सक्सेस मंत्र ~ कहानी : कुछ बड़ा करना है, तो अपनी सोच बड़ी करो

Think Big Motivational Short Story In Hindi : दोस्तों, जीवन में हर कोई बड़ी से बड़ी सफ़लता चाहता है और उसे पाने के सपने देखता है. सफ़लता की शुरुवात उस सपने के साथ ही होती है, जिसे हम खुली आँखों से देखते हैं. इन सपनों को आकार देना हमारी सोच पर निर्भर करता है. बड़ी सफ़लता प्राप्त करने के लिए बड़े सपने और सोच रखना आवश्यक है. सफ़लता की राह आपको उस मंजिल तक ले जायेंगी, जहाँ तक आपकी सोच जायेगी. बड़ी सफ़लता या मुकाम की चाह है, तो सोच भी बड़ी रखनी होगी. बड़ी सोच रखने की सीख देती कहानियाँ हम इस लेख में शेयर कर रहे हैं. पढ़िए Motivational Hindi Story On Big Thinking  :  

Think Big Motivational Short Story #1 भिखारी को मिली सीख  

Think Big Motivational Short Story In Hindi :
Think Big Motivational Short Story In Hindi :

The Magic Of Thinking Big Story In Hindi : एक भिखारी रेल्वे स्टेशन (Raliway Station) पर रहता था. वह रोज़ ट्रेन (Train) में चढ़ता और एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक जाता था. रास्ते में वह ट्रेन में बैठे यात्रियों से भीख मांगता था. कभी उसे पैसे मिलते, कभी नहीं भी मिलते थे. उसकी ज़िंदगी इसी तरह ट्रेन में इधर से उधर आते-जाते और भीख मांगते गुज़र रही थी.

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एक दिन वह रोज़ की तरह ट्रेन में चढ़ा और उसमें बैठे यात्रियों से भीख मांगने लगा. वह एक कम्पार्टमेंट से दूसरे कम्पार्टमेंट में घूम रहा था. तभी एक कम्पार्टमेंट की कोने की सीट पर उसे सूट-बूट पहना एक व्यक्ति बैठा दिखाई पड़ा. वह व्यक्ति काफ़ी अमीर लग रहा था. भिखारी ने सोचा कि इस मालदार आदमी से ज्यादा भीख मिलने की गुंजाइश है. वह उसके पास पहुँचा और उससे पैसे मांगने लगा.

सूट-बूट पहने व्यक्ति ने उसे पैसे देने से इंकार कर दिया. लेकिन भिखारी डटा रहा और उसके पीछे पड़ गया. भिखारी की इस हरक़त पर उस व्यक्ति को गुस्सा आ गया. गुस्से में वह बोला, “बड़े अजीब हो. मैं तुम्हें पैसे देने से मना कर रहा हूँ और तुम मेरे पीछे पड़ गए हो. चलो ठीक है. मैंने तुम्हें पैसे दे भी दिए, तो ये तो बताओ कि बदले में तुम मुझे क्या दोगे?”

यह सुनकर भिखारी सोच में पड़ गया. कुछ देर सोचने के बाद वह बोला, “साहब! मैं आपको क्या दे सकता हूँ. मैं तो एक भिखारी हूँ. लोगों से मांग-मांगकर अपना पेट भरता हूँ. किसी को कुछ देने की मेरी औकात ही नहीं है.”

“जब किसी को कुछ दे नहीं सकते, तो मांगा भी मत करो.” सूट-बूट पहने व्यक्ति ने भिखारी से कहा और वहाँ से उठकर चला गया.

उस दिन भिखारी जब ट्रेन से उतरा, तो सोचने लगा कि मैं लोगों को क्या दे सकता हूँ. नज़र इधर-उधर दौड़ाने पर उसे फूलों से लदे कुछ पौधे दिखाई पड़े. उसने सोचा कि जब कोई मुझे भीख देगा, तो बदले में मैं उसे एक फूल दे दिया करूंगा.

उस दिन के बाद से वह अपने साथ एक झोले में फूल रखने लगा. जब भी कोई उसे भीख देता, वह झोले में से निकाल कर एक फूल उसे दे देता. भीख देने वाला यह देखकर ख़ुश हो जाता. भिखारी को भी ये बड़ा अच्छा लगता.

एक दिन ट्रेन में भिखारी को वही सूट-बूट वाला आदमी फिर से दिखाई पड़ा. भिखारी उसके पास गया और बोला, “साहब! अबकी बार मेरे पास आपको देने के लिए कुछ है. आप मुझे कुछ पैसे दे दो.”

उस व्यक्ति ने अपनी जेब से कुछ पैसे निकाले और भिखारी को दे दिए. बदले भिखारी ने अपने झोले में से एक फूल निकालकर उसे दिया. वह व्यक्ति खुश हो गया और बोला, “मुझे लगता है कि तुम व्यापार सीख गए हो. तुम्हें लेन-देन का मतलब समझ आ गया है. जब तक किसी को कुछ दे नहीं सकते, लेना नहीं चाहिए. समझे”

उस व्यक्ति का स्टेशन आ गया था. वह ट्रेन से उतरकर चला गया. लेकिन उसकी कही बात भिखारी के दिमाग में घर कर गई. जब वह ट्रेन से उतरा, तो प्लेटफार्म पर खड़े होकर जोर-जोर से चिल्लाने लगा, “मैं भिखारी नहीं व्यापारी हूँ. अब मैं भी सूट-बूट पहनकर घूमूंगा. मेरे पास भी ढेर सारे पैसे होंगे.”

लोगों ने उसे ऐसे चिल्लाते हुए देखा, तो सोचा कि ये भिखारी पागल हो गया है.

उस दिन के बाद से ६ महिने तक वह भिखारी न स्टेशन पर और न ही ट्रेन में नज़र आया. ६ महिने बाद एक दिन ट्रेन में दो सूट-बूट पहने व्यक्ति मिले. एक व्यक्ति ने दूसरे व्यक्ति से कहा, “आपने मुझे पहचाना. हम पहले दो बार मिल चुके है.”

“नहीं तो. मुझे ऐसा नहीं लगता. मेरे ख्याल से हम पहली बार मिल रहे हैं.” दूसरे व्यक्ति ने उत्तर दिया.

“आपको शायद याद नहीं सर. मैं वही भिखारी हूँ, जिसे पहली बार आपने सिखाया था कि लेन-देन कितनी बड़ी बात होती है और दूसरी बार सिखाया था कि मैं भिखारी नहीं व्यापारी भी बन सकता हूँ, बशर्ते मैं अपनी सोच बड़ी कर लूं. आज देखिये मैं एक व्यापारी बन गया हूँ. आपके बात मानकर शुरुवात में मैं फूल तोड़कर बेचने लगा. कुछ पैसे जमा हुए, तो मैं फूल खरीदकर बेचने लगा. आज मेरा फूलों का बहुत बड़ा व्यापार है. सब कुछ आपकी सीख की बदौलत है. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सर, मेरी ज़िंदगी बदलने के लिए.”

सीख –

  • जब तक हम अपनी सोच बड़ी नहीं करेंगे, ज़िंदगी एक ही ढर्रे पर चलती रहेगी. अपनी सोच बड़ी करें, ज़िंदगी बदल जाएगी.
  • हम हमेशा छोटी सी चादर में ही सिमटे रहते हैं और सोचते हैं कि हमारी पहुँच बस इतनी ही है. इससे आगे हम बढ़ ही नहीं सकते. अपनी चादर बड़ी करें. उसे और फैलाएं. जीवन में तरक्की आपका इंतज़ार कर रही है. बस ज़रुरत है, बड़ी सोच के साथ कड़ी मेहनत की. सफ़लता आपके कदम चूमेगी.

Badi Soch Par Kahani #2 टिफ़िन बॉक्स 

Magic Of Big Thinking Story In Hindi
Magic Of Big Thinking Story In Hindi

Story On Big Thinking In Hindi : गरीब परिवार का एक युवक बहुत दिनों से नौकरी की तलाश में था. अपने शहर में बात न बनते देख उसने दूसरे शहर में किस्मत आज़माने की सोची. अगले ही दिन ट्रेन का टिकट कटा वह दूसरे शहर के लिए निकल गया.

रास्ते में खाने के लिए उसकी माँ ने एक टिफ़िन बॉक्स में रोटियाँ रख दी थी. गरीबी के कारण हर दिन उसके घर में सब्जी नहीं बनती थी. इस कारण उसके टिफ़िन बॉक्स में बस रोटियाँ ही थी.

आधा सफ़र तय कर लेने के बाद उसे भूख लगने लगी, तो उसने अपना टिफ़िन बॉक्स निकाला और उसमें रखी रोटियाँ खाने लगा. वह जिस तरह से रोटी खा रहा था, उसने आस-पास बैठे लोगों का ध्यान खींच लिया. वह पहले रोटी तोड़ता, उसके बाद उसे टिफ़िन में यूं घुमाता, मानो वह रोटी के साथ कुछ और भी खा रहा है.

लोग उसे हैरत में देख रहे थे. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वो ऐसा क्यों कर रहा है? काफ़ी लोग तो बस उसे देखते रहे. लेकिन एक व्यक्ति से रहा न गया और वह पूछ बैठा, “भाई, तुम्हारे टिफ़िन बॉक्स में बस रोटियाँ ही हैं और उसे तोड़कर कुछ इस तरह से टिफ़िन में घुमाकर खा रहे हो, मानो तुम बस रोटी ही नहीं, उसके साथ कुछ और भी खा रहे हो.”

युवक बोला, “ये सच है भाई की मेरे पास बस रोटी ही है. लेकिन मैं इसे खाली टिफ़िन में घुमाकर सोच रहा हूँ कि मैं इसके साथ अचार खा रहा हूँ.”

“ऐसा करने से क्या तुम्हें अचार का स्वाद आ रहा है?” उस व्यक्ति ने जिज्ञासावश पूछा.

“हाँ बिल्कुल, अपनी सोच में तो मैं रोटी-अचार खा रहा हूँ और इस सोच के कारण मुझे उसका स्वाद आ भी रहा है.” युवक मुस्कुराते हुए बोला.

जब यह बात आस-पास बैठे यात्रियों ने सुनी, तो उनमें से एक बोल पड़ा, “भाई, जब तुम्हें सोचना ही था, तो अचार ही क्यों सोचा? मटर पनीर या शाही पनीर सोच लेते. इस तरह तुम उनका स्वाद ले पाते. सोचना ही था, तो छोटा क्यों बड़ा सोचते.”

सीख –    जीवन में यदि कुछ बड़ा करना है, तो अपनी सोच बड़ी करो. सपने बड़े होंगे, तभी सफ़लता भी बड़ी होगी.



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