड़ता था. यही कारण था कि वह अब तक मछुआरों की दृष्टि से बचा हुआ था.

एक शाम मछुआरे नदी से मछलियाँ पकड़कर वापस लौट रहे थे. बहुत ही कम मछलियाँ हाथ आने के कारण वे उदास थे. तभी उनकी दृष्टि मछलीखोर पक्षियों पर पड़ी, जो नदी से लगी झाड़ियों के पीछे से उड़ते चले आ रहे थे. उन मछलीखोर पक्षियों की चोंच में मछलियाँ दबी हुई थी.

पढ़ें : मकड़ी, चींटी और जाला प्रेरणादायक कहानी | Motivational Story On Task Completion 

यह देख मछुआरों को समझते देर न लगी कि झाड़ियों के पीछे नदी से लगा हुआ कोई जलाशय है. वे झाड़ियों के पार जाकर जलाशय के पास पहुँच गए. वे बहुत ख़ुश थे. एक मछुआरा बोला, “लगता है यह जलाशय मछलियों से भरा हुआ है. यहाँ से हम ढेर सारी मछलियाँ पकड़ पायेंगे.”

“सही कह रहे हो भाई. लेकिन आज तो शाम घिर आई है. कल सुबह-सुबह आकर यहाँ पर अपना जाल बिछाते हैं.” दूसरे मछुआरे ने कहा. दूसरे दिन आने की योजना बनाकर मछुआरे वहाँ से चले गए.

मछुआरों की बातें अनागतविधाता ने सुन ली. वह तुरंत प्रत्युत्पन्नमति और यभ्दविष्य के पास पहुँची और बोली, “कल मछुआरे जाल डालने इस जलाशय में आ रहे हैं. यहाँ रहना अब ख़तरे से खाली नहीं रह गया है. हमें यथाशीघ्र यह स्थान छोड़ देना चाहिए. मैं तो तुरंत ही नहर से होती हुई नदी में जा रही हूँ. तुम लोग भी साथ चलो.”

अनागतविधाता की बात सुनकर प्रत्युत्पन्नमति बोली, “अभी ख़तरा आया कहाँ है? हो सकता है कि वो आये ही नहीं. जब तक ख़तरा सामने नहीं आएगा, मैं जलाशय छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी. हो सकता है कि मछुआरों को मछलियों से भरा कोई दूसरा जलाशय मिल जाये और वे यहाँ आने का इरादा छोड़ दें. यदि वे आ भी गए, तो ये भी संभव है कि मैं उनके जाल फंसू ही ना.”

पढ़ें : मातृ और पितृभक्त श्रवण कुमार की कथा | Shravan Kumar Story In Hindi

यभ्दविष्य बोली, “किस्मत के आगे क्या भला किसकी चली है? मछुआरों को आना होगा तो आयेंगे और मुझे उनके जाल में फंसना होगा, तो मैं फंसूंगी ही. मेरे कुछ भी करने से किस्मत का लिखा थोड़ी बदल जाएगा.”

अनागतविधाता ने अपनी योजना अनुसार वहाँ से प्रस्थान करना ही उचित समझा और वह तुरंत वहाँ से चली गई. प्रत्युत्पन्नमति और यभ्दविष्य जलाशय में ही रुकी रही.

अगले दिन सुबह मछुआरे जाल लेकर आये और जलाशय में जाल फेंक दिया. संकट सामने देख बचाव हेतु प्रत्युत्पन्नमति अपना दिमाग दौड़ाने लगी. उसने इधर-उधर देखा, किंतु उसे कोई खोखली जगह नहीं मिली, जहाँ जाकर वह छुप सके. तभी उसे एक उदबिलाव की सड़ी हुई लाश पानी में तैरती हुई दिखाई पड़ी. वह उस लाश में घुस गई और उसकी सड़ांध अपने ऊपर लपेटकर बाहर आ गई.

थोड़ी देर बाद वह एक मछुआरे के जाल में फंस गई. मछुआरे ने जब जाल बाहर निकाला और सारी मछलियों को जाल से एक किनारे पर उलट दिया, तब प्रत्युत्पन्नमति सड़ांध लपेटे हुए मरी मछली की तरह जमीन पर पड़ी रही. उसमें कोई हलचल न देख मछुआरे ने उसे उठाकर सूंघा. उसके ऊपर से आ रही बदबू से उसने अनुमान लगाया कि ये अवश्य कई दिनों पहले मरी मछली है और उसने उसे पानी में फेंक दिया. पानी में पहुँचते ही प्रत्युत्पन्नमति तैरकर सुरक्षित स्थान पर चली गई. इस तरह बुद्धि का प्रयोग कर वह बच गई.

वहीं दूसरे मछुआरे के जाल में फंसी यभ्दविष्य कुछ किये बिना किस्मत के भरोसे रही और अन्य मछलियों के साथ दम तोड़ दिया.

सीख (Moral of the story the three fishes)

किस्मत उसी का साथ देती है, जो खुद का साथ देते हैं. किस्मत के भरोसे रहकर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने वालों का विनाश निश्चित है.  


Friends, आपको ‘The Three Fishes Panchatantra Story In Hindi‘ कैसी लगी? आप अपने comments के द्वारा हमें अवश्य बतायें. ये Panchatantra Tale Of Three Fishes In Hindi पसंद  पर Like और Share करें. ऐसी ही और Panchtantra Ki Kahani & Hindi Story पढ़ने के लिए हमें Subscribe कर लें. Thanks.

Read More Panchtantra Stories In Hindi :

 

Leave a Comment