बदसूरत बत्तख की कहानी | The Ugly Duckling Story In Hindi

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम ‘बदसूरत बत्तख की कहानी’ (The Ugly Duckling Story In Hindi) शेयर कर रहे हैं. ये एक पुरानी लोकप्रिय डेनिश परी कथा (Fairy Tale) है, जिसे डेनिश कवि और लेखक हेंस क्रिस्चियन एंडरसन (Hans Christian Andersen) द्वारा लिखा गया था. यह परी कथा सर्वप्रथम १८४३ में प्रकाशित की गई थी, किंतु आज भी ये उतनी ही लोकप्रिय है.

यह कहानी एक बत्तख के बारे में हैं, जिसे सब बदसूरत समझते हैं. उससे कोई प्यार नहीं करता है, उससे कोई दोस्ती नहीं करता है, कोई उसके साथ रहना नहीं चाहता है. उसके जीवन में क्या होता है? क्या उसे दोस्त मिलते हैं? क्या उसे परिवार मिलता है? यह जानने के लिए पढ़िए पूरी कहानी : 

The Ugly Duckling Story In Hindi

Table of Contents

>
The Ugly Duckling Story In Hindi
The Ugly Duckling Story In Hindi | The Ugly Duckling Story In Hindi

परियों की कहानियों का संपूर्ण संग्रह यहाँ पढ़ें : click here


एक जंगल में एक बत्तख रहती थी. नदी किनारे उसका घर था. उसने पाँच अंडे दिए थे, जिन्हें वह दिन-रात बड़े धैर्य से सेती थी. उसे अंडों में से बच्चों के निकलने का इंतज़ार था.

आखिर वह दिन भी आया, जब अंडों में से बच्चे निकले. नन्हें-नन्हें बच्चों को देख बत्तख बहुत ख़ुश हुई. लेकिन, एक अंडा अब तक नहीं फ़ूटा था. वह अंडा आकार में अन्य अंडों से बड़ा था और उसका रंग भी अधिक भूरा था.

बत्तख के नन्हे-नन्हे बच्चे नदी में खेलना चाहते थे. वे तैरना सीखना चाहते थे. वे अपनी माँ से बोले, “माँ, हमें नदी में ले चलो.”

लेकिन बत्तख अपने सारे बच्चों को एक साथ नदी में ले जाना चाहती थी और एक अंडा अब तक नहीं फ़ूटा था. इसलिए उसने अपने बच्चों को इंतज़ार करने को कहा. सभी नन्हे बत्तख बहुत उदास हुए, लेकिन उन्होंने अपनी माँ की बात मान ली.  

कुछ दिन बीते और सबका इंतज़ार खत्म हुआ. अंतिम अंडा फूटा और उसमें से जो निकला, उसे देख माँ बत्तख और सारे नन्हे बत्तख हैरान रह गये. वह दिखने में अन्य बत्तखों से कुछ अलग था. उसके सिर का आकार काफ़ी बड़ा था, चोंच अधिक लंबी थी और पंख मटमैले से थे.

पढ़ें : १२ राजकुमारियों की कहानी 

उसे देख सभी नन्हें बत्तख एक साथ बोले, “ये कितना बदसूरत है माँ.”

माँ बत्तख इस बात पर दु:खी हुई. उसे तो अपने सभी बच्चे प्यारे थे. वह सबसे एक समान प्यार करती थी. वह उन्हें समझाते हुए बोली, “तुम्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए. ये तुम्हारा भाई है. अब तुम सबको साथ मिलकर रहना है.”

फिर वह सबको नदी ले गई और उन्हें तैरना सिखाने लगी. सभी नन्हें बत्तख बहुत ख़ुश थे और आपस में खेल रहे थे. बदसूरत बत्तख भी उनके साथ खेलना चाहता था. लेकिन उन्होंने उसे अपने साथ शामिल नहीं किया. बल्कि, वे उस पर हंसने लगे और उसका मज़ाक उड़ाने लगे.

वे कहने लगे, “देखो देखो, इसका चेहरा देखो. ये हमसे कितना अलग है. हम कितने ख़ूबसूरत है और ये कितना बदसूरत. हम इसके साथ नहीं खेलना चाहते. हम इसके साथ नहीं रहना चाहते.”

बदूसूरत बत्तख उनकी बात सिर झुकाए सुनता रहा. वह अकेला और उदास था. माँ बत्तख ने उसे समझाया कि उसे अपने भाइयों की बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए. लेकिन उसकी उदासी दूर नहीं हुई.

हर दिन सभी नन्हे बत्तख मिलकर उसका मज़ाक उड़ाते और उस पर हँसते थे. धीरे-धीरे उसकी माँ ने भी उसके भाइयों को मना करना बंद कर दिया.

पढ़ें : राजकुमारी और मटर की कहानी 

बदसूरत बत्तख को लगने लगा कि उसकी माँ भी उसे प्यार नहीं करती. वह ऐसी जगह नहीं रहना चाहता था, जहाँ उसे कोई प्यार न करे. इसलिए एक रात वह घर छोड़कर भाग गया.

वह जंगली वनस्पतियों, झाड़ियों और पेड़-पौधों से होता हुआ चलता गया. धूल-मिट्टी, कीचड़ के सराबोर होता हुआ वह आगे बढ़ता गया.

कई दिन गुजर गए. आखिर एक दिन वह एक तालाब पर पहुँचा, जिसमें बत्तखों का एक परिवार तैर रहा है. वे सभी ख़ुश थे. वे आपस में बातें रह रहे थे, खेल रहे थे, मज़े कर रहे थे.

बदसूरत बत्तख उनके साथ खेलना चाहता था. वह उनके पास गया और उनका अभिवादन किया. उसने देखते ही वे बत्तख बोले, “कौन हो तुम? यहाँ क्या कर रहे हो.”

बदसूरत बत्तख कुछ कहता इसके पहले ही वे फिर से बोले, “ओह, तुम कितने बदसूरत हो. हमारे पास मत आना. चले जाओ यहाँ से.”

बदसूरत बत्तख ने अपनी परछाई पानी में देखी. धूल-मिट्टी और कीचड़ के कारण वह बहुत गंदा हो गया था. वह ख़ुद से बोला, “मैं इतना बदसूरत क्यों हूँ? क्या कोई मुझे पसंद नहीं करेगा? क्या कोई मेरा दोस्त नहीं बनेगा?”

पढ़ें : मोची और तीन बौनों की कहानी 

फिर वह वहाँ से चला गया. वह ऐसी जगह जाना चाहता था, जहाँ लोग उसे प्यार करें, उसे अपना समझें. लेकिन उसे पता नहीं था कि ऐसे लोग उसे कहाँ मिलेंगे. बस वह चला जा रहा था. धूल-मिट्टी, कीचड़ और झाड़ियों से गुजरकर वह पहले से और अधिक गंदा हो गया.

कई दिनों के सफ़र के बाद वह एक बड़े तालाब पर पहुँचा, वहाँ उसने भूरे रंग के बत्तखों को देखा. उन्हें देख वह सोचने लगा कि इनका रंग तो मेरे जैसा ही है. शायद ये मुझे अपने साथ रहने दें. शायद, ये मुझसे दोस्ती कर लें.

वह तैरता हुआ उनके पास गया और उनका अभिवादन किया. उसे देख भूरे बत्तख बोले, “कौन हो तुम? कहाँ से आये हो? ओह, कितने गंदे दो तुम? कितने बदसूरत हो तुम?”

ये बात सुनकर बदसूरत बत्तख ने सिर झुका लिया. वह बहुत दु:खी था. वह वहाँ से भी जाने के बारे में सोचने लगा, तभी उन बत्तखों में से सबसे बड़ा बत्तख बोला, “तुम कुछ अजीब से दिखते हो. पता नहीं कहाँ से आये हो? लेकिन फिर भी मैं तुम्हें अपने साथ रहने की इज़ाज़त देता हूँ. बस तुम्हें हमारी हर बात माननी होगी.”

ये सुनकर बदसूरत बत्तख बहुत ख़ुश हुआ. उस दिन के बाद से वह उनके साथ रहने लगा. वह उनके साथ खेलता, पानी में तैरता और ढेर सारी बातें करता. उन सबका व्यवहार भी उसके साथ बहुत अच्छा था. बदसूरत बत्तख ख़ुशी-ख़ुशी दिन बिता रहा था. इस तरह कई दिन गुज़र गए.

पढ़ें : सोई हुई राजकुमारी की कहानी 

एक दिन अचानक उस तालाब के पास एक शिकारी आ गया. उसने अपना तीर-कमान निकाला और भूरे बत्तखों पर निशाना साधने लगा. बदसूरत बत्तख डर गया और एक कोने में चुपचाप खड़ा हो गया.

सारे भूरे बत्तखों को मारने के बाद शिकारी की नज़र बदसूरत बत्तख पर पड़ी. उसे देख वह बोला, “अरे तुम क्या चीज़ हो? बड़े बदसूरत हो तुम.”

इतना कहकर वह चला गया. बदसूरत बत्तख बहुत दु:खी हुआ. वह सोचने लगा कि क्या मैं इतना बदसूरत हूँ कि एक शिकारी भी मेरा शिकार नहीं करना चाहता.

वह फिर से अकेला रह गया था. वह उस स्थान को छोड़कर चला गया. वह चलता जा रहा था. समय गुजरता जा रहा था.  वह बड़ा हो रहा था. उसके पंख निकलने लगे थे. अब वह कुछ दूरी तक उड़ने भी लगा था.

कई दिनों तक वह यूं की भटकता रहा. उसका भूख के मारे बुरा हाल था. वह बहुत कमज़ोर हो गया था. अब उसमें उड़ने और चलने की ताकत भी शेष नहीं थी.

किसी तरह वह गाँव के घर में जाकर बैठ गया. अब उसमें आगे जाने की शक्ति नहीं बची थी. वहीं-वहीँ बैठे-बैठे वह सो गया. सुबह एक आवाज़ सुनकर उसकी नींद खुली.

“अरे ये क्या है?” यह उस घर में रहने वाले किसान की आवाज़ थी.

“शायद बत्तख.” उसकी पत्नि बोली.

पढ़ें : सुंदरी और राक्षस की कहानी 

किसान और उसकी पत्नि ने उसे इस आशा से अपने घर पर रख लिया कि उससे उन्हें कुछ अंडे मिल जायेंगे. लेकिन कई दिन बीत गए और बदसूरत बत्तख ने कोई अंडा नहीं दिया.

वह दिन पर दिन बड़ा होते जा रहा था. किसान और उसकी पत्नि को वह पसंद था, लेकिन उनके छोटे से घर में अब उसके लायक जगह नहीं बची थी. इसलिए एक दिन उन्होंने उसे यह कहकर भगा दिया कि जाओ, अब तुम अपने परिवार को खोजो. वही तुम्हें अपने साथ रखेंगे. वही तुम्हें प्यार करेंगे.

दु:खी बदसूरत बत्तख वहाँ से चला गया. सर्दियों का मौसम आ चुका था. कड़ाके की ठंड पड़ रही थी. नदी-तालाब जम गये थे. फूल-पत्तियों को बर्फ़ की परत ने ढक लिया था. ऐसे मौसम में किसी तरह खुद को बचाकर वह चलता गया.

समय बीता. मौसम बदला. वसंत का मौसम आ गया. बर्फ़ पिघलने लगी. चारों ओर हरियाली छा गई. लेकिन बदसूरत बत्तख दु:खी था.

वह एक तालाब के किनारे पहुँचा. उसने उस तालाब में सबसे सुंदर पक्षी हंस के परिवार को तैरते हुए देखा. वह उन्हें देख तो रहा था. लेकिन उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह उनके पास जा सके और कह सके कि मुझे अपने साथ रहने दो, क्योंकि उसे तो उसके अपने परिवार ने, अन्य बत्तखों के, यहाँ तक कि इंसानों ने भी दुत्कार दिया था.

तभी एक हंस तैरता हुआ उसके पास आया और बोला, “अरे तुम्हारे पंख तो हमारे पंखों से भी ज्यादा सफ़ेद हैं. देखो, सूर्य के रोशनी में ये कैसे चमक रहे हैं. तुम कितने सुंदर हो?”

पढ़ें : स्नो वाइट और सात बौनों की कहानी 

यह सुनकर बदसूरत बत्तख हैरान रह गया. उसने तालाब के साफ़ पानी में अपनी परछाई देखी और उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा. अब वह एक बदसूरत बत्तख नहीं था. वह तो एक बत्तख ही नहीं था. वह हंस था. सफ़ेद पंखों वाला, लंबी गर्दन और चोंच वाला हंस.

वह पानी में गया और हंसों के परिवार से मिला. उससे मिलकर सभी बहुत ख़ुश हुए. उन्होंने उसे अपने परिवार में शामिल कर लिया. वे सब उससे बहुत प्यार करते, उसके साथ खेलते-तैरते और अपना समझते थे. वह बहुत ख़ुश था.

एक दिन सभी हंस पानी में तैर रहे थे. तभी एक व्यक्ति अपनी पत्नि और बेटे के साथ वहाँ आया. उस हंस से उसे पहचान लिया. वह किसान और उसका परिवार था.

वह तैरते हुए किनारे गया. किसान बोला, “लगता है तुम्हें नया परिवार मिल गया है, जो तुम्हें प्यार करता था. तुम बड़े ख़ुश भी नज़र आ रहे हो. आज मैं तुमसे कहना चाहता हूँ कि तुम सबसे सुंदर हंस हो.”

किसान से अपनी तारीफ़ सुनकर वह बहुत ख़ुश हुआ. अब सच में उसकी ज़िंदगी बदल चुकी थी. वह अपने नए परिवार के साथ ख़ुशी-ख़ुशी ज़िंदगी बिताने लगा.

सीख (The Ugly Duckling Story Moral)

किसी को सिर्फ़ शक्ल और सूरत या बाह्य ख़ूबसूरती के आधार पर नहीं आंकना चाहिए. सबसे समान व्यवहार करना चाहिए, भले ही वह आपसे अलग हों.


Friends, आपको ये ‘The Ugly Duckling Story In Hindi Written कैसी लगी? आप अपने comments के द्वारा हमें अवश्य बतायें. “द अग्ली डकलिंग्स कहानी” पसंद आने पर Like और Share करें. Fairy Tales & Bedtime Kids Stories In Hindi पढ़ने के लिए हमें Subscribe कर लें. Thanks.

Read More Hindi Stories: 

Bedtime Story Fairy Tales In Hindi

10 Best Aesop’s Fables In Hindi

Leave a Comment