लकड़हारा और उसका मूर्ख बेटा शिक्षाप्रद कहानी | The Woodcutter And His Foolish Son Story In Hindi
बुद्धिमानी और मूर्खता का प्रभाव हमारे जीवन पर गहरा असर डालता है। यदि हम विवेक से काम लें, तो कठिनाइयों से बच सकते हैं, लेकिन मूर्खता से अनजाने में ही बड़ी हानि उठानी पड़ सकती है। इस कहानी में एक लकड़हारे और उसके मूर्ख बेटे की घटना के माध्यम से हम सीखेंगे कि किसी भी कार्य में सावधानी और समझदारी आवश्यक होती है।
The Woodcutter And His Foolish Son Story In Hindi
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एक गांव में एक ईमानदार और मेहनती लकड़हारा रहता था। वह प्रतिदिन जंगल जाकर लकड़ियां काटता और उन्हें बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। उसकी पत्नी बहुत समझदार थी, लेकिन उनका बेटा अत्यंत मूर्ख था। वह बिना सोचे-समझे काम करता और अक्सर परेशानी खड़ी कर देता था। लकड़हारा और उसकी पत्नी हमेशा उसके भोलापन और मूर्खता को लेकर चिंतित रहते थे।
एक दिन दोपहर के समय लकड़हारे की पत्नी ने अपने बेटे से कहा, “बेटा, यह खाना तुम्हारे पिता के लिए ले जाओ। वह जंगल में बहुत मेहनत कर रहे होंगे, उन्हें भूख लगी होगी।”
बेटा खुशी-खुशी खाना लेकर जंगल की ओर चल दिया। रास्ते में वह कई चीजों में उलझा, कभी पक्षियों को देखता, कभी तितलियों के पीछे भागता, लेकिन किसी तरह वह जंगल में अपने पिता के पास पहुंच गया।
“बाबा, यह खाना मां ने भेजा है।” बेटे ने कहा।
लकड़हारे ने खाना लिया और एक पेड़ के नीचे बैठकर खाने लगा। बेटा उधर-उधर देखने लगा। तभी उसकी नजर एक कुल्हाड़ी पर पड़ी, जो उसके पिता ने एक पेड़ के पास रखी थी। मूर्ख लड़के को लगा कि उसे भी लकड़हारे की तरह पेड़ काटना चाहिए।
“अगर मैं पेड़ काटूंगा, तो पिता खुश होंगे।” उसने सोचा और कुल्हाड़ी उठाकर एक बड़े पेड़ को काटने में जुट गया।
इधर, लकड़हारा जैसे ही खाना खाने लगा, एक ततैया वहां आ पहुंची और उसके इर्द-गिर्द मंडराने लगी। लकड़हारे ने हाथ से उसे भगाने की कोशिश की, लेकिन ततैया फिर लौट आई और उसे परेशान करने लगी।
लकड़हारे ने झुंझलाते हुए कहा, “अरे, यह छोटी सी ततैया कितना परेशान कर रही है!”
बेटा यह सब देख रहा था। तभी लकड़हारे को याद आया कि बेटा आसपास ही है, तो उसने उससे कहा, “बेटा, इसे भगाने में मेरी मदद करो।”
बेटे ने आव देखा न ताव और पेड़ की भारी ठूंठ को जोर से हवा में घुमाया, ताकि ततैया को दूर फेंका जा सके। लेकिन जैसे ही उसने ठूंठ घुमाया, वह ततैया पर नहीं बल्कि सीधे उसके पिता के कंधे पर जा लगा।
“आह!” लकड़हारा जोर से चिल्लाया और जमीन पर गिर पड़ा।
बेटा घबरा गया और पास आकर बोला, “बाबा, क्या हुआ?”
लकड़हारे के कंधे में गहरी चोट लगी थी और वह दर्द से कराह रहा था। ततैया तो पहले ही उड़ चुकी थी, लेकिन बेटे की मूर्खता के कारण लकड़हारे का कंधा टूट गया था।
लकड़हारे की पत्नी जब यह खबर सुनी, तो दौड़ते हुए जंगल पहुंची। उसने अपने पति की हालत देखी और बेटे को डांटते हुए बोली, “तूने बिना सोचे-समझे इतना बड़ा ठूंठ कैसे चला दिया?”
बेटा मासूमियत से बोला, “मां, मैं तो सिर्फ ततैया को भगाना चाहता था।”
पत्नी ने लकड़हारे को घर ले जाकर उसका इलाज करवाया। लकड़हारे को कई दिनों तक दर्द सहना पड़ा, और वह काम पर भी नहीं जा सका।
इस घटना के बाद लकड़हारे ने ठान लिया कि अब वह कभी भी अपने मूर्ख बेटे पर महत्वपूर्ण काम नहीं छोड़ेगा। उसने समझ लिया कि मूर्ख व्यक्ति पर भरोसा करने से नुकसान ही होता है।
सीख
1. मूर्ख व्यक्ति पर भरोसा करने से नुकसान ही होता है।
2. किसी भी कार्य को करने से पहले सोचना आवश्यक है। जल्दबाजी और मूर्खता से लिए गए निर्णय हमें और दूसरों को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए समझदारी से काम लेना ही सबसे अच्छा विकल्प है।
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