तीन भाई परी कथा (Three Brothers Fairy Tale In Hindi) Teen Bhai Pari Katha
पुरानी कहावत है कि कौशल, मेहनत और आपसी प्रेम से जीवन की हर समस्या का समाधान संभव है। यह कहानी तीन भाइयों की है, जो न केवल अपने कौशल में निपुणता हासिल करते हैं बल्कि आपसी समझदारी और प्रेम के जरिए जीवन में सुख और संतोष प्राप्त करते हैं। कहानी हमें यह भी सिखाती है कि असली जीत केवल भौतिक चीजों में नहीं, बल्कि अपने रिश्तों को बनाए रखने और उन्हें संजोने में है।
Three Brothers Fairy Tale In Hindi
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बहुत समय पहले की बात है। एक छोटे से गाँव में एक बूढ़ा आदमी अपने तीन बेटों के साथ रहता था। वह आदमी बहुत गरीब था और उसके पास अपनी विरासत के तौर पर केवल एक पुराना घर था। तीनों बेटे घर को अपनी संपत्ति बनाना चाहते थे, लेकिन पिता के लिए यह तय करना मुश्किल था कि वह घर किसे दे। चूंकि वह सभी से समान रूप से प्यार करता था, उसने एक योजना बनाई।
एक दिन उसने अपने बेटों को बुलाया और कहा, “मेरे बच्चों, मैं चाहता हूँ कि तुम सब अपने-अपने कौशल में निपुण बनो। तुम सब बाहर जाओ और कोई हुनर सीखो। जब तुम वापस लौटोगे, तो जिसकी कृति सबसे अद्भुत होगी, उसे यह घर मिलेगा।”
बेटों ने पिता की बात मान ली और अपनी-अपनी राह पर चल दिए। सबसे बड़े बेटे ने लोहार बनने का निश्चय किया, दूसरे ने नाई बनने का और तीसरे ने तलवारबाजी का मास्टर बनने का।
सबसे बड़ा भाई एक प्रसिद्ध लोहार के पास गया। उसने दिन-रात मेहनत की, और जल्द ही उसने अपने काम में निपुणता हासिल कर ली। वह राजा के घोड़ों की नाल बनाता था और सोचता था कि उसकी मेहनत और कौशल निश्चित रूप से उसे घर का हकदार बना देंगे।
मझला भाई एक नाई के पास गया। वह भी अपने गुरु से काम सीखने में पूरी मेहनत करता। जल्द ही वह इतना कुशल हो गया कि केवल अमीर और प्रतिष्ठित लोग ही उससे अपनी दाढ़ी बनवाने आते थे। उसे भी पूरा विश्वास था कि घर उसी को मिलेगा।
छोटा भाई एक तलवारबाज के पास गया। शुरुआत में उसे बहुत कठिनाइयाँ हुईं। तलवारबाजी सीखने के दौरान उसे कई बार चोटें आईं, लेकिन उसने हार नहीं मानी। वह जानता था कि अगर वह डर गया, तो घर कभी नहीं जीत पाएगा।
नियत समय पर तीनों भाई अपने पिता के पास लौट आए। लेकिन अब सबसे बड़ी समस्या यह थी कि वे अपने-अपने कौशल का प्रदर्शन कैसे करें। वे सब बैठकर इस पर चर्चा कर रहे थे कि अचानक खेत में एक खरगोश भागता हुआ आया।
मझले भाई ने कहा, “यह मेरी परीक्षा का सही मौका है।” उसने तुरंत अपना बेसिन और साबुन निकाला। जैसे ही खरगोश पास आया, उसने उसकी मूंछों पर साबुन लगाया और दौड़ते-दौड़ते ही उसकी दाढ़ी बना दी। यह काम इतनी कुशलता से हुआ कि खरगोश की त्वचा पर कोई खरोंच तक नहीं आई।
पिता ने कहा, “बहुत बढ़िया! यह सच में अद्भुत है। अगर बाकी दो बेटों ने भी ऐसा कुछ खास नहीं किया, तो घर तुम्हारा होगा।”
कुछ ही देर बाद, एक रईस अपनी गाड़ी में तेजी से भागता हुआ आया। बड़े भाई ने कहा, “अब आप देखेंगे कि मैं क्या कर सकता हूँ।” वह गाड़ी के पीछे भागा और दौड़ते हुए घोड़ों में से एक के पैरों से चारों जूते निकालकर तुरंत नए जूते पहना दिए। यह काम उसने इतनी सफाई से किया कि घोड़े को रुकने की जरूरत तक नहीं पड़ी।
पिता ने उत्साहित होकर कहा, “तुम भी बहुत कुशल हो। अब मैं नहीं समझ पा रहा कि घर किसे दूँ।”
छोटे भाई ने कहा, “पिताजी, मुझे भी मेरी बारी लेने दें।” तभी बारिश शुरू हो गई। छोटे भाई ने अपनी तलवार निकाली और उसे अपने सिर के ऊपर इतनी तेज़ी से घुमाया कि एक भी बूंद उसके ऊपर नहीं गिरी। बारिश और तेज होती गई, लेकिन उसकी तलवारबाजी का कौशल इतना प्रभावशाली था कि वह पूरी तरह सूखा रहा।
पिता उसकी कृति देखकर चकित रह गए और बोले, “तुम्हारा कौशल अद्भुत है। इस घर का असली हकदार तुम हो।”
हालाँकि पिता ने छोटे भाई को घर का उत्तराधिकारी घोषित किया, लेकिन तीनों भाइयों के बीच इतना प्रेम था कि वे एक साथ घर में रहते रहे। उन्होंने अपने-अपने कौशल का उपयोग करके खूब पैसा कमाया।
बड़े भाई अपनी लोहार की दुकान में घोड़ों की नाल बनाता। मझला भाई अपने नाई के हुनर से अमीर ग्राहकों की दाढ़ी बनाता और छोटे भाई ने अपनी तलवारबाजी का प्रशिक्षण देना शुरू किया।
उनका जीवन सुखमय तरीके से बीतने लगा। वे न केवल एक-दूसरे का सम्मान करते थे, बल्कि अपने रिश्ते को भी संजोते थे।
समय के साथ, तीनों भाई वृद्ध हो गए। एक दिन बड़े भाई की मृत्यु हो गई। यह घटना बाकी दोनों भाइयों के लिए बहुत दु:खदायी थी। कुछ समय बाद, मझले और छोटे भाई भी अपनी आयु पूरी करके चल बसे। उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार, उन्हें एक ही कब्र में दफनाया गया।
सीख
यह कहानी हमें सिखाती है:
1. कौशल की महत्ता: जीवन में अपनी जगह बनाने के लिए मेहनत और हुनर का होना जरूरी है।
2. रिश्तों का मूल्य: आपसी प्रेम और समझदारी से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है।
3. साझेदारी का सुख: भले ही भौतिक वस्तुएँ किसी एक को मिलें, लेकिन सच्चा सुख सबके साथ रहने में है।
इस तरह तीन भाइयों की यह कहानी हमें जीवन की गहरी सीख देती है कि केवल सफलता ही नहीं, बल्कि रिश्तों की मिठास और समझदारी ही जीवन को खूबसूरत बनाती है।
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