भेड़िया और सात बकरी के बच्चे की कहानी | The Wolf And The Seven Little Goats Story In Hindi

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम भेड़िया और सात बकरी के बच्चे की कहानी (The Wolf And The Seven Little Goats Story In Hindi) शेयर कर रहे हैं. ये एक परीकथा (Fairy Tale In Hindi) है, जो Brothers Grimm के कलेक्शन की है. इस परी कथा को सर्वप्रथम Grimm Fairy Tales में प्रकाशित किया गया था. यह कहानी बकरी और उसके सात बच्चों की है, जिन्हें खाने के लिए एक भेड़िया उनके पीछे पड़ा रहता है. कैसे वे भेड़िये से बचते हैं? यही इस कहानी में वर्णन किया गया है. पढ़िए पूरी कहानी :

The Wolf And The Seven Little Goats Story In Hindi

The Wolf And The Seven Little Goats Story In Hindi
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एक जंगल किनारे घास के मैदान में एक सफेद रंग की बकरी अपने सात बच्चों के साथ रहती थी। उनका एक छोटा सा घर था, जिसमें वे सब बड़े प्यार से रहते थे। बकरी अपने बच्चों के खाने-पीने की व्यवस्था करती और सातों बच्चे जंगल में खेलते, नाचते-गाते, उछल कूद मचाते। उनके दिन बड़ी खुशी से गुज़र रहे थे।

एक दिन बकरी ने देखा कि जंगल से खतरनाक काला भेड़िया वहाँ आ गया है और उसके बच्चों को खाने की फ़िराक़ में है। तबसे उसने अपने बच्चों का घर से बाहर निकलना बंद करवा दिया। वे सब दिन भर घर में रहते। बकरी अपने बच्चों को हर समय अपनी आँखों के सामने रखती।

एक दिन बकरी को खाने की व्यवस्था करने बाहर जाना पड़ा। जाने से पहले उसने बच्चों को हिदायत दी, “मेरे प्यारे बच्चों! घर से बाहर मत निकलना। खतरनाक भेड़िया आसपास ही घूम रहा है. कोई भी दरवाजा खटखटाये, तो बिना पूछे दरवाजा मत खोलना। ये काला भेड़िया है। इसके काले पैर हैं और इसकी आवाज कर्कश है। ये इसकी पहचान है। दरवाजा खटखटाने पर ये ज़रूर देखना।”

इतना कहकर बकरी चली गई। सातों बच्चों ने घर का दरवाज़ा अच्छी तरह बंद कर दिया और अपनी माँ के लौटने का इंतज़ार करने लगे।

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भेड़िया घर के आसपास ही था। उसने बकरी को घर से जाते हुए देख लिया और बच्चों को खाने के लिए उसके घर पहुँच गया। घर का दरवाज़ा बंद था। उसने दरवाज़ा खटखटाया। एक बकरी का बच्चा दरवाजा खोलने के लिए जाने लगा, तो सबसे बड़े बच्चे को अपनी माँ की बात याद आई और उसने उसे रोक दिया। फिर अंदर से ही पूछा, “कौन है?”

“मैं तुम्हारी माँ हूँ मेरे प्यारे बच्चों।” भेड़िये ने उत्तर दिया।

बकरी के बच्चे उसकी आवाज़ पहचान गये। वे बोले, “नहीं तुम हमारी माँ नहीं हो। हमारी माँ की आवाज़ मीठी है और तुम्हारी कर्कश। तुम काले भेड़िये हो। चले जाओ यहाँ से।”

यभेड़िया वहाँ से चला गया। वह सोचने लगा कि कैसे अपनी आवाज़ को मीठी बनाऊं। तभी उसे मधुमक्खी का छत्ता दिखाई पड़ा। उसने सोचा की मीठा शहद खाने से मेरी आवाज़ मीठी हो जायेगी। उसने झपट्टा मारकर मधुमक्खी के छत्ते को तोड़ दिया। मधुमक्खियाँ उसे काटने लगी, फिर भी किसी तरह उसने शहद खा लिया।

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शहद खाने से उसकी आवाज़ मीठी हो गई। वह फिर से बकरियों के घर में गया। और दरवाजा खटखटाने लगा।

बकरियों ने पूछा, “कौन है?”

भेड़िया मीठी आवाज़ में बोला, “मैं तुम्हारी माँ हूँ प्यारे बच्चों। दरवाजा खोलो।”

सबसे बड़े बकरी के बच्चे ने दरवाजे के नीचे से देखा, तो उसे काले पैर दिखाई पड़े। वह समझ गई कि वह भेड़िया है। वह बोली, “तुम हमारी माँ नहीं, दुष्ट भेड़िये हो। हमारी माँ के पैर सफ़ेद हैं और तुम्हारे काले। भागो यहाँ से।”

भेड़िया वहाँ से चला गया और इस बार खुद पर आटा उड़ेलकर आया। आटे के कारण वह सफेद हो गया था। उसने घर का दरवाज़ा खटखटाया और बोला, “मेरे प्यारे बच्चों दरवाजा खोलो। देखो तुम्हारी माँ तुम्हारे लिए क्या-क्या लाई है?”

उसकी मीठी आवाज़ सुनने के बाद बकरियों ने दरवाजे के नीचे से उसके पैर देखे, जो आटे के कारण सफेद हो गए थे।

“लगता गई हमारी माँ आ गई।” बकरी के सबसे बड़े बच्चे ने कहा।

“दरवाजा खोल दो।” बाकी बकरी के बच्चे बोले, लेकिन सबसे छोटे बकरी के बच्चे ने उन्हें रोका कि ये भेड़िया भी हो सकता है। दूसरी बकरियों ने उसकी बात नहीं मानी, तो वह अंदर के कमरे ने जाकर छुप गया।

बकरी के सबसे बड़े बच्चे ने दरवाज़ा खोल दिया और भेड़िया दनदनाते हुए अंदर आया। दुष्ट भेड़ये को देखकर बकरी के बच्चे इधर-उधर भागने लगे, लेकिन भेड़िये ने उन्हें निगल लिया। उसे याद ही नहीं था कि बकरी के सात बच्चे है। इसलिए उसने सबसे बकरी के सबसे छोटे बच्चे को नहीं ढूंढ़ा और चला गया।

कुछ देर बाद बकरी वापस लौटी। घर का दरवाज़ा खुला देख उस शक हुआ। वह दौड़कर अंदर पहुँची, तो उसे अपने बच्चे दिखाई नहीं पड़े। वह उन्हें इधर-उधर ढूंढने लगी, तब सबसे छोटा बच्चा बाहर निकला और अपनी माँ को सारी बात बताई। बकरी को बड़ा गुस्सा आया और वह भेड़िये से बदला लेने निकल पड़ी।

जंगल में जाने पर उसने देखा कि भेड़िया उसके बच्चों को खाकर एक पेड़ के नीचे आराम से सोया है। उसका मोटा पेट देखकर बकरी समझ गई कि उसने उसके बच्चों को साबुत ही निगल लिया है।

उसने सोते हुए भेड़िया का पेट चीर दिया और अपने बच्चों को सही सलामत बाहर निकाल लिया। फिर उसने भेड़िये के पेट में पत्थर भर कर सिल दिया और अपने बच्चों के साथ घर लौट गई।

भेड़िये की जब नींद खुली, तो उसे प्यास लग आई। वह नदी की ओर जाने लगा। पत्थरों के वजन से उसे अपना पेट भारी महसूस हो रहा था और उसे चलने में कठिनाई हो रही थी। फिर भी वह किसी तरह चलकर नदी तक पहुँचा और झुककर पानी पीने लगा। लेकिन उसका पर फिसल गया, वह नदी में जा गिरा और पत्थरों के बोझ के कारण वह नदी के पानी में डूब गया।

बकरी और उसके सातों बच्चे खुशी-खुशी रहने लगे।

सीख (The Wolf And Seven Goats Story Moral)

बुरे काम का बुरा नतीज़ा।

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